हमारे वेदों में और पाणिनी सूत्र में “जीवनी ऊर्जा चिकित्सा” का उल्लेख मिलता है ! वेदों के अनुसार जीवनी ऊर्जा को “प्राण शक्ति” का नाम दिया गया है ! यह प्राण शक्ति “वह” शक्ति है, जो प्रत्येक जीव में सतत रूप से कार्य करती है और जिसके क्षीण पड़ने पर व्यक्ति बीमार रहने लगता है और शरीर छोड़ देने पर व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है !
इस तथ्य के अनुसार मनुष्य में जीवनी ऊर्जा साक्षात ब्रह्म, प्रकृति या ईश्वरीय ऊर्जा के रूप में है ! हमारे ज्योतिष व आध्यात्मिक ग्रन्थों में इस जीवनी ऊर्जा का उल्लेख विस्तार से मिलता है ! जिनके अनुसार ऋषि-मुनि, महात्मागण साधना के द्वारा संवाहित जीवनी ऊर्जा से जनमानस की चिकित्सा किया करते थे !
इस पध्यति में “जीवनी ऊर्जा” के प्रवाह को रोग से प्रभावित भाग में या पूरे शरीर बढ़ा दिया जाता है ! इस चिकित्सा से प्रक्रिया के दौरान ही काफी हद तक त्वरित लाभ होता है ! जीवनी ऊर्जा चिकित्सा एक उत्प्रेरक के रूप में हमारे शरीर में बन्द पड़ी एक निश्चित रासायनिक प्रतिक्रिया को उचित अनुपात में पुनः प्रारम्भ कर देती है और हम स्वस्थ्य हो जाते हैं !
क्योंकि हमारी बीमारी का मूल कारण प्राकृतिक ऊर्जा का जीवनी ऊर्जा से तालमेल सही न होने के कारण शरीर की रासायनिक प्रतिक्रिया में असंतुलन पैदा होना ही है ! जिसे कोई भी जीवनी ऊर्जा चिकित्सा का जानकर व्यक्ति ठीक कर सकता है ! जैसे यीशु मसीह ठीक कर देते थे क्योंकि उन्होंने भी यह चिकित्सा पध्यति भी भारत आकर भारत के ही सन्तों से हिमालय में रह कर सीखी थी !
इसी पध्यति पर विशेष सत्र सनातन ज्ञान पीठ द्वारा गोल मार्केट, महानगर, लखनऊ में दिनांक 16, 17, 18, 19 मार्च 2019 को आयोजित कर रही है ! जिसका लाभ आप भी उठा सकते हैं !