शैव साहित्य वैष्णवों से श्रेष्ठ है ! : Yogesh Mishra

मैने पूर्व के एक लेख में लिख दिया था कि रावण ने अपने जीवन काल में 2700 से अधिक ग्रंथों का निर्माण किया था ! भगवान राम ने कितने ग्रंथों का निर्माण किया था ! तो यह बात वैष्णव भक्तों को पसंद नहीं आयी ! सच्चाई यह है कि कभी किसी वैष्णव भगवान ने कभी कोई ग्रन्थ का निर्माण नहीं किया !

शायद इसी कलंक को धोने के लिये वैष्णव लेखकों ने महाभारत में भगवान श्री कृष्ण के मुख से श्रीमद् भागवत गीता कहलवा दी ! जिसे भी यथार्थ में महाभारत शुरू होने के दस दिन बाद “गीता जयंती” के दिन धृतराष्ट्र के सारथी संजय के मुख से कहलवायी न कि भगवान श्री कृष्ण के मुख से ! जिसे 12 साल बाद वैष्णव लेखक वेद व्यास ने लिखा ! फिर भी वैष्णव भगवान ने कुछ नहीं लिखा !

ख़ैर आज हम चर्चा करते हैं कि शैव जीवन शैली के अंग नाथ संप्रदाय का तंत्र का ज्ञान वास्तव में वैष्णव विद्वानों से कई गुना अधिक था ! नाथ सम्प्रदाय का उल्लेख विभिन्न क्षेत्र के ग्रंथों में जैसे-योग (हठयोग), तंत्र (अवधूत मत या सिद्ध मत ), आयुर्वेद (रसायन चिकित्सा), बौद्ध अध्ययन के सहजयान तिब्बतियन परम्परा के 84 सिद्धों में तथा हिन्दी के आदिकाल के कवियों के रूप में भी मिलता है !

हठप्रदीपिका के लेखक स्वात्माराम और इस ग्रंथ के प्रथम टीकाकार ब्रह्मानंद ने हठ प्रदीपिका ज्योत्स्ना के प्रथम उपदेश में 5 से 9 वे श्लोक में 33 सिद्ध नाथ योगियों की चर्चा की है ! ये नाथसिद्ध कालजयी होकर ब्रह्माण्ड में विचरण करते है ! इन नाथ योगियों में प्रथम नाथ आदिनाथ को माना गया है जो स्वयं शिव है जिन्होंने हठयोग की विद्या प्रदान की जो राजयोग की प्राप्ति में सीढ़ी के समान है ! आयुर्वेद ग्रंथों में नाथ सिद्धों की चर्चा:- रसायन चिकित्सा के उत्पत्ति करता के रूप प्राप्त होता है !

जिन्होंने इस शरीर रूपी साधन को जो मोक्ष में माध्यम है इस शरीर को रसायन चिकित्सा पारद और अभ्रक आदि रसायानों की उपयोगिता सिद्ध किया ! पारदादि धातु घटित चिकित्सा का विशेष प्रवत्र्तन किया था तथा विभिन्न रसायन ग्रंथों की रचना की उपरोक्त कथन सुप्रसिद्ध विद्वान और चिकित्सक महामहोपाध्याय श्री गणनाथ सेन ने लिखा है !

तंत्र गंथों में नाथ सम्प्रदाय: – नाथ सम्प्रदाय के आदिनाथ शिव है, मूलतः समग्र नाथ सम्प्रदाय शैव है ! शाबर तंत्र में कपालिको के 12 आचार्यों की चर्चा है- आदिनाथ, अनादि, काल, वीरनाथ, महाकाल आदि जो नाथ मार्ग के प्रधान आचार्य माने जाते है ! नाथों ने ही तंत्र गंथों की रचना की है !

षोड्श नित्यातंत्र में शिव ने कहा है कि नव नाथों में जडभरत, मत्स्येन्द्रनाथ, गोरक्षनाथ, , सत्यनाथ, चर्पटनाथ, जालंधरनाथ नागार्जुन आदि ने ही तंत्रों का प्रचार किया था ! इन्हों ने ही नाथ सम्प्रदाय का उल्लेख विश्व के विभिन्न क्षेत्र के ग्रंथों में किया है !

नाथ सम्प्रदाय के आदि गुरु शिव ही हैं ! मूलतः समग्र नाथ सम्प्रदाय शैव है ! शाबर तंत्र में कपालिको के 12 आचार्यों की चर्चा आती है ! आदिनाथ, अनादि, काल, वीरनाथ, महाकाल आदि जो नाथ मार्ग के प्रधान आचार्य माने जाते है ! नाथों ने ही तंत्र गंथों की रचना की है !

बौद्ध काल में भी जब सनातन ज्ञान का ह्रास्य हुआ था तब भी नाथ सिद्ध 84 सिद्धों में आती थी ! राहुल सांकृत्यायन ने गंगा के पुरात्त्वांक में बौद्ध तिब्बतियन परम्परा के 84 सहजयानी सिद्धों की चर्चा की है ! जिसमें से अधिकांश सिद्ध नाथसिद्ध योगी है ! जिनमें लुइपाद मत्स्येन्द्रनाथ, गोरक्षपा गोरक्षनाथ, चैरंगीपा चैरंगीनाथ, शबरपा शबर आदि की चर्चा है ! जिन्हें उस काल में सहजयानीसिद्धों के नाम से जाना जाता था !

हिन्दी साहित्य ने भी “नाथसिद्ध” को महत्वपूर्ण स्थान दिया है ! आदिकाल के कवियों में नाथ सिद्धों की चर्चा खूब मिलती है ! अपभ्रंस, अवहट्ट भाषाओं की रचनायें भी मिलती हैं ! जो हिन्दी भाषा के प्रारंभिक काल में लिखी गई थी ! इनकी रचनाओं में पाखंड़ों आडंबरो आदि का विरोध हैं तथा इनकी रचनाओं में चित्त, मन, आत्मा, योग, धैर्य, मोक्ष आदि का समावेश मिलता है ! जो साहित्य के जागृति काल की महत्वपूर्ण रचनाऐं मानी जाती हैं ! जो जनमानष को योग की शिक्षा, जनकल्याण तथा जागरूकता प्रदान करने के लिये थी !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Share your love
yogeshmishralaw
yogeshmishralaw
Articles: 1766

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter