नई शिक्षा नीति बाबू नहीं वैश्विक मजदूर बनायेंगे : Yogesh Mishra

ए. आई. अर्थात आर्टिफिसियल इटेलिजेंस या कृतिम बौद्धिकता के आने के बाद वैसे भी पूरी दुनियां में अब बाबू की जगह बौद्धिक मजदूरों की मांग बढ़ी है ! अगर किसी भी राष्ट्र के भविष्य को समझना हो तो मात्र उस राष्ट्र की शिक्षा नीति को समझ लेना ही पर्याप्त होता है !

अंग्रेजों ने भारतीय गुरुकुलों को उजाड़ कर पूरी दुनियां में अपने उपनिवेश को चलाने के लिए कार्यालय के बाबू को बनाने हेतु जिस शिक्षा नीति का प्रयोग किया था ! वह देश के आजादी के बाद भी 70 साल तक कमोवेश थोड़े मोड़े सुधारों के साथ वैसी ही चलती रही ! किसी भी राजनीतिज्ञ ने उस पर ध्यान नहीं दिया !

उसका परिणाम यह हुआ कि भारत की तीन पीढ़ी अपना समस्त पुरुषार्थ लगा देने के बाद भी बाबू के अलावा और कुछ न बन पायी !

इस कमी को गहराई से देखते समझते हुए वर्तमान शिक्षा विदों ने भारत की शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने के लिए भारत के परंपरागत शिक्षा पद्धति में अमूल चूल परिवर्तन करने का निर्णय लिया !

किंतु दुर्भाग्य यह है कि वर्तमान शिक्षा पद्धति में भी कई ऐसी महत्वपूर्ण कमियां हैं ! जिसके कारण भारत के बच्चों का भविष्य उज्जवल में नहीं है ! कल तक वह बाबू बनते थे अब भविष्य में मजदूर बन जायेंगे !

इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि आत्ममुग्ध तथाकथित शिक्षाविद अपनी समालोचना सुनना ही नहीं चाहते हैं ! क्योंकि वह सत्ता से पोषित हैं ! परिणाम स्वरूप आम आवाम को वर्तमान शिक्षा नीति की कमियों से अवगत कराने के लिए मुझे लेखनी उठानी पड़ी !

पहला और महत्वपूर्ण बिन्दु राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा पर जी.डी.पी. का छह फीसदी खर्च करने की बात 1966 से कोठारी कमीशन के समय से कही जा रही है लेकिन यह लागू कैसे हो, इस पर आज तक सभी शिक्षा विद चुप हैं ! इसको लेकर कोई कानून बनाने का साहस कोई नहीं जुटा पा रहा है !

अत: शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार के तहत लाने को लेकर वर्तमान शिक्षा नीति में साफ तौर पर कुछ नहीं बोला गया है !

अभी शिक्षा के अधिकार के तहत आठवीं तक शिक्षा फ्री है ! छह साल में बनाई गई इस शिक्षा नीति में अगर आपने फन्डिंग और कानूनी दायरे जैसे बुनियादी प्रश्न ही हल नहीं किये हैं, तो वर्तमान शिक्षा नीति का क्रियान्वयन मुश्किल ही नहीं असंभव है !

दूसरी बात बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन प्रदान करना सरकार की ज़िम्मेदारी है ! पूरी दुनिया में जहां भी अच्छी शिक्षा व्यवस्था है, वहां सरकार खुद इसकी ज़िम्मेवारी लेती है लेकिन इस नई शिक्षा व्यवस्था में सरकारी स्कूल पर लक्ष्य की ज़िम्मेदारी को लेने का कोई सीधा ज़ोर नहीं दिया गया है बल्कि इसमें प्राइवेट संस्थानों को बढ़ावा देने की बात कही गई है ! जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी प्राइवेट संस्थाओं को शिक्षा की दुकान करार दिया है इसलिए हमें प्राइवेट स्कूलों के बदले सरकारी शिक्षा पर ज़ोर देना चाहिये था जो नहीं दिया गया !

