“योनि तंत्र” एक प्रबल कौलिय क्षत्रिय तंत्र शास्त्र : Yogesh Mishra

भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता मोहनजोदारो के शिलालेखों पर स्पस्ट रूप से मान्धाता कोलिय वंश लिखा हुआ है जो की सूर्यवंशी प्रतापी राजा थे! पृथ्वी विजेता मान्धाता से ही कौली वंश का उदय हुआ मान्धाता के ही वंश में इष्वांकु पैदा हुए इष्वांकु वंश की नींव यही से पड़ी !

मान्धाता की 25वी पीढ़ी में भागवान राम का जन्म हुआ! अतः मतों के अनुसार भगवान् राम कौलिय इष्वांकु वंश के थे!

महाराष्ट्र में मराठा सासक शिवाजी की सेना में अधिकतर कौलिय क्षत्रिय थे ! शिवाजी के सेनापति तानाजी मालुसारे कौलिय क्षत्रिय वंश से ही थे ! जिन्हें शिवाजी शेर कह कर पूकारते थे ! महाराष्ट्र के मुम्बई का नाम कौलिय कुल देवी मुम्बा देवी के नाम पर रखा गया !

कौली राजपूत हैं जिनकी कई रियासतोंके बारे में इतिहास में लिखा हुआ है ! ब्रिटिश राज में सबसे ज्यादा कोलिय रियासत गुजरात में रही ! ब्रिटिश राज में राजपुतो पर क्रिमिनल एक्ट 1871 लगा दिया गया जिस बजह से कोलिओ ने अपना अलग अलग राज्य में जा कर अलग अलग व्यवसाय करने लगे उत्तरप्रदेश, दिल्ली,मध्यप्रदेश, राजस्थान में कपड़ो का व्यवसाय किया, पर अंग्रेजो द्वारा कपडे विदेशो से आने की बजह से दिन पर दिन स्थती ख़राब होती चली गयी ! ब्रिटिश राज में अंग्रेजो द्वारा कौलिओ पर लगाया गया क्रिमिनल एक्ट को देश आज़ाद होने क् बाद भी नहीं हटाया गया और इन्हें राज्य ट्राइब में डाल दिया गया इसी बजह से अलग अलग राज्यो में अलग अलग कैटेगिरी में आते हैं ! जिस बजह से सूर्यवंशी कौलिय वंश कौली जाती बन के रह गया !

हमारे प्राचीन वेद, महाकाव्य और अन्य अवशेष उनकी युद्धकला और राज्य प्रशासन में उनके महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख करते हैं ! हमारी प्राचीन संस्कृत पुस्तकों में उन्हें कुल्या, कुलिए, कोली सर्प, कोलिक, कौल आदि कहा गया है !

कौल वंश में एक विशिष्ट प्रकार के हिंदू तंत्र का प्रयोग किया जाता है ! जो शैव तंत्र की ही एक विधा है ! कौला वंश ( सिद्ध और नाथ परंपराओं से निकटता से जुड़ा हुआ है ) महिला गुरुओं को बहुत आदर सम्मान से मानते है ! इस पंथ में योगिनियों या स्त्रीयों का तंत्रों में बहुत ही महत्वपुर्ण स्थान होता है ! बिना शक्ति के तंत्र पंगु है !

इसलिये वह लोग स्त्री शक्ति के प्रति बहुत ही उच्च श्रद्धा भावना रखते है ! इन तंत्र शक्तियों की शक्ति के बारे में बहुत से तंत्र ग्रंथों में खूबसूरती से वर्णन मिलता है !

शक्ति की आराधना अर्थात योनी पूजा पर लिखी गयी “योनितंत्र” ग्रंथ सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ है ! इसका ग्रंथ में योनि पूजा का गुढ और गहन रहस्य का बिस्तार से वर्णन किया गया है ! योनि पूजा का वर्णन और तंत्र ग्रंथों में भी मिलता है ! लेकीन योनि तंत्र के जैसा गुढ और गहन वर्णन अन्य तंत्र ग्रंथो में नही मिलता है ! यह तांत्रिक पाठ शिव और पार्वती के बीच का संवाद है ! योनि पूजा तांत्रिकों द्वारा प्रचलित अति पूजनीय और रहस्यमयी साधना है ! यह साधना योनी पूजा को प्रकट करता है !

कुलचूडामणि तंत्र और बृहद नीला तंत्र दोनों में, कौला को निर्देश दिया जाता है कि जब भी वह किसी महिला को देखते है तो देखते ही मंत्र का पाठ शुरु कर देना चाहिए ! पारंपरिक ग्रंथों में निम्नलिखित वर्णन मिलते हैं !

