आजीविका के क्षेत्र में तनाव और कलंक क्यों ? : Yogesh Mishra

जन्म कुण्डली हमारे जन्म समय का नक्शा है,जन्म के समय किस राशि में कौन सा ग्रह कितने अंश में है, इसमें अंकित किया जाता है,हम ज्योतिष शास्त्र के द्वारा किसी भी व्यक्ति के जीवन में घटने वाली किसी भी घटना,समय,घटनास्थल की जानकारी पहले से कर सकते हैं,ज्योतिष के अनुसार अशुभ प्रभाव को रत्न उपचार,जाप एवं अनुष्ठान के द्वारा कम किया जा सकता है !

घरवार चलाने के लिये मनुष्य को कर्म करना जरूरी होता है ! बिना कर्म किये कोई भी इस जगत में नहीं रह सकता है,तो हम मनुष्य की बिसात ही क्या ,इसलिये मनुष्य को कर्म करना जरूरी है ! मनुष्य अपने पिछले जीवन के कर्मों के अनुसार उन कर्म फ़ल का भुगतान लेने के लिये इस जन्म में आता है और जो कर्म इस जीवन में किये जाते है उनको आगे के जीवन में प्राप्त करना होता है !

कर्म की श्रेणियां भूतकाल के कर्मों के अनुसार ही बनती है,जैसे पिछले समय में अगर किसी से फ़ालतू में दासता का कर्म करवा कर जातक आया है तो उसे इस जीवन में जिससे दासता करवायी थी उसके प्रति दासता तो करनी ही पडेगी ! उस दासता का रूप कुछ भी हो सकता है ! अक्सर जब एक धनी व्यक्ति का पुत्र अपने कर्मों के अनुसार धन कमाने के बजाय धन को बेकार के कामों के अन्दर खर्च करने लगता है तो उसका मतलब यही होता है कि धनी व्यक्ति के परिवार में जन्म लेने के बावजूद भी दासता वाले काम करने है ! लोग कहने लगते है कि बेचारा कितने धनी परिवार में पैदा हुआ था और भाग्य की बिडम्बना के कारण दासता के काम करने पड रहे है ! यह भाग्य का लेख है कि काम तो करना ही पडेगा !

कार्य के तीन रूप हैं,नौकरी करना व्यवसाय करवाना,और व्यवसाय के साथ नौकरी करना ! व्यवसाय करने के साथ नौकरी करना भी एक साथ नही होता है ! ग्रह और भाव नौकरी व्यवसाय और व्यक्ति के द्वारा जीवन मे किये जाने वाले जीविकोपार्जन के लिये प्रयासों का लेखा जोखा बतलाते है ! ग्रहों के प्रभाव से अच्छे अच्छे व्यवसायी पलक झपकते धराशायी हो जाते और ग्रहों के ही प्रभाव से गरीब से गरीब कहां से कहां पहुंच जाते है !

ग्रहों के बारे में ज्ञान हर किसी को नही होता है,और जो ग्रह और अपने जन्म के भाव को साथ लेकर चलता है और अपने ग्रह और भाव को पहिचान कर चलता है वह जीवन मे आने वाली समस्या को तुरत फ़ुरत मे समाधान कर लेता है,वह बुरे दिनों मे अपने व्यवसाय को स्थिर करने के बाद दूसरे कामों को निपटा लेता है,जबकि ग्रहों और भावों को नही जानने वाला समस्याओं के अन्दर फ़ंस कर और अधिक फ़ंसता चला जाता है !

समझदार लोग वही होते है जो कल की सोच कर चलते है,और जो लोग आज मौज करो कल का क्या भरोसा के हिसाब से चलते है उनके लिये कोई चांस नही होता है कि वे आगे बढेंगे भी !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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