क्या कैलाश पर्वत का सम्बन्ध दूसरे लोक से भी है ! : Yogesh Mishra

कैलाश पर्वत इसे दुनिया का सबसे बड़ा रहस्यमयी पर्वत माना जाता है ! यहां अच्छी आत्मायें ही रह सकती हैं ! इसे अप्राकृतिक शक्तियों का केंद्र माना जाता है ! यहाँ साधना करके प्रकृति के सामान्य क्रम को बदला जा सकता है ! इसीलिये रावण जैसे परम शक्तिशाली न जाने कितने देव दानव सुर असुर यक्ष किन्नर आदि ने यहाँ आकर सालों साल तपस्या करके दिव्य शक्तियां प्राप्त कीं थी !

यह पर्वत पिरामिडनुमा आकार का है ! वैज्ञानिकों के अनुसार यह धरती का वह केंद्र है जो सीधे अन्य ब्रह्माण्डों से संपर्क रखता है ! इसीलिये इसे एक्सिस मुंडी अर्थात धरती की नाभि कहा जाता है ! यह आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव के मध्य का केंद्र है ! इस तरह यह आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है !

राशियों के वैज्ञानिकों अनुसार एक्सिस मुंडी वह स्थान है ! जहां अलौकिक शक्ति का प्रवाह निरंतर होता रहता है और यहीं पर आप उन दिव्य शक्तियों के साथ आसानी से संपर्क कर सकते हैं ! तभी दिव्य तपस्वी यहाँ गुप्त साधना करते हैं !

कैलाश पर्वत की संरचना कम्पास के चार दिक् बिंदुओं के समान है और एकांत स्थान पर स्थित है ! यहां दूर दूर तक कोई भी बड़ा पर्वत नहीं है ! कैलाश पर्वत पर चढ़ना निषिद्ध है ! पर 11वीं सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी “मिलारेपा” ने इस पर चढ़ाई की थी ! विस्तृत जानकारी के लिये राशियों के वैज्ञानिकों की एक खास रिपोर्ट ‘यूएनस्पेशियल’ मैग्जीन के 2004 के जनवरी अंक में प्रकाशित हुई थी ! उसे पढिये !

कैलाश पर्वत चार महान नदियों के स्रोतों से घिरा है- सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलुज और कर्णाली या घाघरा तथा दो सरोवर इसके आधार हैं ! पहला, मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार सूर्य के समान है तथा राक्षस झील जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार चन्द्र के समान है ! यह दोनों झीलें सौर और चन्द्र बल के अनुसार क्रिया करती हैं ! जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से भी है ! इसके दक्षिण में एक प्रकृति द्वारा बनाया हुआ स्वस्तिक चिह्न देखा जा सकता है !

कैलाश पर्वत और उसके आसपास के वातावरण पर अध्ययन कर चुके राशियों के वैज्ञानिकों ने जब तिब्बत के मंदिरों में धर्मगुरुओं से मुलाकात की तो उन्होंने पता चला कि कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह है जिसमें तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरु अन्य ग्रहों के निवासियों के साथ टेलीपैथिक द्वारा संपर्क करते हैं ! यह पर्वत एक विशालकाय पिरामिड है जिसका वर्णन प्राचीनतम वैष्णव ग्रन्थ रामायण में भी मिलता है !

इसके तीन तरफ तीन गुप्त साधना केंद्र हैं ! पहला है-“ज्ञानगंज मठ” दूसरा “सिद्ध विज्ञान आश्रम” और तीसरा ”योग सिद्धाश्रम” ! कुछ लोग सिद्धाश्रम और शंग्रीला घाटी को एक ही मानते हैं ! पर मेरे शोध के अनुसार शंग्रीला घाटी का अस्तित्व इन तीनों से अलग है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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