तीसरी बात नई शिक्षा नीति के बुनियादी सिद्धांत अच्छे हैं, लेकिन इनका पालन कैसे हो, इसे लेकर स्पष्टता नहीं है ! यह भविष्य की ज़रूरतों को सामने रखती है, लेकिन आज की अव्यवस्था को कैसे सुधारा जाएं, इस नई शिक्षा नीति चुप्पी है !

चौथी बात कम उम्र के बच्चों को आंगनबाड़ी और प्री प्राइमरी दोनों तरह की शिक्षा की बात इसमें कहीं गई है ! ऐसे में उनके लिए समान शिक्षा कैसे संभव होगी ? यह एक बड़ा प्रश्न है !
एक बच्चे को आंगनबाड़ी सेविका पढ़ाएगी और दूसरे को स्कूल में प्रशिक्षित टीचर से शिक्षा मिलेगी ! उनके बीच बराबरी कैसे आएगी ? इस पर भी नई शिक्षा नीति मौन है !

पांचवीं बात नई शिक्षा नीति में वोकेशनल कोर्स को बढ़ावा देने की बात भी कही गई है लेकिन इस कोर्स के बच्चों का यूनिवर्सिटीज में एडमिशन नहीं हो पाता है ! ऐसे बच्चे ग्रैजुएशन की डिग्री के बाद भी सिविल सर्विसेज की परीक्षा में भी नहीं बैठ सकते हैं ! इस पर भी नई शिक्षा नीति की पॉलिसी चुप्प है !

छठी बात पॉलिसी में बोर्ड परीक्षा को आसान करने की बात कही गई है, जबकि मुद्दा आसान और कठिन का है ही नहीं बल्कि बच्चों की समझने की क्षमता का मूल्यांकन करना है, न कि उनकी रटने की क्षमता का मूल्यांकन करना ! इससे ऐसा लगता है कि पॉलिसी पुरानी मान्यता के बोझ से ग्रसित है ! आज दुनिया में शिक्षा के क्षेत्र में पूरी दुनियां में क्या क्या नये प्रयोग हो रहे हैं ! इस पर विचार करने में नई शिक्षा नीति पूरी तरह से विफल रही है !

सातवीं बात अगर उच्च शिक्षा में एडमिशन के लिए एक स्वतन्त्र एजेंसी द्वारा टेस्ट होने हैं, तब बोर्ड की परीक्षा क्यों कराई जा रही है, इस पर भी विचार करना चाहिए !

आठवीं बात नई नीति में मल्टी डिसीप्लिनरी उच्च शिक्षण संस्थाओं की बात कही गई है लेकिन विषय केंद्रित स्पेशलिस्ट संस्थाओं को खत्म करने की बात कही जा रही है जबकि देश में दोनों तरह के संस्थान हैं और सबकी अपनी ज़रूरत है ! यह पॉलिसी सेक्टर स्पेसिफिक संस्थाओं को बर्बाद करने पर आधारित है !

ऐसा लगता है जैसे आई. आई. टी. में ऐक्टिंग सिखाने और एफ. टी. टी. आई. में इंजीनियरिंग सिखाने का काम भविष्य में नई शिक्षा नीति के तहत किया जायेगा !

नौवीं सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नई शिक्षा नीति में स्कूलों को स्वायत्तता देते हुए इंस्पेक्टर राज कैसे खत्म होगा ! इसकी चर्चा कहीं नहीं की गयी है !

कुल मिलाकर कहने का तात्पर्य यह है कि नई शिक्षा नीति में पुरानी शिक्षा नीति को जबरदस्ती घुसने का प्रयास किया गया है ! जिससे शिक्षा माफियाओं और शिक्षा विभाग के घूसखोर अधिकारियों के अलावा और किसी का कोई भला नहीं होने वाला है !

यह हाथी के दिखाने वाले दांत हैं ! इससे समाज का कोई लाभ नहीं निकलेगा बल्कि दूसरे शब्दों में कहा जाए के अंग्रेजों की बाबू बनाने की शिक्षा नीति के स्थान पर अब आधुनिक विश्वव्यापी मजदूर बनाने की शिक्षा नीति लागू कर दी गई है ! इससे इतर कुछ भी नहीं है !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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