भारत की प्राचीनतम भाषा देव भाषा संस्कृत नहीं बल्कि शैव भाषा तमिल है ! Yogesh Mishra

भगवान शिव के डमरू से संस्कृत नहीं तमिल भाषा निकली थी !

वैष्णव ग्रन्थ बतलाते हैं कि संस्कृत भाषा देव भाषा है ! इसीलये सभी वैष्णव धर्म ग्रन्थ वेद, उपनिषद, ब्राह्मण ग्रन्थ व कर्मकाण्डीय ग्रन्थ संस्कृत भाषा में उपलब्ध हैं ! इस संस्कृत भाषा की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के द्वारा की गई थी ! वेद अपौरुषेय हैं यानी इसे किसी व्यक्ति ने नहीं बनाया अपितु संसार में पहले से ही वेदों का अस्तित्व था। वेद और उपनिषद, गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से एक युग से दूसरे युग में प्रवहित हॊती रही !

जबकि शैव ग्रन्थ बतलाते हैं कि भाषा की उत्पत्ति भगवान शिव के डमरू के नाद से हुई है ! आपको बतला दें कि ऋषी कश्यप की पत्नियों में से अदिति देवी के पुत्र ‘देव’ या ‘सुर’ नाम से जाने जाते थे ! जबकि दूसरी पत्नी दिती के पुत्र ‘दानव’ या ‘असुर’ कहे जाते थे ! सुर और असुरों के बीच का संबंध अच्छा नहीं हुआ करता था और वे अलग अलग दिशा में रहा करते थे ! सुर गण उत्तर में हिमालय अर्थात ठन्डे स्थल पर निवास करते थे ! वहीं असुर गण दक्षिण में निवास करते थे ! सुरों पर ब्रह्म क्षेत्र का अधिक प्रभाव था अत: वह ब्रह्म भाषा “संस्कृत” को देव भाषा कह कर प्रयोग करते थे ! यह इन्द्र को राजा व विष्णु को पालनहार मानते थे !

जबकि असुर शिव को अपना भगवान मानते थे ! क्योंकि वह असुरों के हितों की रक्षा के लिये सुरों पर बराबर दबाव बनाये रहते थे ! भगवान शिव ने देवताओं से युद्ध में असुरों को रक्षा के लिये देवताओं के अस्त्र-शस्त्र चक्र, गदा, वज्र, भला, तलवार, आदि के बदले पिनाक, त्रिशूल, खड़ग, फरसा, सुर्यहास खड़ग, चन्द्र हास खड़ग आदि का निर्माण किया था !

भगवान शिव ने देवताओं के गुरु वृहस्पति की तरह असुरों को वृहस्पति से योग्य गुरु शुक्राचार्य भी उपलब्ध करवायें थे ! शिव ने देव भाषा संस्कृत से श्रेष्ठ तमिल भाषा की उत्पत्ति की थी ! संस्कृत भाषा तो मात्र मुख से बोली जा सकती थी पर तमिल भाषा वाध्याय यंत्रों से भी अभिव्यक्त की जा सकती थी ! उसका मुख्य कारण शैव का जंगलों में बिखरी हुई अवस्था में रहना था ! तमिल को असुरों (द्रविड) की ईश्वरीय भाषा थी ।

शॊधकर्ता और इतिहासकार मानते हैं कि तमिल दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है ! जानकार कहते हैं कि तमिल भाषा शास्त्रीय संस्कृत से भी पुरानी है ! देव भाषा संस्कृत को दक्षिण भारत में ले जाने का श्रेय महर्षि वशिष्ठ के भाई अगस्त्य ऋषि को जाता है ! रामयाण में भी अगस्त्य ऋषि का उल्लेख है जो दक्षिण भारत में वेदों को ले गये थे !

रावण संस्कृत भाषा का विद्वान् जरुर था पर उसके राजकाज की भाषा तमिल ही थी ! इसीलये आज भी रावण आधीन राज्यों में तमिल भाषा का ही प्रभाव देखने को मिलता है ! आर्यावर्त में भी जब उत्तर भारत में लोग ‘संस्कृत’ को आम बॊली के रूप में उपयॊग करते थे, तब भी दक्षिण भारत के लॊग ‘तमिल’ को बॊल चाल की भाषा के रूप में उपयोग किया करते थे ! दक्षिण भारत की शैव भाषा तमिल का रावण के कारण दुनिया के अन्य देशों में भी विस्तार हुआ था !

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अफ़्रिका के केमरून में तमज़िग्ट नामक भाषा है जो तमिल का विकृत रूप है ! यहूदियों की हीब्रू भाषा की उत्पत्ती भी तमिल से ही हुई थी ! माना जाता है कि मिश्र और बेबिलॊनियन में भी तमिल ‘असुर’ भाषा के रूप में आज भी प्रचलित है ! भारत और अफ़्रीका को जोड़ने वाली ‘कुमारी कंडम’ भाषा तमिल के निकट है ! जहाँ रावण की बहन सूपनखा की ससुराल थी ! माना जाता है कि शैव संस्कृति और सभ्यता तथा तमिल भाषा लगभग 50,000 साल पुरानी है ! जब इन्द्र आदि देव बर्फ में अपना अस्तित्व ढूढ रहे थे और अपने साम्राज्य विस्तार की चिंता में मग्न थे !

नागपट्टणम में समुद्र के नीचे 23 मीटर की गहराई पर एक मानव निर्मित संरचना है जो इस बात की पुष्टि करती है कि दक्षिण भारत का आफ़्रीका के इथियॊपिया से संबंध था ! पुरातात्विक और भूवैज्ञानिक साक्ष्यों से अनुमान लगाया जा सकता है कि असुर संगम वंश करीब 11,000 वर्ष पूर्व अस्तित्व में था ! एक खोज तो यह भी पुष्टि करती है कि मायावी “मय वंश” मयन नागरिकता के पूर्वज तमिल लोग ही थे ! मयन लोग तमिल की ही बॊली का उपयॊग किया करते थे ! माना जाता है कि सम्पूर्ण आफ़्रिका के लगभग सभी भाषाएं तमिल से ही निकली है !

50,000 BC पूर्व ही “कुमारी कंडम” में एक अद्भुत नागरिकता हुआ करती थी जो तमिल संस्कृती, साहित्य, कविता और पुराण के ज्ञान को अधिक महत्व देती थी ! माना जाता है 16,000 BC में यह पूरा द्वीप प्राकृतिक विकॊप के कारण समुद्र में डूब गया था !

मुख्य रूप से आज भी भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु, श्री लंका के तमिल बहुल उत्तरी भागों, सिंगापुर और मलेशिया के भारतीय मूल के तमिलों द्वारा बोली जाती है ! भारत, श्रीलंका और सिंगापुर में इसकी स्थिति एक आधिकारिक भाषा के रूप में है ! इसके अतिरिक्त यह मलेशिया, मॉरिशस, वियतनाम, रियूनियन इस्त्यादि में भी पर्याप्त संख्या में बोली जाती है ! आज भी लगभग 7 करोड़ लोग तमिल भाषा का प्रयोग मातृ-भाषा के रूप में करते हैं ! यह भारत के तमिलनाडु राज्य की प्रशासनिक भाषा है और यह पहली ऐसी भाषा है जिसे २००४ में भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया ! जबकि तमिल भाषा ही भारत की अनादि मूल शैव भाषा है !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Share your love
yogeshmishralaw
yogeshmishralaw
Articles: 1766

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter