आखिर हिंदुओं की सरेआम हत्या कब तक होगी ? Yogesh Mishra

भारत के तथाकथित “राष्ट्रवादी” सामाजिक और राजनैतिक संगठनों का पूर्व के सत्ताधीश राजनीतिक दल पर यह आरोप था कि उस राजनीतिक दल का संसदीय मुखिया “कुछ बोलता ही नहीं” और राजनैतिक मुखिया क्योंकि “विदेशी पृष्ठभूमि” का है ! अतः उसका भारत राष्ट्र के साथ कोई संवेदनात्मक संबंध नहीं है ! इसलिये यदि राष्ट्र को बचा है, तो इन दोनों को सत्ता से बाहर निकालना होगा ! तभी देश की सभ्यता, संस्कृति और हिंदू बच पायेगा और राष्ट्र सुरक्षित रहेगा !

इस तरह की बात करने वाले राजनीतिक संगठन और उनके “गुप्त भुगतान” प्राप्त “सोशल मीडिया” पर काम करने वाले “चमचों” ने अथक प्रयास करके देश को गुमराह करते हुये पूर्व के राजनीतिक दल को सत्ता से बाहर कर दिया और पूर्ण बहुमत के साथ खुद सत्ता पर काबिज हो गये ! इस तरह भारत में “अच्छे दिन” अब आएंगे ! इस तरह का सब्जबाग भारतीयों को दिखाया गया !

शुरुआती दौर में जब राष्ट्र के हित में कुछ भी नहीं बदला तो विरोध के स्वर को दबाने के लिए यह तर्क दिया गया कि अभी-अभी तो हम सत्ता में आए हैं ! थोड़ा समय दिया जाए क्योंकि “एक बच्चे को भी जन्म लेने में 9 माह का समय लगता है” ! आप मेरा विश्वास कीजिए हमने जो वादा किया है वह सब कुछ “मैं” पूरा करुंगा ! लोगों ने विश्वास किया देश में व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर “गैस में सब्सिडी” समाप्त कर दी गई ! लोगों को “आर्थिक बंधक” बनाने के लिए “जनधन योजना” और “आधार कार्ड” हर जगह बलपूर्वक लागू कर दिया गया !

“काला धन” और “आतंकवाद” समाप्त करने के नाम पर “नोटबंदी” को भी राष्ट्र ने झेला ! “एक राष्ट्र-एक कर” का नारा लगाते हुए लाख विरोध के बाद भी विदेशी अर्थव्यवस्था की नकल में आधी रात को “जीएसटी” भी लागू कर दिया गया और व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर न जाने क्या-क्या कार्य किये गये ! इन कार्यों को करने में न तो राज्यसभा का अल्पमत ही आड़े आया और न ही पूर्व के विदेशी नेतृत्व के राजनैतिक दल द्वारा निर्वाचित “राष्ट्रपति” ही अवरोध बना !

किंतु जब जम्मू-कश्मीर की अनियंत्रित कानूनी व्यवस्था या आतंकवाद को ख़त्म करने की बात आती है (जिसकी मूल वजह भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 है) या पूरे भारत में हिंदुओं के साथ हो रहे धर्मांतरण, हिन्दू पलायन या लव जिहाद के नाम पर हिंदू बेटियों को बहला-फुसलाकर उनसे निकाह करके उनके धर्म परिवर्तन की बात आती है, तो इसे रोकने के लिए तथाकथित राष्ट्रवादी नेता या उन्हीं के सामाजिक संगठनों के लोग “राज्यसभा में अल्पमत और हमारी मानसिकता का राष्ट्रपति नहीं है” इस तरह का बहाना लगा कर समाज को यह समझाने की चेष्ठा करते हैं कि हम चाहते तो बहुत कुछ हैं लेकिन संवैधानिक रूप से मजबूर हैं !

