सनातन धर्मी हिंदू कभी भी इतना कमजोर नहीं था कि उसने शस्त्र का परित्याग कर दिया हो ! प्रमाण के तौर पर आप मंदिरों में किसी भी देवी और देवता को देखिए ! हर एक अपने हाथ में शस्त्र जरूर धारण किए हुए हैं ! शास्त्र भी कहता है “अहिंसा परमो धर्मः, धर्म हिंसा तथैव च: l” अर्थात “अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है किन्तु धर्म रक्षार्थ हिंसा भी उसी प्रकार श्रेष्ठ है !” इसी को समझाते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा “हे अर्जुन अन्याय और अधर्म के मार्ग पर खड़ा हुआ गुरु, पितामह, मित्र, बन्धु सभी युद्ध किए जाने योग्य हैं ! जो क्षत्रिय अपने धर्म की रक्षा के लिए युद्ध नहीं करता उसे न तो स्वर्ग की प्राप्ति होती है, न ही धरती पर यश प्राप्त होता है ! उसकी आने वाली पीढ़ियां भी नष्ट हो जाती हैं !
पुराणों के अनुसार सनातन धर्म की स्थापना और रक्षा के लिए हमारे पूर्वजों ने 14 विश्व युद्ध लड़े ! सनातन धर्म की जय निरंतर संघर्ष पर टिकी हुई है ! हमारे पूर्वजों ने अपने अधिकारों का परित्याग करके कभी भी विधर्मियों को खड़े होने का मौका नहीं दिया ! काल के प्रवाह में बौद्ध धर्म और जैन धर्म के आने पर सनातन धर्म का प्रवाह धीमा पड़ गया और सनातन धर्मियों के दया और अहिंसा का गलत अर्थ लगाकर विधर्मियों ने इसे नष्ट करना शुरू कर दिया !
परिणामत: विश्व में सनातन धर्म के समानांतर अन्य कई क्रूर धर्म उपजे और उन्होंने अपनी क्रूरता के प्रभाव से पूरी पृथ्वी से सनातन धर्म को समेटकर भारत के कोने में डाल दिया ! आज भारत के उस कोने में भी सनातन धर्म सुरक्षित नहीं है ! क्योंकि सनातन धर्मी पलायनवादी हो गया है ! वह न तो शास्त्रों का अध्ययन करना चाहता है और न ही धर्म के रक्षार्थ संघर्ष ही करना चाहता है ! परिणामत: क्रूर धर्मों के स्वामी योजनाबद्ध तरीके से बहला-फुसलाकर सनातन धर्म के मानने वालों को अपने धर्म में शामिल कर रहे हैं ! जो व्यक्ति बहलाने फुसलाने से उनके नियंत्रण में नहीं आता, उसकी सरेआम हत्या कर दी जाती है और हम सनातन धर्मी उसके शवदाह के अतिरिक्त और कुछ नहीं पाते हैं !
कहने का तात्पर्य है कि यदि हिंदुओं को अपने सनातन धर्म को बचाना है तो उसे वैचारिक आक्रमण के विरुद्ध वैचारिक संघर्ष करना होगा ! शास्त्रों पर आक्रमण के विरुद्ध शास्त्र सम्मत संघर्ष करना होगा और यदि विधर्मी हथियार लेकर आपके देश, आपकी सभ्यता-संस्कृति पर हमला करते हैं या आपका परिवार नष्ट करने पर उतारू हो गए हैं ! तो आत्मरक्षा के लिए शस्त्र कौशल में भी पारंगत होना होगा !
मात्र कलम और किताब के सहारे सनातन धर्म की रक्षा नहीं हो सकती ! इसलिए धर्मगुरुओं को मात्र कथा और प्रवचन छोड़कर सनातन संस्कृति के लिए सनातन मार्गों को प्रशिक्षित करना होगा ! यदि इसमें अधिक देर की गई तो जिस तरह विश्व की अनेक सभ्यता और संस्कृतियां मिट गई हैं ! उसी तरह आने वाले काल में सनातन संस्कृति भी बस इतिहास में पढ़े जाने का विषय रह जाएगी !
हम जिस कानूनी प्रक्रिया में जीते हैं वह पैशाचिक संस्कृति के पोषकों द्वारा हमारे शोषण के लिए थोपी गई प्रक्रिया है ! इसके गंभीर परिणामों को समझना होगा और आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए हमें इस कुचक्र से बाहर निकलना होगा !
जिस तरह आज इस्राइल कर रहा है ! विश्व के किसी भी शक्ति की हिम्मत नहीं है कि इजराइल को आंख उठाकर देख सके ! मेरा यह लेख कठोर जरूर है लेकिन विचारशील व्यक्तियों के लिए गंभीर चिंतन का विषय है !