महाऋषि दत्तात्रेय के 24 गुरु
ज्ञान पर किसी का कोई अधिकार नहीं है , यह कभी भी कहीं भी किसी से लिया जा सकता है
महर्षि दत्तात्रेय ने 24 गुरु किये थे | किस गुरु से उन्होंने क्या पाया इसकी सूची निम्न है :-
- पृथ्वी- सहनशीलता व परोपकार की भावना।2. कबूतर – कबूतर का जोड़ा जाल में फंसे अपने बच्चों को देखकर मोहवश खुद भी जाल में जा फंसता है। सबक लिया कि किसी से भी ज्यादा स्नेह दुःख की वजह होता है।3. समुद्र- जीवन के उतार-चढ़ाव में खुश व संजीदा रहें।
4. पतंगा- जिस तरह पतंगा आग की तरफ आकर्षित हो जल जाता है। उसी तरह रूप-रंग के आकर्षण व मोह में न उलझें।
5. हाथी – आसक्ति से बचना।
6. छत्ते से शहद निकालने वाला – कुछ भी इकट्ठा करके न रखें, ऐसा करना नुकसान की वजह बन सकता है।
7. हिरण – उछल-कूद, संगीत, मौज-मस्ती में न खोएं।
8. मछली – स्वाद के वशीभूत न रहें यानी इंद्रिय संयम।
9. पिंगला वेश्या – पिंगला नाम की वैश्या से सबक लिया कि केवल पैसों की आस में न जीएं। क्योंकि पैसा पाने के लिए वह पुरुष की राह में दुखी हुई व उम्मीद छोड़ने पर चैन
से नींद ली।10. कुरर पक्षी – चीजों को पास में रखने की सोच छोड़ना। यानी अकिंचन होना।
11. बालक – चिंतामुक्त व प्रसन्न रहना।
12. कुमारी कन्या – अकेला रह काम करना या आगे बढ़ना। धान कूटते हुए इस कन्या की चूड़ियां आवाज कर रही थी। बाहर मेहमान बैठे होने से उसने चूड़ियां तोड़ दोनों हाथों में बस एक-एक चूड़ी रखी और बिना शोर के धान कूट लिया।
13. शरकृत या तीर बनाने वाला – अभ्यास और वैराग्य से मन को वश में करना।
14. सांप – एकाकी जीवन, एक ही जगह न बसें।
15. मकड़ी – भगवान भी माया जाल रचते हैं और उसे मिटा देते हैं।
16. भृंगी कीड़ा –अच्छी हो या बुरी, जहां जैसी सोच में मन लगाएंगे मन वैसा ही हो जाता है।
17. सूर्य – जिस तरह एक ही होने पर भी अलग-अलग माध्यमों में सूरज अलग-अलग दिखाई देता है। आत्मा भी एक है पर कई रूपों में दिखाई देती है।
18. वायु – अच्छी बुरी जगह पर जाने के बाद वायु का मूल रूप स्वच्छता ही है। उसी तरह अच्छे-बुरों के साथ करने पर भी अपनी अच्छाइयों को कायम रखें।
19. आकाश – हर देश काल स्थिति में लगाव से दूर रहे।
20. जल – पवित्र रहना।
21. अग्नि – हर टेढ़ी-मेढ़े हालातों में ढल जाएं। जैसे अलग-अलग तरह की लकड़ियों के बीच आग एक जैसी लगती नजर आती है।
22. चन्द्रमा – आत्मा लाभ-हानि से परे है। वैसे ही जैसे कला के घटन-बढ़ने से चंद्रमा की चमक व शीतलता वही रहती है।
23. भौंरा या मधुमक्खी – भौरें से सीखा कि जहां भी सार्थक बात सीखने को मिले न छोड़ें।
24. अजगर – संतोष, जो मिल जाए उसे स्वीकार कर लेना।