हिटलर को रुसी सेना ने नहीं बल्कि प्रशिक्षित रुसी कुत्तों ने हराया था ! : Yogesh Mishra

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एडोल्फ़ हिटलर के नेतृत्व में जर्मनी की नाज़ी सेना हर जगह फ़तेह हासिल कर रही थी ! नाज़ी सेना से ब्रिटिश साम्राज्य ही नहीं पूंजीवादी अमेरिका भी परेशान था ! पोलैंड, इटली जैसे पड़ोसी देश हिटलर की मदद करने को तैयार थे ! इसलिये द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर की ताक़त इतनी ज़्यादा बढ़ गई थी कि जर्मनी ने ब्रिटेन, अमेरिका, फ़्रांस, रूस जैसी महाशक्तियों से सीधे दुश्मनी मोल ले ली थी !

हिटलर की ताक़त से यह महाशक्तियां इस कदर परेशान हो गयीं थी कि अंटार्कटिका युद्ध के समय ब्रिटेन और फ़्रांस को दुम दबाकर भागना पड़ा था ! अमेरिका उस समय तक युद्ध में शामिल नहीं था ! इस क़ामयाबी के बाद हिटलर का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर था ! अब उसका एक ही लक्ष्य था विश्व के साम्राज्यवादी और पूंजीवादी देशों को ख़त्म करना था !

तभी अमेरिका और ब्रिटेन के कुटिल दिमाग ने एक जान चली ! उन्होंने रेडियो और समाचार पत्रों के माध्यम से रूस में यह सूचना फैलायी कि बहुत जल्दी ही हिटलर रूस पर आक्रमण करने वाला है और दूसरी तरफ जर्मन में यह सूचना है फैलायी की रूस अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की मदद में बहुत जल्दी ही जर्मन के विरुद्ध युद्ध करेगा !

इसके साथ ही जर्मन के जासूसों को अपनी तरफ मिलाकर ब्रिटेन और अमेरिका ने हिटलर की निगाह में इस सूचना की पुष्टि भी करवा दी ! अतः गलत सूचना से भ्रमित होकर हिटलर ने रूस पर आक्रमण करने का आदेश दे दिया !

जिससे सोवियत रूस के खेमे में खलबली मच गई ! शीघ्र ही नाजी सेना ने सोवियत में घुसकर तबाही मचानी शुरू कर दी थी ! लेकिन अभी तक उनका सामना रूसी सेना से नहीं हुआ था ! तो हिटलर को लगा कि सोवियत कम जनसंख्या वाला देश है और अत: रुस में सेना भी ज़्यादा बड़ी नहीं होगी ! मगर यहीं हिटलर यहां मात खा गया !

एक सोची समझी रणनीति के तहत रूस ने नाजी सेना का तब तक सामना नहीं किया जब तक कि वह पूरी तरह से थक न जायें ! इसके लिये रुसी सेना ने हिटलर की सेना को आसानी से अपनी सीमा में प्रवेश करने दिया ! हिटलर की सेना को लगा कि सोवियत रूस को जीतना तो बहुत आसान है लेकिन वह उल्टा सोवियत के बिछाये जाल में फंसते चले गये !

एक ओर नाज़ी सेना लगातार आगे बढ़ती जा रही थी ! वहीं दूसरी ओर रुसी सेना सही समय का इंतज़ार कर रही थी ! बरसात का मौसम आते ही युद्ध का मैदान भारी बर्फबारी से दलदल का रूप ले चुका था ! बस यहीं से सोवियत ने अपने पत्ते फेंकने शुरू किये और नाज़ी सेना को आगे सरलता से बढ़ने दिया और ख़ुद खाने-पीने की सामग्री को नष्ट करते हुये पीछे हटती रही थी और पीछे से नाजी सेना की फ़ूड सप्लाई चेन काट दी ! धीरे-धीरे नाजी सैनिक भूख – प्यास, बर्फ, ठण्ड और दलदल में आगे बढ़ते-बढ़ते थक गये थे ! तभी रूसी सेना ने उन पर धावा बोल दिया !

अपनी योजना के तहत सोबियत सेना ने लाखों कुत्तों को एकजुट कर उन्हें कई दिनों तक भूखा रखा ! इसके बाद टैंक के पास खाना रखकर इन भूखे कुत्तों को छोड़ दिया जाता था ! जिससे भूखे कुत्ते टैंक देखते ही दौड़ पड़ते थे !

इस तरह कई दिनों तक इन कुत्तों की इसी तरह की ट्रेनिंग चलती रही ! अब रुसी सेना अपनी इस योजना के साथ तैयार थी ! उन्होंने कुत्तों की पीठ पर बम बांध दिये गये और जैसे ही नाजी सेना के टैंक दिखे उन्हें छोड़ देते थे ! जैसे ही कुत्ते खाने की तलाश में टैंक के पास दौड़ते हुये पहुंचते रूसी सेना कुत्ते की पीठ पर लगे बम से इन टैंकों को उड़ा देती थी !

अब हिटलर की नाज़ी सेना रूसी सेना के आगे बेबस नज़र आ रही थी ! सोबियत ने एक-एक करके नाज़ी सेना के सारे टैंक उड़ा दिये ! इस दौरान अधिकतर नाज़ी सैनिक भूख और ठण्ड से मारे गये जबकि कुछ को बंधक बना लिया गया ! इस तरह रूस ने जर्मनी की नाजी सेना को प्रशिक्षित कुत्तों की मदद से हराकर कर द्वितीय विश्व युद्ध ख़त्म कर दिया !

तभी से रूस व चीन में स्थाई पशु पक्षी सेना भी होने लगी है ! जिसमें कुत्ता, भेड़िया, कबूतर, बाज, तोता, बन्दर, चीते आदि प्रशिक्षित किये जाते हैं !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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