2014 में जब पूर्ण बहुमत की सरकार के साथ गुजरात के अनुभवी मुख्यमंत्री ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी ! तब आपसी चर्चा में मैंने कई लोगों से अपना विचार व्यक्त किया था कि जरूरी नहीं जो व्यक्ति गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में सफल हुआ हो वह भारत के प्रधानमंत्री के रूप में भी सफल हो जाये !
तक उस समय के अंध भक्तों को मेरी बात रास नहीं आती थी और वह मुझे भाजपा विरोधी या राष्ट्रद्रोही घोषित कर दिया करते थे ! किंतु वक्त के प्रवाह में काल के बढ़ने के साथ-साथ आज मेरी वह बात अक्षरस: सत्य सिद्ध हो रही है ! इसके कई महत्वपूर्ण कारण भी हैं !
क्योंकि गुजरात सदैव से एक संपन्न राज्य रहा है ! वहां का आम आदमी सकारात्मक विचारधारा का है और वह अपने व्यापार धंधे की उन्नति के लिए सदैव सकारात्मक वातावरण बनाए रखना चाहता है ! इसलिए आम गुजराती कभी किसी व्यर्थ के विवाद में नहीं लगता है और न ही वह यह चाहता है कि उसके कार्य धंधे में किसी तरह का विवाद पैदा हो !
जबकि भारत के आम जनमानस में खासतौर से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, बंगाल आदि के अंदर व्यक्ति को अपने प्रगति की चिंता कम है लेकिन दूसरे की प्रगति से ईर्ष्या ज्यादा होती है ! शायद यही कारण है कि सभी तरह के प्राकृतिक संपन्नता होने के बाद भी यह राज्य आज भी आर्थिक रूप से पिछड़े हुये राज्यों में ही गिने जाते हैं !
उड़ीसा, आसाम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश आदि का भी कमोवेश यही हाल है ! पूर्वोत्तर के कई राज्यों में ईसाइयों ने अपना वर्चस्व इतना बना लिया है कि वहां पर अब राष्ट्रीयता जैसी भावना ही खत्म हो गई है ! दक्षिण में केरल का भी कमोबेश यही हाल है !
दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुंबई जो देश की मुख्य आर्थिक राजधानी मानी जाती है ! वहां पर भी इंसानों में संवेदनाएं समाप्त हो गई है ! इन स्थानों पर आज कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के सुख-दुख से प्रभावित नहीं होता है ! हर व्यक्ति अपने निजी लाभ में लगा हुआ है ! वह लाभ लाख चाहे नैतिकता के सिद्धांतों के अनुरूप हो या किसी को लूट कर प्राप्त किया जा रहा हो ! इन महानगरों के निवासियों को कोई फर्क नहीं पड़ता है ! उन्हें सिर्फ अपना निजी लाभ चाहिए !
भारत विविधताओं का भी देश है ! यहां पर हर 100 किलोमीटर पर व्यक्ति की भाषा बदल जाती है ! हर 500 किलोमीटर पर व्यक्ति के भोजन का तरीका बदल जाता है ! हर हजार किलोमीटर पर व्यक्ति का पहनावा बदल जाता है ! व्यक्ति के सोचने समझने का तरीका और धर्म के प्रति आस्था तो भारत के हर व्यक्ति की अलग-अलग है ! जिसे किसी भी एक मानक से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है ! इसीलिए मैं ऐसा मानता हूँ कि किसी एक राज्य विशेष की राजनीति और भारत की राजनीति में बहुत अंतर है !
संयोग से कोई व्यक्ति जो राज्य स्तर की राजनीति करता रहा है ! वह केंद्र की राजनीति में सफलता प्राप्त कर ले वह एक अलग बात है ! लेकिन मैने अनुभव में यह देखा गया है कि जो लोग राज्य स्तर की राजनीति में सफल होते हैं ! वह भारत के केंद्रीय राजनीति में प्राया पूरी तरह से असफल ही सिद्ध होते हैं !
