आप सोच रहे होंगे कि राजनीतिक उठापटक से कमोडिटी बाजार में खड़े दलाल का क्या ताल्लुक है ! लेकिन ताल्लुक है और वह भी काफी गहरा है ! क्योंकि कमोडिटी बाजार जैसे एमसीएक्स, नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) और नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमएमसीई) सरकार द्वारा बनाया गया वह सट्टा बाजार है, जहां हजारों सटोरियह पैसा लगाते हैं !
यह वह बाजार हैं, जहां रातों-रात रोज मर्रा की वस्तुएं जैसे गेंहू, चावल, चीनी, दाल, आदि की कीमतों में उछाल या गिरावट दर्ज हाती है ! यह वह बाजार है, जो अप्रत्यक्ष रूप से आम आदमी और किसानों की कमर तोड़ रहा है ! इन बाजारों में चीनी, गुड़, सोना, चांदी या एल्युमिनियम पर पैसा नहीं लगाया जाता, बल्कि यहां खेला जाता है आम आदमी पर सट्टा ! उस आदमी पर जिसने अपना खून पसीना एक कर फसल उगाई और उस आदमी की भी जो परिवार का पेट पालने के लिये जद्दोजहद कर रहा है ! बढ़ती महंगाई के चलते जिनके बच्चों को सेब और अनार जैसे फल नसीब तक नहीं हो पाते !
कमोडिटी बाजारों के अस्तित्व में आने के बाद खुद प्रधानमंत्री सलाहकार समिति ने मार्च 2007 में संप्रग सरकार को सलाह दी थी कि वह कमोडिटी बाजारों में गेंहू, चावल और चीनी की खरीद-फरोख्त पर तत्काल रोक लगा दी जाए अन्यथा इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं ! पीएम की सलाहकार समिति के सुझाव पर कुछ दिन के लिये रोक लगाई गई, लकिन बाद में रोक हटा ली गई ! आलम यह है कि शेयर बाजारों की तरह कमोडिटी मार्केट में भी रोज उतार-चढ़ाव आते हैं !
पर आज भी आम जनता पैसे के इस खेल से अंजान है ! वह सिर्फ इतना जानती है कि सत्ता में बैठे लोगों की गलत नीतियां ही बढ़ती महंगाई के जिम्मेदार हैं ! कैसे काम करते हैं कमोडिटी बाजार हम आपको बताते चलें कि आखिर यह कमोडिटी बाजार क्या है !
यह वह बाजार हैं, जहां आप अप्रत्यक्ष रूप से खरीद-फरोख्त करते हैं ! यहां किसी कंपनी के शेयरों में उतार-चढ़ाव नहीं आता ! यहां सोचा, चांदी, तांबा, पीतल, एल्युमिनियम, गेंहू, चावल, चीनी, गन्ना, फल, आलू, प्याज, बैंगन, काली मिर्च, तेज पत्ता, इलाइची, आदि उन वस्तुओं की खरीद फरोख्त होती है, जो आम आदमी की जरूरत हैं ! सीधे तौर पर देखें तो कमोडिटी एक्सचेंज किसानों और उत्पादकों से सामान खरीद लेता है और उसके दाम इंटरनेट पर जारी करता है !
एक्सचेंज के सदस्य को यदि लगता है कि किसी वस्तु के दाम गिरे हैं, तो वह खरीद लेता है ! समय आने पर जब उसी वस्तु की डिमांड बढ़ती है और उसके दाम ऊपर चढ़ते हैं, तो एक्सचेंज का सदस्य उसे बेच देता है ! यानी यदि आपने 26,500 रुपए प्रति दस ग्राम में सोना खरीदा और कुछ दिन बाद दाम बढ़कर 38,000 प्रति दस ग्राम हो गया, और उसी दौरान आपने बेच दिया, तो आपको दस ग्राम सोने पर साढ़े ग्यारह हजार रुपए का सीधा मुनाफा हुआ !
इसी तरह फसल अच्छी होने पर यदि गेंहू के दाम गिर गए, तो आप उसे खरीद लेते हैं, बाद में जब बाजार में गेंहू की किल्लत होती है और दाम ऊपर चढ़ते हैं तो आप उसे बेच कर मुनाफा कमा सकते हैं ! खास बात यह है कि यह सारा व्यापार इंटरनेट पर होता है ! सभी खरीददारी अप्रत्यक्ष रूप से होती है ! अगर आपने 100 कुंतल गेंहू खरीदा तो वह आपके घर पर नहीं पहुंचेगा ! सिर्फ आपके नाम से 100 कुंतल गेंहू दर्ज हो जाएगा, हालांकि आप जब चाहे उसे कमोडिटी बाजार से उठा सकते हैं !
