शास्त्र झूठे नहीं हैं !! अवश्य पढ़ें !

ज्यों-ज्यों घोर कलयुग आता जाएगा त्यों-त्यों देश के ब्राह्मण संस्कारशून्य होकर प्रभावहीन हो जाएंगे तथा राजा निरंकुश होकर शूद्रतुल्य हो जाएंगे !”….’अपनी तुच्छ बुद्धि को ही शाश्वत समझकर कुछ मूर्ख अपने तरीके से शासन चलायेंगे ! ईश्वर की तथा धर्मग्रंथों की प्रामाणिकता मांगने का दुस्साहस करेंगे ! इसका अर्थ है कि उनके पाप जोर मार रहे होंगे !’

यहां शूद्र का मतलब उस आचरण से तात्पर्य है कि शासक वेद विरुद्ध होंगे ! मांस, मदिरा और संभोगादि प्रवृत्ति में ही सदा रत रहेंगे ! राक्षसधर्मी होंगे ! समाज का शोषण करेंगे ! जो ब्रह्म को मानने वाले हैं वही ब्राह्मण धन के लिये धर्म च्युत होंगे !! जनता ईश्वर को छोड़कर शासकों की पूजने लगेगी ! – भविष्य पुराण

राजा (राजनेताओं ) का आचार-विचार में म्लेच्छप्राय होंगे ! वह सब एक ही समय में भिन्न-भिन्न प्रांतों में निरंकुश राज करेंगे ! जनता पर अत्यधिक कर लगायेंगे ! दण्ड के नाम पर समाज का शोषण करेंगे !! ”

”ये दुष्ट लोग स्त्री, बच्चों, गौओं और ब्राह्मणों को मारने में भी नहीं हिचकेंगे ! दूसरे की स्त्री और धन हथिया लेने में ये सदा उत्सुक रहेंगे ! न तो इन्हें बढ़ते देर लगेगी और न घटते ! इनकी शक्ति और आयु थोड़ी होगी ! राजा के वेश में ये म्लेच्‍छ ही होंगे !”

”वे लूट-खसोटकर अपनी प्रजा का खून चूसेंगे ! जब ऐसा शासन होगा तो देश की प्रजा में भी वैसा ही स्वभाव, आचरण, भाषण की वृद्धि हो जाएगी ! राजा लोग तो उनका शोषण करेंगे ही, आपस में वे भी एक-दूसरे को उत्पीड़ित करेंगे और अंतत: सबके सब नष्ट हो जाएंगे !” – भागवत पुराण

* कलिमल ग्रसे धर्म सब लुप्त भए सदग्रंथ !
दंभिन्ह निज मति कल्पि करि प्रगट किए बहु पंथ॥97 क॥
भावार्थ:-कलियुग के पापों ने सब धर्मों को ग्रस लिया, सद्ग्रंथ लुप्त हो गए, दम्भियों ने अपनी बुद्धि से कल्पना कर-करके बहुत से पंथ प्रकट कर दिए॥ रामचरित मानस उत्तरकांड 97 (क)॥ गोस्वामी तुलसीदासजी श्रीमद्भागवद और रामायण के अनुसार ही रामचरित के उत्तर कांड में काकभुशुण्डि का अपनी पूर्व जन्म कथा और कलि महिमा का वर्णन करने का उल्लेख करते हैं !

कई हजार वर्ष पूर्व भागवत में शुकदेवजी ने जिस बारीकी से और विस्तार के साथ कलयुग का वर्णन किया है वह हमारी आंखें खोलने के लिए काफी है ! आज उसी वर्णन अनुसार ही घटनाएं घट रही है और आगे भी जो लिखा है वैसा ही घटेगा ! कलियुग यानी काला युग, कलह-क्लेश का युग, जिस युग में सभी के मन में असंतोष हो, सभी मानसिक रूप से दुखी हों, वह युग ही कलियुग है ! इस युग में धर्म का सिर्फ एक चैथाई अंश ही रह जाता है ! महर्षि व्यासजी के अनुसार कलयुग में मनुष्यों में वर्ण और आश्रम संबंधी प्रवृति नहीं होगी ! वेदों का पालन कोई नहीं करेगा ! कलयुग में विवाह को धर्म नहीं माना जाएगा ! शिष्य गुरु के अधीन नहीं रहेंगे ! पुत्र भी अपने धर्म का पालन नहीं करेंगे ! कोई किसी कुल में पैदा ही क्यूं न हुआ जो बलवान होगा वही कलयुग में सबका स्वामी होगा ! सभी वर्णों के लोग कन्या बेचकर निर्वाह करेंगे ! कलयुग में जो भी किसी का वचन होगा वही शास्त्र माना जाएगा !

