आखिर जाति के नाम पर ब्राह्मणों पर अत्याचार कब तक : Yogesh Mishra

सवर्णों में एक जाति ब्राह्मण है ! जिस पर सदियों से राक्षस, पिशाच, दैत्य, दानव, यवन, मुगल, अंग्रेज, कांग्रेस, सपा, बसपा, वामपंथी, भाजपा, सभी राजनीतिक पार्टियाँ और आधुनिक कानूनों के ओट में हरिजन एक्ट और आरक्षण के नाम पर विभिन्न जातियाँ आक्रमण करती चली आ रही हैं !

बिना किसी प्रमाण का आरोप यह है कि ब्राह्मणों ने जाति का बांटकर सदियों तक गैर ब्राह्मणों का शोषण किया ! जबकि उसका मूल कारण यह था कि ब्राह्मणों की योग्यता, क्षमता, बुद्धि कौशल, तप समर्थ आदि के आगे अन्य सभी के प्रयास गौण रहे हैं ! इसलिये वह अपने में सुधार करने की जगह सदियों से ब्राह्मणों को ही दोष बतलाते चले आ रहे हैं !

सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद जो अपौरुषेय था ! जिसकी रचना ब्रह्मा जी ने की थी और वेदों का ज्ञान समस्त भू मण्डल पर बिखरा पड़ा था तब तो किसी को ध्यान नहीं आया ! लेकिन जब इसका संकलन ब्राह्मण पुत्र रावण ने कर दिया तो सबसे पहले कष्ट देवताओं के राजा इंद्र को हुआ और यह श्रेय कहीं रावण को न चला जाये ! इसके लिये इन्द्र ने रावण को अपयशी घोषित करने के लिये उसके ऊपर अपने ही वृद्ध अप्सरा रम्भा से बलात्कार तक का आरोप लगवा दिया !

काल के प्रवाह में जब वेदों का ज्ञान पुनः विलुप्त होने लगा तब फिर किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया और जब महर्षि पराशर के ब्राह्मण पुत्र ने इसका पुनः संकलन करना आरंभ किया तो गैर ब्राह्मणों ने इतना उधम मचाया कि उन्हें कुरुक्षेत्र छोड़ कर बद्रीनाथ पर्वत के आगे माना गाँव जाकर लेखन कार्य सम्पादित करना पड़ा ! बाद में उन्होंने वहीँ पर अट्ठारह पुराण, महाभारत, गीता आदि की रचना की जिसमें उन्हें कोई जन सहयोग नहीं मिला !

ब्राह्मणों पर जाति व्यवस्था का आरोप लगाने वाले शायद यह नहीं जानते कि ब्राह्मणों के ही गुरुकुलों में इन ब्राह्मण विरोधियों के पूर्वज यंत्रसर्वस्वम् इंजीनियरिंग, वैमानिक शास्त्रम् विमान बनाने की कला, सुश्रुतसंहिता से सर्जरी चिकित्सा, चरकसंहिता से आयुर्वेद चिकित्सा, अर्थशास्त्र, सैन्यविज्ञान, राजनीति, युद्धनीति, दण्डविधान, कानून आदि की कई महत्वपूर्ण शिक्षा लिया करते थे ! तब उनके घर की रोटी चलती थी !

ऐसे ही छन्दशास्त्र, नाट्यशास्त्र, शब्दानुशासन, परमाणुवाद, खगोल विज्ञान, योगविज्ञान सहित प्रकृति और मानव कल्याणार्थ समस्त विद्याओं का संचय अनुसंधान एवं प्रयोग हेतु ब्राह्मणों ने अपना संपूर्ण जीवन भयानक जंगलों में, घोर दरिद्रता में बिताया है ! तब जा कर आज के विकसित समाज की चमक दमक दिख रही है ! और भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने का सपना देख पा रहे हो ! आज विश्व उन्हीं ब्राह्मणों द्वारा लिखे गये ग्रंथों के आगे नतमस्तक है !

वह भी तब जब तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों में आग लगाकर करोड़ों करोड़ पांडुलिपियों को जला दिया गया और बची हुई पांडुलिपि ब्राह्मणों की हत्या करके पूरे भारत से लूट ली गई ! इसके बाद भी यह ब्राह्मण ही है जो हजार अत्याचार सहने के बाद भी और अपने पूर्वजों की हत्या करवाने के बाद भी भारत के आम समाज के उत्थान के लिये आज भी निरंतर चिंतनशील है !

और दूसरी तरफ विदेशों से पैसा पाकर ईसाई, बौद्ध और मुसलमान हो जाने वाले राष्ट्रद्रोही धर्मद्रोही लोग जो आज भी सनातन हिंदू धर्म का परित्याग करने के बाद भी जबरदस्ती इस लिये हिन्दू बने हुये हैं कि आरक्षण द्वारा सरकारी नौकरी और निर्बल आर्थिक वर्ग का लाभ मिल सके ! अर्थात बिना परिश्रम के ब्राह्मणों के टैक्स से हरामखोरी में लाभ उठाने को मिल सके !

जिन ब्राह्मणों ने राष्ट्र रक्षा के लिये मुगलों, यवनों, अंग्रेजों और राक्षसी प्रवृत्ति के लोंगों से टक्कर ली और भयानक अत्याचार सहे उन्हें यह दो पैसे के वामपंथी इतिहासकार बताते हैं कि वह विदेशी हैं ! उनकी नश्ल यूरेशियन है और उनके पूर्वज बाहर से आये थे !

अरे मानसिक विकलांग वामपंथियों तुम यह देखो कि तुम्हारी यह विकृत मानसिकता जो विदेशी पैसों पर राष्ट्र के अंदर नंगा नाच कर रही है ! वह कहां से आई है !

हम ब्राह्मण हैं ! हमने अहंकारी भगवान विष्णु के भी सीने पर लात मार कर उसे यह बतला दिया था कि हम कभी किसी से नहीं डरते ! तुम्हारी औकात ही क्या है ! यह राष्ट्र हमारा है ! हम हजार अत्याचार सह कर भी अपने राष्ट्र की रक्षा करेंगे ! तुम्हारे जैसों की औकात नहीं है कि तुम हमारे राष्ट्र में हमारे खिलाफ कोई जहर घोल सको !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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