“महिलाएं देवत्व हैं, महिलाएं जीवन हैं !
महिलाएं ही वास्तव में स्रष्टि के गहने हैं !”

“कुलसुम द्वारा आश्रय लिये जाने के बाद, एक महिला या युवती का ध्यान रखना चाहिये ! युवतियों या महिलाओं से कभी कठोर बात नहीं करनी चाहिए !”

-कौलाजननयारण्य-

कौला में हर स्त्रीयों को देवी का स्वरुप माना जाता है ! किसी भी पुरुष द्वारा किसी भी स्त्री पर कभी भी हाथ नहीं उठाना चाहिये ! उसे समझाया जाता है या धमकी दे सकता है ! जब वह नग्न होती है, तो पुरुषों को घुटने टेक कर उसे देवी रूप मानकर उसकी पूजा करनी चाहिए ! उसे सभी स्तरों पर पुरुषों के साथ समान अधिकार प्राप्त है !

स्त्री त्याग की प्रतिमुर्ति है ! स्त्री ममता की मुल है ! स्त्री जगतजननी हैं ! स्त्री सबसे ज्यादा तपस्या करती हैं ! स्त्रियां बुद्ध हैं और स्त्रीयां बुद्धि की पूर्णता हैं ! ब्रह्मा, बिष्णु और महेश सृष्टि, रखरखाव और विनाश के देवता माने जाते हैं ! यह तीनों भी तो योनी से ही उत्पन्न हुये है !

“दिव्य योनी करोड़ों सूर्य के समान तेजस्वी और करोड़ों चंद्रमाओं की तरह शांत होती है !”

-शिव संहिता-

“देवी योनी के आधार पर है और नागानंदिनी योनी में है ! काली और तारा योनी चक्र में हैं, और छिन्नमस्ता बालों में ! बागलुमुखी और मातंगी, योनी के रिम पर हैं ! महालक्ष्मी (कमलात्मिका), षोडशी (त्रिपुर सुंदरी), और भुवनेश्वरी योनी के भीतर हैं ! योनी की पूजा करने से निश्चित रूप से शक्ति की पूजा होती है !”

साधिका के लिये, योनी पूजा भाग्यशाली होती है ! यह आनंद और मुक्ति दोनों देती है ! एक योगिन भोगिन (आनंद का साधक) नहीं है और भोगिन योगिन नहीं है ! लेकिन यदि कोई योनी की पूजा करता है, तो वह कौला है, वह व्यक्ति है जिसके पास योग और भोग (भोग) दोनों हैं ! हे दुर्गा उसकी सभी पूजा योनि पूजा के बिना व्यर्थ है !”

“यह पूजा करने से शिवोहम होता है ! सुनो, पार्वती ! कृष्ण, राधा की योनी की पूजा करने के बाद, भगवान कृष्ण बन गए ! श्री राम ने सीता की योनि की पूजा की ! विष्णु, ब्रह्मा, संत, और मैं स्वयं सभी एक योनी से पैदा हुए है ! तीनों लोकों में कौन-सा ज्ञान योनी की भव्यता से मेल खा सकता है ?”

“योनि महामाया शक्ति है और लिंग सदाशिव है ! उनकी पूजा करते हुए, कोई जीवित होते हुए भी मुक्त हो जाता है, इसमें कोई संदेह नहीं है !”

“मुक्ति भोग के माध्यम से प्राप्त की जाती है ! भोग के माध्यम से सुख प्राप्त होता है ! इसलिये, हर प्रयास से, एक साधिका को एक आनंद बनना चाहिए ! बुद्धिमान व्यक्ति को हमेशा योनी के दोष, घृणा या शर्म से बचना चाहिए !”

आखिर यह योनि पूजा क्या है ? योनी पूजा एक पवित्र अनुष्ठान है ! जिसके दौरान योनी की पूजा की जाती है ! यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि योनी की पूजा करने से पहले योनी के बारे में सांसारिक विचारों से मन की शुद्धि करना बहुत जरूरी होता है ! इसके लिये विशेष तैयारी साधना है !

योनी ब्रह्माण्ड का रूप है और सृष्टि के रहस्यों को समाहित करती है ! शक्ति के रहस्य के सामने श्रद्धा एक मनोवृत्ति है ! जिसे योनी पूजा करने के लिये साधना की आवश्यकता होती है ! यही कारण है कि योनी तंत्र में स्पष्ट चेतावनी दिया गया है कि “पशुओं (जानवरों की प्रकृति वाले नर ) के सामने कभी भी योनी की पूजा नही करनी चाहिये !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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