बाबा रामदेव द्वारा उत्पादित पतंजलि गाय का देशी घी जो कि भारतीय प्राचीन नस्ल के गौवंश के दूध से संग्राहित एंव भारतीय पुरातन पद्धति द्वारा निर्मित नहीं होने के कारण
(जैसे कि बाबा रामदेव दावा करते है ) राजीव भाई के मित्र योगेश मिश्र जी ने बाबा रामदेव को एक विधिक नोटिस भेजा है तथा एक मास के अंदर स्पष्टीकरण का अवसर दिया है
यदि एक माह के अंदर बाबा रामदेव की तरफ से इस पर कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया जाता तो योगेश जी इस मामले को लेकर न्यायालय जाएंगे ।
बाबा रामदेव का कहना है कि पतंजलि योगपीठ की घी उत्पादन ईकाई मे प्रतिदिन 100 टन ( 1 लाख लीटर ) से अधिक गाय के देशी घी का उत्पादन होता है ,अब आश्चर्य की बात ये है कि हमारे भारत मे जहां एक ओर देसी भारतीय नस्ल के गौवंश की संख्या बहुत ही सीमित रह गई है ऐसे मे प्रतिदिन 100 टन ( 1 लाख लीटर ) भारतीय नस्ल के गौवंश के दूध से बने घी का उत्पादन बाबा रामदेव के लिए कैसे संभव है ? बाबा रामदेव अपने घी मे स्वर्ण गुण (जो हल्का पीला रंग दिखाई देता है ) होने का दावा करते है ,और पतंजलि के घी के डिब्बे पर भी भारतीय गौवंश की तस्वीर बनी होती है और जैसा की आप लोग जानते है स्वर्ण गुण तो भारतीय नस्ल के गौवंश के दूध मे ही होता है ,विदेशी (जर्सी,होलिस्टियन ) की गायों मे नहीं । तो इसका यही अर्थ निकलता है यदि बाबा रामदेव पतंजलि के घी मे स्वर्ण गुण होने का दावा करते है तो ये घी भारतीय गौवंश के दूध से बना है , इसलिए इस बात पर संदेह होना स्वाभाविक कि यदि पतंजलि का घी भारतीय गौवंश के दूध का बना है तो क्या प्रतिदिन भारतीय गौवंश के दूध से पतंजलि के लिए 100 टन ( 1 लाख लीटर ) घी उत्पादन करना संभव है ?? यदि नहीं तो इसका अर्थ यही माना जाएगा कि बाबा रामदेव घी बेचने के नाम पर लोगो को भ्रमित कर रहे है, धोखा दे रहे है । अपने घी की गुणवक्ता को सिद्ध करने के लिए बाबा रामदेव भारतीय अति प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ धन्वतरि निघुंन्ठ के श्लोक का प्रमाण देते है लेकिन धन्वतरि निघुंन्ठ के श्लोक मे जिस गौवंश की बात कही गई है वो भारतीय नस्ल का गौवंश है ।
ऐसे ही पतंजलि के घी पर कुछ अन्य प्रश्नो को लेकर राजीव भाई के मित्र योगेश जी ने बाबा रामदेव को विधिक नोटिस भेजा है , तथा एक मास के अंदर स्पष्टीकरण का अवसर दिया है। आपको योगेश जी के विषय मे जानकारी के लिए बता दें कि योगेश जी ने संविधान पर शोधकार्य कर भारत की स्वतंत्रता के गुप्त समझोते के रहस्य को सर्वप्रथम 1994 मे सार्वजनिक किया था ,तब के राष्ट्रीय अखबारों,मैगजीनों मे छपे उनके सारे लेख एंव शोधपत्र आज भी उपलब्ध है ,तथा इस गुप्त समझोते को सार्वजनिक करने हेतु योगेश जी अनेकों बार न्यायलयों मे गये राजीव भाई के व्यख्यानों मे जो भी बातें आप भारत की आजादी ,अँग्रेजी कानून , आदि को लेकर सुनते है वो योगेश जी की ही देंन है । वर्ष 2002 ‘पूर्ण गौवध निषेध अधिनियम’ लागू करवाने मे भी योगेश जी ने अहम भूमिका निभाई थी,