ऐसा नहीं है कि इस पृथ्वी पर पहले कभी महामारी नहीं आयी या भविष्य में अब कभी नहीं आयेगी ! यह महामारी का क्रम मनुष्य की उत्पत्ति के साथ सदैव से चला आ रहा है और जब तक मनुष्य है यह सब कुछ समय समय पर ऐसे ही चलता रहेगा !
क रोना से पहले इस पृथ्वी पर हैजा, प्लेग, चेचक, तपेदिक, एच.आई.वी., इन्फ्लूएंजा, टायफायड, मलेरिया, मानसिक ज्वर, फ्लू, डेंगू.और न जाने कौन कौन सी महामारी आयी हैं ! जिसने मानवता को सदैव से खतरे में डाला है !
इनमें से कुछ महामारी स्वाभाविक हैं और कुछ मानव द्वारा निर्मित ! क रोना वास्तव में एक मानव निर्मित महामारी है ! इसे जैविक विश्व युद्ध का नाम भी दिया जा सकता है ! किंतु सनातन इतिहास में सदैव-सदैव से शैव वैष्णव संस्कृत के अंतर्गत शैवों के दमन और उन पर अतिक्रमण के लिये वैष्णव सदैव से इसी तरह के हजारों हथकंडे अपनाते रहे हैं ! या दूसरे शब्दों में शैवों पर तरह-तरह के जीवाणु हमले समय-समय पर करते रहे हैं ! और भगवान शिव ने मनुष्य को सदैव इन घातक जीवाणुओं से बचाया है !
होता यह है कि जब हम भगवान शिव की आराधना करते हैं, तो भगवान शिव को चढ़ाये जाने वाली पांच सामग्री और पंचामृत धतूरा, बेलपत्र, शमी पत्र, भांग, शमशान की भभूत आदि यह सब एक अदभुत औषधि है ! जो हमारे शरीर के अंदर रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता को बहुत तेजी से बढ़ाती है ! और पंचामृत जिसमें दूध दही घी शहद और गौमूत्र होता है यह हमें जीवनी शक्ति देती है !
जिससे हमारे शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता के बढ़ जाने से विषाणुओं के हमले हमारा कुछ नहीं कर पाते हैं ! यही भगवान शिव की आराधना का लाभ है !
श्रावण मास में सबसे अधिक विषाणु के हमले होते हैं ! इसीलिये पूरा का पूरा श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित रहता है ! वैष्णव ने जब अमृत की चाहत में समुद्र मंथन किया तो उसमें अमृत से पहले हलाहल विष निकल आया था और सभी वैष्णव देवता घबरा कर भागने लगे ! पृथ्वी पर त्राहि त्राहि मच गयी ! तब भगवान शिव ने ही आगे बढ़ कर उस हलाहल विष को अपने कंठ में रख लिया और उस विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया ! इसीलिये वह नीलकंठ कहलाये !
मैं अपने निजी अनुभव में यह देख रहा हूं कि जो लोग नियमित रूप से भगवान शिव की साधना और आराधना कर रहे हैं ! वह क रोना संक्रमण से मुक्त हैं ! आप बतलाईये कोई भी शमशान साधक या शैव उपासक मारा क्या ? अर्थात दूसरे शब्दों में कहा जाये कि क रोना का विषाणु शैव उपासकों को कोई भी क्षति नहीं पहुंचा पा रहा है !
मेरी यह राय है कि जब विज्ञान के सब दरवाजे बंद हो जाते हैं ! तब ईश्वर अपने भक्तों की मदद के लिये अपनी बाहें फैला देता है ! यह वही काल है ! ईश्वर की ऊर्जाओं का स्वागत कीजिये ! भगवान शिव की आराधना कीजिये और क रोना पर विजय प्राप्त कीजिये !
क्योंकि क रोना का प्रकोप किसी भी हाल में भगवान शिव के कंठ में स्थापित हलाहल विष से ज्यादा भयानक नहीं है ! यदि भगवान शिव की कृपा आपने प्राप्त कर ली है तो इस सृष्टि में कोई विपत्ति आप तक पहुंच नहीं सकती है ! इस विश्वास के साथ भगवान शिव की आराधना कीजिये और भय मुक्त जीवन यापन कीजिये !
आप नियमित रूप से रूद्र अभिषेक करिये और यदि ऐसा संभव न हो तो भगवान शिव को पंच सामग्री अर्पित कर पंचाक्षरी मंत्र का जाप अवश्य कीजिये ! यह आपको सभी तरह के रोगों से मुक्त रखेगा और महामारी में आप ही नहीं आपके परिवार की भी रक्षा करेंगा !!