मुस्लिम तुष्टीकरण की पराकाष्ठ पर पहुँचे गाँधी का 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे चित्तपावन ब्राह्मण ने राष्ट्र हित में नई दिल्ली के बिरला भवन में गोली मारकर वध कर दिया !
फिर क्या था गाँधी के अहिंसक गांधीवादी अनुयाईयों ने 31 जनवरी को दिन भर दंगे की योजना बनायी और फिर 1 फरवरी 1948 को पूरे लाव-लश्कर के साथ पश्चिमी महाराष्ट्र के सांगली, मुंबई, अहमद नगर, सोलापुर, पुणे, सतारा, कोल्हापुर इत्यादि जिलों के गाँव-गाँव में ब्राह्मणों पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने कहर बरपाया ! कई गाँवों को चारों तरफ से घेर लिया गया और ब्राह्मणों के मकानों को निशाना बना कर आग के हवाले कर दिया गया !
इसके बाद “अहिंसा” का नंगा नाच हुआ ! बचे हुये ब्राह्मणों को घरों से खींच-खींच कर पिट-पीट कर मार डाला गया ! उनके मकान को लूटे लिया गये और उन्हें जला दिया गया ! हजारों ब्राह्मण बिना किसी अपराध के विभिन्न गाँवों से निकाल बाहर कर दिए गये !
जिनमें से कुछ मध्यप्रदेश चले गए, कुछ उत्तरप्रदेश और कुछ दिल्ली ! कई ब्राह्मण बच्चे ऐसे भी रहे, जिनके पास केवल वही कपडे रह गए थे, जो उनके तन पर थे ! चूँकि अधिकाँश ब्राह्मण “धनी या पैसे वाले” की श्रेणी में नहीं आते थे, लेकिन मध्यम वर्गीय ठीक-ठाक खाते-पीते घर के थे, फिर भी उनके पास जो भी था वह सब लूट लिया गया था, उन ब्राह्मणों के साथ किसी की सहानुभूति नहीं थी, क्योंकि एक ब्राह्मण ने कथित “राष्ट्रपिता” का वध कर दिया था !
केंद्र से लेकर राज्यों तक चारों तरफ कांग्रेस का शासन था ! गांधी के प्रति लोगों के मन में अत्यधिक आदर था इसलिए पुलिस में रिपोर्ट करने अथवा कहीं शिकायत करने का कोई लाभ न था ! जिस तरह कांग्रेसियों ने 1984 में पूरी सिख कौम को दोषी सिद्ध कर दिया, उसी तरह सिर्फ अफवाहों और घृणा के बल पर 1 फरवरी 1948 को सारे ब्राह्मणों को दोषी मानकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उन्हें “अहिंसा”, “नैतिकता” और “आत्म-अनुशासन” का “गाँधीवादिता का पाठ” पढ़ाया !
हजारों ब्राह्मणों को लूटने, मकान जलाने और पश्चिमी महाराष्ट्र को काफी हद तक ब्राह्मण विहीन करने के बाद से ही महाराष्ट्र में ब्राह्मण विरोधी राजनीति का आरम्भ हुआ ! ब्राह्मण समुदाय को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाने लगा और यह दुर्गति महाराष्ट्र में आज भी जारी है ! महाराष्ट्र में मराठा और पिछड़ी जातियाँ शक्तिशाली हैं !
ब्राह्मणों के खिलाफ पश्चिमी महाराष्ट्र में घटित इन घटनाओं को इतिहास से लगभग साफ़ ही कर दिया गया है, जबकि 1 फरवरी 1948 को कम से कम 50,000 घर लूटे-जलाए गए थे ! 8000 से अधिक ब्राह्मणों को बर्बर तरीके से पीट-पीट कर या जिन्दा जला कर मार डाला गया था ! सैकड़ों ब्राहमण बच्चियों का अपरहण और फिर उनके साथ बलात्कार कर उनकी हत्या कर दी गई ! न जाने कितने ब्राह्मण औरतों के साथ बलात्कार करके उनके स्तन काट कर उनकी हत्या कर दी गई थी ! इसका कोई भी रिकॉर्ड आज सरकार के पास नहीं है और न ही कभी इस पर चर्चा हुई ! किसी तरह के मुआवज़े का तो प्रश्न ही नहीं उठता है ! यह है गाँधी वादियों की अहिंसा ! अब तो कोई इस पर चर्चा भी नहीं करता है !