इसके अलावा अंग्रेजों ने भारतीय जनमानस के चरित्र को व्यवसायिक शिक्षा देकर नैतिक रूप से इतना गिरा दिया कि अब भारत का आम जनमानस जो शिक्षित है ! उसे न तो मनुष्य से मतलब है और न ही राष्ट्र से क्योंकि वह जान गया है कि उसकी सारी आवश्यकता धन से पूरी होती है ! जो वह दुनियां में कहीं भी रह कर कमा सकता है ! इसलिए उसने अब राष्ट्र, राष्ट्रीयता और मानवता में रुचि लेना बंद कर दिया है !
भारत के राजनीति में और प्रशासनिक सेवाओं में भी इसी मानसिकता के लोग उभरे पड़े हैं जो नितांत असंवेदनशील और घोर स्वार्थी हैं ! ऐसे प्रशासनिक अधिकारियों राजनेताओं के दम पर यदि कोई व्यक्ति देश का कुछ हित करना भी चाहे तो उसे अपने ही साथियों और प्रशासनिक अधिकारियों का कोई सहयोग प्राप्त नहीं होता है इसीलिए मैं बार-बार कहता था कि गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में जो व्यक्ति सफल हुआ है ! वह जरूरी नहीं राष्ट्र के प्रधानमंत्री के रूप में भी सफल हो !
क्योंकि राज्य की राजनीति में अंतरराष्ट्रीय राजनीती का दखल बहुत कम होता है किंतु केंद्र की राजनीति में पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय सत्तायें हावी होती हैं और वह सदैव चाहती हैं कि आपके देश में वही हो जो वह अंतरराष्ट्रीय महाशक्तियां चाह रही हैं ! अब नहीं बदलती व्यवस्था नीति के तहत अंतरराष्ट्रीय महाशक्तियों से भी आगे विश्व सत्ता के नुमाइंदे हर महत्वपूर्ण राष्ट्र की राजनीति में दखल देने लगे हैं ! जिन्हें संभालना आसान काम नहीं है !
खास तौर से तब जब आपके पास एक प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण राष्ट्र है ! आपके पास प्रकृति द्वारा प्रदान की गयी सभी तरह सम्पदा मौजूद है ! आपके पास नदियां हैं ! पर्वत हैं ! रेगिस्तान हैं ! मैदान हैं और भी महत्वपूर्ण चीजें हैं जिनमें आप सभी तरह की कृषि कर सकते हैं ! यह विविधता से भरी हुई भौगोलिक स्थिति पूरे विश्व में बस सिर्फ आपके ही पास मौजूद है ! पूरी दुनिया की निगाह आपके इस भौगोलिक सम्पदा पर है !
आपके पास बहुत बड़ी संख्या में युवा हैं जबकि विश्व के अन्य देशों में बुजुर्गों का प्रतिशत अधिक है और युवाओं के अभाव में विश्व के लगभग सभी विकसित देश बूढ़े हो रहे हैं ! उस स्थिति में यदि आप अपने युवाओं को सही दिशा दे देंगे तो भारत फिर से विश्व गुरु बन सकता है ! यह बात ही विश्व के सभी महाशक्तियों को भयभीत कर रही है !
ऐसी परिस्थितियों में आम जनमानस को जागरूक करना पड़ेगा ! प्रशासनिक अधिकारियों के साथ उनकी काउंसलिंग करनी पड़ेगी और राजनीति में अच्छे और संवेदनशील लोग भाग लें ! इसके लिए भी राजनीतिक दलों को गंभीरता से विचार करना पड़ेगा ! तभी देश की भावी व्यवस्था सुधर सकती है ! अन्यथा कितना भी अच्छा प्रधानमंत्री आप चुन लीजिए लेकिन देश का सर्वनाश सुनिश्चित है !!