कलयुग में थोड़े से धन से मनुष्यों में बड़ा घमंड होगा ! स्त्रियों को अपने केशों पर ही रूपवती होने का गर्व होगा ! कलयुग में स्त्रियां धनहीन पति को त्याग देंगी उस समय धनवान पुरुष ही स्त्रियों का स्वामी होगा ! जो अधिक देगा उसे ही मनुष्य अपना स्वामी मानेंगे ! उस समय लोग प्रभुता के ही कारण सम्बन्ध रखेंगे ! द्रव्यराशी घर बनाने में ही समाप्त हो जाएगी इससे दान-पुण्य के काम नहीं होंगे और बुद्धि धन के संग्रह में ही लगी रहेगी ! सारा धन उपभोग में ही समाप्त हो जाएगा ! कलयुग की स्त्रियां अपनी इच्छा के अनुसार आचरण करेंगी हाव-भाव विलास में ही उनका मन लगा रहेगा ! अन्याय से धन पैदा करने वाले पुरुषो में उनकी आसक्ति होगी ! कलयुग में सब लोग सदा सबके लिए समानता का दावा करेंगे !

कलयुग की प्रजा बाड़ और सूखे के भय से व्याकुल रहेगी ! सबके नेत्र आकाश की ओर लगे रहेंगे ! वर्षा न होने से मनुष्य तपस्वी लोगो की तरह फल मूल व् पत्ते खाकर और कितने ही आत्मघात कर लेंगे ! कलयुग में सदा अकाल ही पड़ता रहेगा ! सब लोग हमेशा किसी न किसी कलेशो से घिरे रहेंगे ! किसी-किसी तो थोड़ा सुख भी मिल जाएगा ! सब लोग बिना स्नान करे ही भोजन करेंगे ! देव पूजा अतिथि-सत्कार श्राद्ध और तर्पण की क्रिया कोई नहीं करेगा ! कलयुग की स्त्रियां लोभी, नाटी, अधिक खानेवाली और मंद भाग्य वाली होंगी ! गुरुजनों और पति की आज्ञा का पालन नहीं करेंगी तथा परदे के भीतर भी नहीं रहेंगी ! अपना ही पेट पालेंगी, क्रोध में भरी रहेंगी ! देह शुधि की ओर ध्यान नहीं देंगी तथा असत्य और कटु वचन बोलेंगी ! इतना ही नहीं, वे दुराचारी पुरुषों से मिलने की अभिलाषा करेंगी !

ब्रह्मचारी लोग वेदों में कहे गए व्रत का पालन किए बिना ही वेदाध्यापन करेंगे ! गृहस्थ पुरुष न तो हवन करेंगे न ही सत्पात्र को उचित दान देंगे ! वनों में रहने वाले वन के कंद-मूल आदि से निर्वाह न करके ग्रामीण आहार का संग्रह करेंगे और सन्यासी भी मित्र आदि के स्नेह बंधन में बंधे रहेंगे ! कलयुग आने पर राजा प्रजा की रक्षा न करके बल्कि कर के बहाने प्रजा के ही धन का अपहरण करेंगे ! अधम मनुष्य संस्कारहीन होते हुए भी पाखंड का सहारा लेकर लोगों ठगने का काम करेंगे ! उस समय पाखंड की अधिकता और अधर्म की वृद्धि होने से लोगो की आयु कम होती चली जाएगी ! उस समय पांच, छह अथवा सात वर्ष की स्त्री और आठ, नौ, या दस वर्ष के पुरुषों से ही संतान होने लगेंगी ! घोर कलयुग आने पर मनुष्य बीस वर्ष तक भी जीवित नहीं रहेंगे ! उस समत लोग मंदबुद्धि, व्यर्थ के चिन्ह धारण करने वाले बुरी सोच वाले होंगे !

