आखिर 2500 साल से सनातन धर्म का रक्षक कौन है : Yogesh Mishra

हम आये दिन देखते हैं कि सनातन धर्म को नष्ट करने के लिए पूरी दुनिया में तरह-तरह के षडयंत्र पिछले ढाई हजार वर्षों से किये जा रहे हैं ! विश्व की कई संस्कृतियों को इन षड्यंत्रकार्यों ने ख़त्म कर दिया ! आज उन संस्कृतियों का कोई नाम लेवा भी नहीं है ! वह विलुप्त संस्कृतियां आज मात्र इतिहास का हिस्सा बनकर रह गई हैं और आज के आधुनिक षड्यंत्रकारी राक्षस दिन-ब-दिन फल फूल रहे हैं !

किंतु क्या आपने कभी विचार किया कि पिछले ढाई हजार वर्षों के निरंतर हमलों के बाद भी हमारी संस्कृति आज भी विश्व की सबसे प्रभावशाली संस्कृति है ! पूरा विश्व आज भी हमारी संस्कृति का अनुकरण कर रहा है और हम फिर से सशक्त हो रहे हैं ! आखिर कौन सी वह शक्ति है जो हमारी हजार गलतियों के बाद भी हम और हमारे संस्कृत की रक्षा कर रही हैं !

मुण्डकोपनिषद् के अनुसार दिव्य सूक्ष्म शरीरधारी आत्माओं का एक संघ है ! इनका केंद्र हिमालय की वादियों में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, तिब्बत के तप स्थलियों में स्थित है ! इसीलिये हिमालय को देवात्मा केंद्र कहा जाता है ! इन दुर्गम क्षेत्रों में स्थूल-शरीर धारी व्यक्ति सामान्यतया नहीं पहुंच पाते हैं !

अपने श्रेष्ठ कर्मों के अनुसार सूक्ष्म-शरीरधारी आत्माएं यहां प्रवेश कर जाती हैं ! जब भी सनातन धर्म पर संकट आता है तब नेक और श्रेष्ठ व्यक्तियों की सहायता के लिए यह दिव्य आत्मायें सक्रीय हो जाती हैं !

भौगोलिक दृष्टि से इसे उत्तराखंड से लेकर कैलाश पर्वत तक बिखरा हुआ क्षेत्र माना जा सकता है ! इसका प्रमाण यह है कि शास्त्रों के अनुसार देवताओं, यक्षों, गंधर्वों, सिद्ध पुरुषों का निवास इसी क्षेत्र में पाया जाता रहा है !
इतिहास धर्म शास्त्रों के अवलोकन से प्रतीत होता है कि यह क्षेत्र देवभूमि और दिव्य क्षेत्र माना जाता रहा है ! आध्यात्मिक शोधों के लिए, साधनाओं और सूक्ष्म शरीरों को विशिष्ट स्थिति में बनाए रखने के लिए यह क्षेत्र विशेष रूप से उपयुक्त है !

हिमालय की वादियों में रहने वालों को कभी दमा, टीबी, गठिया, संधिवात, कुष्ठ, चर्मरोग, आमवात, अस्थिरोग और नेत्र रोग जैसी बीमारी नहीं होती ! हिमालय क्षेत्र के राज्य जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, हिमाचल, उत्तराखंड, असम, अरुणाचय आदि क्षेत्रों के लोगों का स्वास्थ्य अन्य प्रांतों के लोगों की अपेक्षा बेहतर होता है !

इसे ध्यान और योग के माध्यम से और बेहतर करके यहां के दिव्य आत्मायें अनन्त काल तक निवास कर सकती हैं ! कभी-कभी इन आत्माओं के दर्शन भी सौभाग्य से प्राप्त होते हैं मैं पिछले 25 वर्षों से निरंतर वर्ष में 1 माह कम से कम हिमालय में निवास करता हूं !

यह मेरा सौभाग्य रहा है कि मुझे अनेकों बार इस तरह के अद्भुत आत्माओं के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ ! जो उस समय तो एकदम सामान्य मनुष्य जैसी दिखती हैं लेकिन बाद में ज्ञात होता है कि वह आत्माएं अद्भुत शक्तियों से भरी हुई हैं ! जो सनातन धर्मियों की रक्षक हैं !

आज भी सूक्ष्म शरीर में रहने वाली यह दिव्य आत्माएं हमारे हजारों अपराधों को क्षमा करने के बाद हमारी रक्षा करती हैं किंतु हम अज्ञानता में न तो इन दिव्य आत्माओं के निर्देशों को समझ पाते हैं और न ही इन दिव्य आत्माओं के पोषण के लिए आध्यात्मिक ऊर्जाओं के अनुरूप अपना जीवन यापन करते हैं !

लेकिन फिर भी यह सच है कि आज भी सनातन धर्म इन्हीं दिव्य आत्माओं के संरक्षण और आशीर्वाद से सुरक्षित है ! यह मेरी निजी अनुभूति का विषय है !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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