रोग निवारण हेतु चमत्कारिक है यज्ञपैथी : Yogesh Mishra

मनुष्य की उत्पत्ति से आज तक रोगों को नियंत्रित रखने हेतु विभिन्न चिकित्सा प्रणाली का विकास हुआ है । चिकित्सा प्रणालियों के क्रमिक विकास में वेदों में अनेक प्रकार कि पद्धतियों का उल्लेख मिलता है । जब सब प्रकार के उपचार और वैद्य, रोगी को स्वस्थ करने में असमर्थ हो जाते हैं, तब वह रोगी पूजा अर्चाना, स्तुति, प्रार्थना, यज्ञ, याग, दान, पुण्य आदि की शरण लेता है ।

रोग मुक्ति के अनेको मन्त्र ऋग्वेद, अर्थवेद और यजुर्वेद में पाए जाते हैं । यहां हम यज्ञ द्वारा रोग निवारण की ही चर्चा कर रहे हैं, जिसे वेदों में सवोपरि माना गया है । वैसे तो वेद मन्त्रों द्वारा ही जीवन की सभी इच्छाएं पूर्ण हो सकती हैं, और इसके लिए बड़े – बड़े राजसू्य यज्ञ, पुत्रेष्टि यज्ञ, रोग निवारणार्थ यज्ञों के मन्त्र और उनकी समिधा, औषधियां और विधि कही एक सूत्र से न होकर अनेकानेक गर्न्थो में फैली पड़ी है । यदि इन सब विधियों को संकलित कर लिया जाये तो मानव के स्वास्थय लाभ के लिए सबसे सरल, सफल, हानिरहित चिकित्सा पद्धति का उपयोग हो सकता है।

एलोपैथी की सभी रोगाणु नाशक औषधियों के सम्बन्ध में सभी डॉक्टरों का एक मत है कि ये शरीर को हानि पहुचाये बिना रोगाणुओं का नाश कर ही नहीं सकती । जबकि यज्ञ पद्धति से ऐसे सूक्ष्म कणो को त्सर्जन होता है, जो शरीर को हानि पहुंचाये बिना किटाणुओं को समाप्त कर देते हैं । यज्ञ का सर्वश्रेष्ठ गुण तो यह है, कि इसमें रोगी को औषधी सेवन करने की आवश्यकता ही नहीं होती । इसके द्वारा शरीर में औषधि इन्जेक्शन के तीव्र प्रभाव से अधिक शीघ्र शरीर पर अपना प्रभाव डाल देती है । अग्नि के इस महान कार्य के लिए ही हमारे पूर्वजों ने अग्नि को देव माना है ।

यज्ञ में प्रयुक्त विशेष वृक्ष की समिधा और औषधि मिलकर वाष्प रूप में श्वास के द्वारा शरीर की रक्त प्रणाली में पहुंचते ही अपना प्रभाव तत्काल दिखाती है, इसीलिए यज्ञ में प्रयुक्त की जाने वाली । समिधा (लकड़ी) पीपल, आम, गूलर, जामुन आदि वृक्षों से ग्रहण करने का विधान है। वैदिक यज्ञ और यज्ञ चिकित्सा का अपना शास्त्रीय विधान है । विधानानुसार किए गए प्रयास ही फलदायी होते हैं ।

डॉक्टर जिस मरीज के मर्ज को लाईलाज घोषित कर चुके हों, ऐसे रोगियों ने भी स्वास्थ्य लाभ पाया है । किस रोग के लिये किस मन्त्र का जप या अभिषेक करना है, इस विषय के जानकार तथा संयम से रहने वाले साधक ही यज्ञ द्वारा चिकित्सा कर सकते हैं।

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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