जम्मू कश्मीर में हिंदूतीर्थ यात्रियों पर खुले आम गोलियां चलाई जा रही हैं ! एक पुलिस अधिकारी (DY.S.P.) को मस्जिद के बाहर भीड़ ने पीट-पीटकर इसलिए मार डाला कि उसके नाम के आगे “पंडित” लगा था ! “कश्मीरी पंडितों” को कश्मीर में वापस अपने घर नहीं आने दिया जा रहा है ! “बांग्लादेशी घुसपैठिये” आज बंगाल में इतने सशक्त हो गए हैं कि वहां पर हिंदुओं की बहू-बेटियों के साथ बलात्कार ही नहीं उनकी संपत्ति पर भी खुलेआम कब्जा कर रहे हैं ! जिस कारण हिन्दू बंगाल छोड़कर भागने के लिए मजबूर है !

वहां पर तथाकथित राष्ट्रवादी राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त “राज्यपाल” जो पूर्व में श्रेष्ठ अधिवक्ता रहे हैं साथ ही उत्तर प्रदेश की विधानसभा के “स्पीकर” भी रहे हैं अर्थात वह संविधान की एक-एक बारीकियों को जानते हैं ! वह भी आगामी बंगाल के विधानसभा के चुनाव में मात्र तथाकथित राष्ट्रवादी राजनीतिक दल की पृष्ठभूमि को मजबूत करने के लिए मात्र आक्रोश ही व्यक्त करते हैं ! राज्य के अंदर “लॉ एंड ऑर्डर” फेल हो गया है, इसकी संवैधानिक सूचना राष्ट्रपति को भेज कर वहां पर “हिंदुओं के रक्षार्थ” राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की पैरवी नहीं करते हैं !

केरल के अंदर हिंदू संगठनों के स्वयंसेवकों की खुलेआम हत्या हो रही है ! इन स्वयंसेवकों के संपत्तियों पर विदेशी धर्म को मानने वाले लोगों द्वारा कब्जा किया जा रहा है ! हिंदुओं की बहू-बेटियों को बरगला फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है ! गरीब और नासमझ हिंदुओं के लिए जादुई “चंगाई सभाएं” खुले आम मंच लगा कर की जा रही हैं ! जिन्हें वहां के राजसत्ताधीशों की पूर्ण सहमति और सहयोग प्राप्त है ! हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने के लिए सरेआम गाय को काट कर उसके गोश्त की दावत की जा रही है ! और हिन्दू “केंद्र” के आश्वासन पर “अच्छे दिन” का इंतजार कर रहा है !

मुझे याद है अयोध्या में एक खंडहर जिसे तथाकथित निर्बल “अल्पसंख्यक वर्ग” अपने पूर्वजों द्वारा निर्मित भवन (ढांचा) कहते थे ! उसके गिरा दिए जाने पर उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों की सरकार बिना किसी आरोप के केंद्र द्वारा गिरा दी गई थी और वहां “राष्ट्रपति शासन” लागू कर दिया गया था !

मैं यह जानना चाहता हूं कि भारत के चार-चार राज्यों में हिंदुओं की सरेआम हत्या हो रही है ! उनकी संपत्ति पर विदेशी घुसपैठिए या विदेशी धर्मों को मानने वाले कब्जा कर रहे हैं ! इन हिंदुओं की बहू बेटियों को सरेआम उठा कर उनके साथ बलात्कार किया जाता है और उन्हें चलती गाड़ियों से सड़कों पर फेंक दिया जाता है !

क्या यह घटनाएं उन राज्यों में “राष्ट्रपति शासन” लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं या भारतीय संविधान का “अनुच्छेद 356” रद्द कर दिया गया है और यदि यह घटनाएं उन राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए पर्याप्त हैं तो केंद्र में बैठे हुए हमारे तथाकथित राष्ट्रवादी सत्तासीन लोग आखिर अभी कितने और हिंदुओं की हत्या का इंतजार कर रहे हैं ?

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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