कुंडली से सरकारी नौकरी के प्राप्ति की गणना कैसे करें : Yogesh Mishra

सरकारी नौकरी के प्राप्ति के लिये ज्योतिषीय विश्लेषण के हमारे शास्त्रों मे कई सूत्र दिये गये हैं।
भाव: कुंडली के पहले, दसवें तथा ग्यारहवें भाव और उनके स्वामी से सरकारी नौकरी के बारे मैं जान सकते हैं।
सूर्य. चंद्रमा व बृहस्पति सरकारी नौकरी मै उच्च पदाधिकारी बनाता है।
भाव :द्वितीय, षष्ठ एवं दशम्‌ भाव को अर्थ-त्रिकोण सूर्य की प्रधानता होने पर सरकारी नौकरी प्राप्त करता है।
नौकरी के कारक ग्रहों का संबंध सूर्य व चन्द्र से हो तो जातक सरकारी नौकरी पाता है।

कुंडली के अनुसार सरकारी नौकरी के लिए योग :

(1) दसवें भावमें शुभ ग्रह होना चाहिए।
(2) दसवें भाव में सूर्य तथा मंगल एक साथ होना चाहिए।
(3)पहले, नवें तथा दसवें घर में शुभ ग्रहों को होना चाहिए।

इन भाव पर कोई शुभ ग्रह बैठा हुआ है या किसी शुभ ग्रह की दृष्टि इन भाव पर पड़ रही है तो सरकारी नौकरी के योग बन पाते है।
यदि इन भाव पर कोई अशुभ ग्रह बैठा हुआ है या किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि इन भाव पर पड़ रही है तो सरकारी नौकरी के योग नहीं बन पाते है।
ज्योतिष के साधारण से उपाय से ग्रह आपके अनुकूल हो सकते हैं और सरकारी नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। सूर्य. चंद्रमा व बृहस्पति सरकारी नौकरी मै उच्च पदाधिकारी बनाता है।
द्वितीय, षष्ठ एवं दशम्‌ भाव को अर्थ-त्रिकोण सूर्य की प्रधानता होने पर सरकारी नौकरी करता है। केंद्र में गुरु स्थित होने पर सरकारी नौकरी मे उच्च पदाधिकारी का पद प्राप्त होता है।

नौकरी प्राप्ति के समय की गणना के सिधान्त :

प्रथम, दूसरा भाव, छठे भाव,दशम भाव एवं एकादश भाव का संबंध या इसके स्वामी से होगा तो नौकरी के योग बनते है ।

लग्न के स्वामी की दशा और अंतर्दशा में
नवमेश की दशा या अंतर्दशा में
षष्ठेश की दशा या, अंतर्दशा में
प्रथम,दूसरा , षष्ठम, नवम और दशम भावों में स्थित ग्रहों की दशा या अंतर्दशा में
दशमेश की दशा या अंतर्दशा में
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में
नौकरी मिलने के समय जिस ग्रह की दशा और अंतर्दशा चल रही है उसका संबंध किसी तरह दशम भाव या दशमेश से ।
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में भी नौकरी मिल सकती है।
छठा भाव :छठा भाव नौकरी का एवं सेवा का है।
छठे भाव का कारक भाव शनि है।
दशम भाव या दशमेश का संबंध छठे भाव से हो तो जातक नौकरी करता है।
राहु और केतु की दशा, या अंतर्दशा में :
जीवन की कोई भी शुभ या अशुभ घटना राहु और केतु की दशा या अंतर्दशा में हो सकती है।
गोचर: गुरु गोचर में दशम या दशमेश से नौकरी मिलने के समय केंद्र या त्रिकोण में ।
गोचर : शनि और गुरु एक-दूसरे से केंद्र, या त्रिकोण में हों, तो नौकरी मिल सकती है,
गोचर : नौकरी मिलने के समय शनि या गुरु का या दोनों का दशम भाव और दशमेश दोनों से या किसी एक से संबंध होता है।
सरकारी नौकरी:यह जान लें कि दशम भाव बली हो तो नौकरी मिलाती है |
कामयाबी योग :

कुंडली का पहला, दूसरा, चौथा, सातवा, नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी अपनी दशा और अंतर्दशा में जातक को कामयाबी प्रदान करते है। पंच महापुरूष योग: जीवन में सफलता एवं उसके कार्य क्षेत्र के निर्धारण में महत्वपूर्ण समझे जाते हैं।पंचमहापुरूष योग कुंडली में मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र एवं शनि अपनी स्वराशि अथवा उच्च राशि का होकर केंद्र में स्थित होने पर महापुरुष योग बनता है।

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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