*** पूजा-अर्चना में पुष्पों का महत्व***
फूल सुगंध और सौंदर्य के प्रतीक हैं। हम पूजा के दौरान भगवान को इसी भाव से फूल चढ़ाते हैं कि हमारा जीवन भी सुगंध और सौंदर्य से भरा हो। जिस देवता को जो रंग प्रिय है, हम उस रंग के फूल अर्पित करते हैं तो पूजा सफल होती है। आइए जानें कौन देवता किस रंग के फूल से प्रसन्न होते हैं।
श्रीगणेशजी : एकदंत-दयावंत चारभुजाधारी भगवान गणेश को तुलसी दल के अलावा सभी प्रकार के पुष्प अत्यंत प्रिय हैं। हरी दूर्वा भी चढ़ाना चाहिए।
महादेव शिव : सफेद रंग के फूलों से शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। कारण शिव कल्याण के देवता हैं। सफेद शुभ्रता का प्रतीक रंग है। जो शुभ्र है, सौम्य है, शाश्वत है वह श्वेत भाव वाला है।
भगवान सूर्य : लाल फूल सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं। पूजा में सूर्य को लाल रंग के फूल चढ़ाने का विधान हैं। सूर्य को लालिमा प्रिय है। वे तेज के पुंज हैं। लाल रंग तेज का प्रतीक है। सूर्य की उपासना कुटज के पुष्पों से किए जाने का विधान है। इसेक अतिरिक्त कमल, कनेर, मौलसिरी, चंपा, पलाश, आक और अशोक के फूल भी चढ़ाए जा सकते हैं। सूर्य भगवान को तगर अर्पित करना वर्जित है।
भगवती गौरी : मां गौरी को कनेर, बेला, पलाश, चंपा-चमेली और सफेद कमल के पुष्प भी अर्पित किए जाते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण : कृष्ण मुरारी को कुमुद, करवरी, चणक मालती, नंदिक, लाश और वनमाला के फूल खासे प्रिय हैं।
लक्ष्मीजी : धनलक्ष्मी को कमल-पुष्प सर्वाधिक प्रिय हैं। कमल की आठ पंखुडियां मनुष्य के अलग-अलग 8 गुणों की प्रतीक हैं, ये गुण हैं दया, शांति, पवित्रता, मंगल, निस्पृहता, सरलता, ईष्र्या का अभाव और उदारता है।
भगवान विष्णु : विष्णु को कमल, मौलसिरी, जूही, कदंब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वैजयंती, चंपा ओर बसंती प्रिय हैं।
मां सरस्वती : ज्ञान और संगीत की देवी है। शुभ्रता की प्रतीक। उन्हें सफेद गुलाब, सफेद कनेर, चम्पा एवं गेंदे के फूल से मां खुश होती हैं। इससे ज्ञान एवं बौद्घिक क्षमता बढ़ती है।
काली : कालरात्रि का प्रिय फूल माता काली एवं कालरात्रि को गुरहल का फूल बहुत पसंद है।
फूल चढ़ाने के तौर-तरीके भगवान को ताजे, बिना मुरझाए तथा बिना कीड़ों के खाए हुए फूल डंठलों सहित चढाने चाहिए।