शहरों के नाम बदलने पर राजनीति करने वालों को यह पता होना चाहिये कि शहरों के नाम परिवर्तन की राजनीति बहुत पुरानी है !
जब जब जो जो शासक पूरी शक्ति के साथ सत्ता में आया, उसने सबसे पहला काम यहीं किया कि अपने धर्म के अनुसार कानून व्यवस्था में परिवर्तन किया और शहरों के नाम बदल दिये !
यह शायद सत्ता के शक्तिशाली होने का प्रमाण हुआ करता था इसीलिए लखनऊ का नाम लछमणपुर से लखनापुर और लखनापुर से लखनौती होते हुये लखनऊ हो गया और इस तरह भगवान लक्ष्मण की नगरी लछमणपुर नवाबों का शहर लखनऊ कहलाया जाने लगा ! यह विशुद्ध इस्लामिक प्रोपागेंडा का चरमोत्कर्ष था !
इस तरह राम द्वार रूमी दरवाज़ा हो गया और विक्रमादित्य द्वारा बनवाया गया अष्टभुजी लक्ष्मण महल इमामबाड़ा हो गया ! इमामबाड़ा अर्थात इमाम धार्मिक नेता लक्ष्मण बाड़ा अर्थात रहने का स्थान !
लक्ष्मण टीला अर्थात लक्ष्मण द्वारा दैनिक पूजा आदि के लिये गोमती नदी के तट पर बना देव मन्दिर !
अयोध्या पुरी और लक्ष्मणपुरी ये दो शहर ऐसे ही आपस में जुड़े हुए थे जैसे भगवान राम और उनके स्वामिभक्त छोटे भाई लक्ष्मण का नाम आपस में जुड़ा हुआ है। श्री अयोध्या पुरी भगवान राम की सेवा में थी और लक्ष्मणपुरी की स्थापना श्री लक्ष्मण ने की थी ।
कांग्रेसी शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद के जमाने में तैयार की गई स्कूल की किताबों के माध्यम से बहुत मनोवैज्ञानिक तरीके से बच्चों के दिमाग में पीढ़ी दर पीढ़ी ये झूठ भर दिया गया कि लखनऊ नवाबों का शहर है ।
मनोवैज्ञानिक तरीके से झूठ दिमाग में डालने का सबसे अच्छा तरीका यही होता है कि पहले उस झूठ को पढ़ाया जाये फिर उसी झूठ को परीक्षा का आधार बनाते हुये बच्चों के लिए सवाल तैयार किया जायें और उसी झूठ को शिक्षा के मूल्यांकन का आधार बना दिया जाये ।
भले ही यह आक्रान्ता वर्ग पंचर बनाता हो लेकिन इनकी विश्वव्यापी सम्पत्ति हड़प पॉलिटिकल समझ बहुत जबरदस्त होती है ।
इसीलिए यह लोग पूरी दुनिया में मेन चौराहे पर, राजमार्गों के किनारे, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, सरकारी कार्यालय के निकट, सरकारी संपत्ति आदि पर हरा चद्दर उढ़ा कर संपत्ति हड़पने में बहुत माहिर होते हैं !!