वास्तव में यह एक्सचेंज नहीं सट्टा बाजार है यह कमोडिटी एक्सचेंज को सट्टा बाजार का नाम हम नहीं दे रहे हैं बल्कि तमाम अर्थशास्त्री भी इसे सट्टा बाजार ही मानते हैं ! वह सट्टा बाजार जहां लोगों की कमाई के साथ खिलवाड़ होता है ! अब अर्थशात्रियों की बात आयी है तो हम उनकी भी राय लेते हैं ! सबसे पहले हम रिटेल एक्सपर्ट से बात करते हैं !
लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशस्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एमके अग्रवाल का कहना है कि कमोडिटी एक्सचेंज में व्यापार का सीधा प्रभाव आम लोगों की जेब पर पड़ता है ! यह एक तरह का सट्टा बाजार है, जहां से गुजरने के बाद खाद्य समग्री के दाम उससे कहीं ऊपर चढ़ जाते हैं, जितने में उत्पादक ने बेचा होता है ! इसका सबसे बड़ा कुप्रभाव यह है कि कमोडिटी बाजार का प्रभाव उत्पादक यानी किसान और उपभोक्ता यानी आम जनता पर सीधे पड़ रहा है !
अगर कोई मुनाफा कमा रहा है तो वह सिर्फ वह लोग हैं जो कमोडिटी शेयरों में पैसा लगा रहे हैं ! सीधे तौर पर देखें तो कमोडिटी शेयर में पैसा लगाने वाले इसी ताक में रहते हैं कि किस वस्तु का उत्पादन कम हो और वह उसी पर पैसा लगाएं ! क्योंकि दाम उसी के ऊपर चढ़ते हैं, जिसका उत्पादन कम होता है ! अंत में उपभोक्ता के पास वह वस्तु उसी दाम पर आती है, जो अंत में कमोडिटी बाजार में लगते हैं !
उदाहरण के तौर पर अगर आलू 5 रुपए प्रति किलो की दर से कमोडिटी बाजार में पहुंचा और उसका उत्पादन कम हुआ ! तो कमोडिटी बाजार में उसके दाम बढ़ने पर 25 रुपए किलो तक पहुंच जाता है, तो आम आदमी को आलू 25 रुपए में ही मिलेगा ! बीच के 20 रुपए उन लोगों के पास गए जिन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से खरीदे और बेचे ! सही मायने में कमोडिटी बाजार महंगाई बढ़ने का एक बड़ा कारण हैं !
घरेलू शेयर बाजार में पिछले करीब दो-तीन साल से जारी उठा-पटक और अनिश्चतता के माहौल ने बहुत से इक्विटी निवेशकों को दूसरे विकल्पों के बारे में सोचने को मजबूर किया है ! दूसरी ओर सोने-चांदी की आसमान छूती कीमतों के चलते काफी तादाद में छोटे निवेशक बुलियन में निवेश से छिटक गए हैं ! इन दोनों ही बाजारों से किनारा करने वाले निवेशकों की दिलचस्पी हाल के दिनों में कमोडिटी में बढ़ी है !
ऐसे में अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने और जोखिम को बैलेंस करने के लिये कमोडिटी में पैसे लगाने का चलन बढ़ता दिख रहा है ! कमोडिटी निवेश में निवेशकों की रुचि बढ़ने की एक अहम वजह यह भी है कि कमोडिटी बाजार काफी हद तक आर्थिक हालात के अनुरूप ही प्रतिक्रिया देता है ! यह खूबी न केवल आम निवेशक के लिये कमोडिटी बाजार की चाल को समझना आसान बनाती है, बल्कि पोर्टफोलियो का जोखिम घटाने में भी मदद करती है !
इसके अलावा कमोडिटी में निवेश बढ़ती महंगाई के खिलाफ निवेशक को ढाल भी मुहैया कराता है क्योंकि महंगाई दर बढ़ने पर कमोडिटी की कीमतों में इजाफा होता है ! ऐसे में निवेश पर महंगाई के असर को कम करने के लिये कमोडिटी में आपका निवेश होना बहुत जरूरी है ! देर से आने के बावजूद मानसून औसत के आसपास रहा है ! ऐसे में विश्लेषकों का मानना है कि कमोडिटी में निवेश पर लाभ की बेहतर संभावनायें हैं ! वर्तमान के डाटा संकलन का कार्य रोक दिया गया है !