राईस ब्रान ऑइल से होता है कैंसर : Yogesh Mishra

” पशु पोषण के सिद्धांत” में पशुओं के चारे के विषय में बताया जाता है ! सरसों से तेल निकालने के बाद जो खली निकलती है वह पशुओं को चारे के साथ मिला कर दी जाती है ! इसी प्रकार गेहूं को निकालने के बाद जो भूसा बचता है उसे पशुओं को दिया जाता है ! धान से चावल निकालने के बाद जो भूसी बचती है वह भी कहीं कहीं पशुओं को दी जाती है ! इन सभी में प्राकृतिक तेल होता है जो पशुओं के लिये तो ठीक है ! लेकिन मनुष्य के लिये नहीं !

पहले राईस ब्रान ऑइल का प्रयोग साबुन बनाने में होता था ! अंग्रेजों ने जब इसे देखा तो उन्होंने अपना खुरापाती दिमाग लगाया कि इसे भारतीयों को क्यों न खिलाया जाये ! वैसे भी यदि कोई अमेरिकन भारत वालों को अंग्रेजी में बोल कर गोबर की रोटी बना कर खिलाये तो भारत के काले अंग्रेज बिना दिमाग लगाये उसे शौक से खायेंगे !

यही हाल राईस ब्रान ऑयल का है ! राईस ब्रान ऑयल अर्थात चावल की भूसी का तेल जिसमें “पूफा” (PUFA) की अधिकता में होते हैं यह सत्य है ! मगर “पूफा” भी तो दो किस्म के होते हैं ! एक होता है ओमेगा 6 जिसे फैटी एसिड कहते हैं “लिनोलिक एसिड” और दूसरा होता है ओमेगा 3 फैटी एसिड जिसे कहते हैं “लिनोलिनिक एसिड” और यह होने चाहिए 1:1 के अनुपात में ! अब प्रश्न उठता है कि राईस ब्रान ऑयल में क्या यह सही अनुपात में है ?
उत्तर: “नहीं हैं”

क्योंकि राईस ब्रान ऑयल में लिनोलिनिक एसिड है ही नहीं ! यही बात छुपा ली और अपना साबुन बनाने वाला तेल हम मूढ़मतियों को बेचने लगे ! राईस ब्रान ऑयल में ओमेगा 6 पूफा तो होता है मगर ओमेगा 3 पूफा नहीं होता ! इसी की अनुपस्थिति माताओं और बहनों में ब्रेस्ट कैंसर देती है और पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर !
इसीलिये आज देश के संभ्रांत परिवारों में स्तन कैंसर के ज्यादातर मामले सामने आ रहे हैं !

उनके खून में ओमेगा 6 और ओमेगा 3 का अनुपात 15:1 तक होता है ! भाई जब साबुन बनाने वाला तेल खाओगे तो होगा ही ! इतना ही नहीं इस अनुपात का डिस्टर्ब होना डायबिटीज, कैंसर, हार्ट प्रॉब्लम, स्ट्रोक, आर्थराइटिस व त्वचा रोगों वालों के लिये खतरे की घंटी है ! साथ ही साथ ओमेगा 6 पूफा ज्यादा खाने से शरीर फूलने लगता है !
जिसे देशी भाषा में मोटापा कहते हैं !

अब आते हैं राईस ब्रान ऑयल में कैल्शियम पर ! यह तेल पथरी तो कम करता है क्योंकि कैल्सियम का अवशोषण कम कर देता है ! मगर उन बच्चों और बूढ़ों और माताओं बहनों का क्या जो पहले ही कैल्शियम की कमी से जूझ रही हैं ? बच्चे रिकेट्स और बूढ़े और माताएं-बहनें ऑस्टियोपोरोसिस से परेशान हैं और गर्भवती माताओ बहनों में तो स्थिति और भी गंभीर है ! उन सभी के लिये राईस ब्रान ऑयल जहर है !

पहले राईस ब्रान ऑयल खाना उसके बाद फिर उनकी कैल्शियम की गोली और विटामिन डी के कैप्सूल खाना ! आम भी बेच दिया फिर गुठली के पैसे अलग से भी चार्ज कर लिये और छिलके के भी और साथ में परेशानी फ्री !

एक और सगुफा छोड़ा जाता है कि राईस ब्रान ऑयल औराईजेनॉल होता है ! अब आइये इसे भी जान लेते हैं ! राईस का बोटैनिकल नाम है ‘ओराइज़ा सटाइवा’ ! उसमें एक ऑल मिला कर उसका नाम रख दिया “मारा औराईजेनॉल” ! कहा गया कि यह औराईजेनॉल कोलेस्ट्रॉल कम करता है ! अरे भाई कोलेस्ट्रोल कम करने के चक्कर में स्तन कैंसर करवा लें क्या साथ में ऑस्टिओपोरेसिस, प्रोस्टेट कैंसर और त्वचा कैंसर, डायबिटीज आदि आदि !

इसके अलावा राईस ब्रान में आर्सेनिक थोड़ा ज्यादा होता है ! आर्सेनिक बोले तो संखिया एक धीमा ज़हर है !

यदि आप राइस ब्रान आयल से अपने और अपने बच्चों के शरीर में एक हफ्ते तक मालिश कर लें ! तो उसके दुखद परिणाम आपको खुद व खुद मिल जायेंगे ! अब सोचिये जो तेल शरीर में बाहर से लगाने के काबिल भी नही है वह खाने में किस प्रकार फायदेमंद हो सकता है ? इसीलिए ज़्यादातर राइस ब्रान आयल खाने वाले लोग जोड़ों के दर्द से ग्रसित होते हैं !

इसलिए परंपरागत सरसों का तेल, अलसी तेल, नारियल, तिल आदि का तेल प्रयोग करिये और स्वस्थ रहिये किसी भी आकर्षण में फंस कर कोई भी गैर परंपरागत तेल आदि का यदि आप प्रयोग करते हैं तो आप अपनी मौत को स्वयं आमंत्रित कर रहे हैं !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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