लोग ऋण चुकाए बिना ही हड़प लेंगे तथा जिसका शास्त्र में कहीं विधान नहीं है ऐसे यज्ञों का अनुष्ठान होगा ! मनुष्य अपने को ही पंडित समझेंगे और बिना प्रमाण के ही सब कार्य करेंगे ! तारों की ज्योति फीकी पड़ जाएगी, दसों दिशाएं विपरीत होंगी ! पुत्र पिता को तथा बहुएं सास को काम करने भेजेंगी ! कलयुग में समय के साथ-साथ मनुष्य वर्तमान पर विश्वास करने वाले, शास्त्रज्ञान से रहित, दंभी और अज्ञानी होंगे ! जब जगत के लोह सर्वभक्षी हो जाएं, स्वंय ही आत्मरक्षा के लिए विवश हो तथा राजा उनकी रक्षा करने में असमर्थ हो जाएंगे तब मनुष्यों में क्रोध-लोभ की अधिकता हो जाएगी !

कलयुग के अंत के समय बड़े-बड़े भयंकर युद्ध होंगे, भारी वर्षा, प्रचंड आंधी और जोरों की गर्मी पड़ेगी ! लोग खेती काट लेंगे, कपड़े चुरा लेंगे, पानी पिने का सामान और पेटियां भी चुरा ले जाएंगे ! चोर अपने ही जैसे चोरों की संपत्ति चुराने लगेंगे ! हत्यारों की भी हत्या होने लगेगी, चोरों से चोरों का नाश हो जाने के कारण जनता का कल्याण होगा !

लोग दुर्बल, क्रोध-लोभ, तथा बुड़ापे और शोक से ग्रस्त होंगे ! उस समय रोगों के कारण इन्द्रियां क्षीण हो जाएंगी ! फिर धीरे-धीरे लोग साधु पुरुषों की सेवा, दान, सत्य एवं प्राणियों की रक्षा में तत्पर होंगे ! इससे धर्म के एक चरण की स्थापना होगी !

कलियुग के अंत में संसार की ऐसी दशा होगी कि अन्न नहीं उगेगा ! लोग मछली-मांस ही खाएंगे और भेड़ व बकरियों का दूध पिएंगे ! गाय तो दिखना भी बंद हो जाएगी ! होगी तो वह बकरी समान होगी ! एक समय ऐसा आएगा, जब जमीन से अन्न उपजना बंद हो जाएगा ! पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे ! धीरे-धीरे ये सारी चीजें विलुप्त हो जाएंगी ! गाय दूध देना बंद कर देगी !

स्त्रियां कठोर स्वभाव वाली व कड़वा बोलने वाली होंगी ! वे पति की आज्ञा नहीं मानेंगी ! जिसके पास धन होगा उसी के पास स्त्रियां रहेगी ! मनुष्यों का स्वभाव गधों जैसा दुस्सह, केवल गृहस्थी का भार ढोने वाला रह जाएगा ! लोग विषयी हो जाएंगे ! धर्म-कर्म का लोप हो जाएगा ! मनुष्य जपरहित नास्तिक व चोर हो जाएंगे ! सभी एक-दूसरे को लूटने में रहेंगे ! कलियुग में समाज हिंसक हो जाएगा ! जो लोग बलवान होंगे उनका ही राज चलेगा ! मानवता नष्ट हो जाएगी ! रिश्ते खत्म हो जाएंगे ! एक भाई दूसरे भाई का ही शत्रु हो जाएगा ! जुआ, शराब, परस्त्रिगमन और हिंसा ही धर्म होगा !

पुत्रः पितृवधं कृत्वा पिता पुत्रवधं तथा !
निरुद्वेगो वृहद्वादी न निन्दामुपलप्स्यते !!
म्लेच्छीभूतं जगत सर्व भविष्यति न संशयः !
हस्तो हस्तं परिमुषेद् युगान्ते समुपस्थिते !!

पुत्र, पिता का और पिता पुत्र का वध करके भी उद्विग्न नहीं होंगे ! अपनी प्रशंसा के लिए लोग बड़ी-बड़ी बातें बनायेंगे किन्तु समाज में उनकी निन्दा नहीं होगी ! उस समय सारा जगत् म्लेच्छ हो जाएगा- इसमें संशयम नहीं ! एक हाथ दूसरे हाथ को लूटेगा !

कलियुग में लोग शास्त्रों से विमुख हो जाएंगे ! अनैतिक साहित्य ही लोगों की पसंद हो जाएगा ! बुरी बातें और बुरे शब्दों का ही व्यवहार किया जाएगा ! स्त्री और पुरुष, दोनों ही अधर्मी हो जाएंगी ! स्त्रियां पतिव्रत धर्म का पालन करना बंद कर देगी और पुरुष भी ऐसा ही करेंगे ! स्त्री और पुरुषों से संबंधित सभी वैदिक नियम विलुप्त हो जाएंगे !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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