शिव सहस्त्रार ज्ञान के अतिरिक्त सृष्टि के सभी धर्म ग्रन्थ अधूरे हैं : Yogesh Mishra

शैव जीवन शैली में भगवान शिव ने रावण की योग्यता, क्षमता, प्रतिभा और पात्रता को देखते हुये, जो संपूर्ण सृष्टि का ज्ञान रावण को शिव सहस्त्रार ज्ञान के रूप में दिया था ! वह जीव कल्याण के लिये एकमात्र अपने आप में संपूर्ण ज्ञान है ! इसके अतिरिक्त सृष्टि में लिखे गये सभी धर्म साहित्य अधूरे हैं !

बल्कि दूसरे शब्दों में कहा जाये तो भगवान शिव द्वारा रावण को जो शिव सहस्त्रार ज्ञान दिया गया था ! उसी को वैष्णव गुरुकुलों के आचार्यों ने छोटे-छोटे अंशों में विकसित कर उपनिषदों की रचना की और इन्हीं उपनिषदों के आधार पर वेदांत की रचना हुई !

इस तरह यह भी कहा जा सकता है कि भगवान शिव द्वारा दिया गया शिव सहस्त्रार ज्ञान अपने आप में इतना विकसित और परिपूर्ण था, कि इसे समझ पाना किसी एक वैष्णव आचार्य के लिये पूरे जीवन में भी संभव नहीं था ! इसीलिए इस पूर्ण विकसित ज्ञान को छोटे-छोटे अंशों में बांटकर वैष्णव गुरुकुलों के आचार्यों ने अपने शिष्यों को समझाया !

यही उपनिषद, वेदांत आज हमारे धर्म ग्रंथों के रूप में जाने जाते हैं, इसीलिये मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि हमारे वैष्णव लेखकों द्वारा लिखे गये धर्म ग्रंथों में कोई भी ऐसा धर्म ग्रंथ नहीं है, जो अपने आप में समग्र और संपूर्ण हो !

इसी समग्र और संपूर्ण धर्म ग्रंथ के निर्माण की इच्छा से वेदव्यास और उनके अनुयायियों ने महाभारत जैसे 1 लाख 21 हजार श्लोकों के ग्रंथ का निर्माण किया और यह घोषणा की कि जो महाभारत में नहीं है ! वह ज्ञान भारत के इतिहास में कभी नहीं था !

फिर भी उसमें भी वह समग्रता का समावेश नहीं कर पाये ! तभी तो महाभारत के बाद भी सैकड़ों धर्म ग्रन्थ लिखे जा रहे हैं ! भक्ति काल के बाद अब तो धर्म ग्रन्थ लिखना व्यक्ति के बौद्धिक अहंकार से जुड़ चुका है !

रावण की हत्या के साथ ही शिव सहस्त्रार ज्ञान को वैष्णव आक्रांताओं ने नष्ट करके मानवता को अक्षम क्षति की है ! क्योंकि शिव सहस्रार ज्ञान की तरह न तो भूत में और न ही भविष्य में कभी कोई समग्र और संपूर्ण ज्ञान विकसित हो सकेगा !

वैष्णव आक्रांताओं ने शिव सहस्त्रार ज्ञान के 1008 सूत्रों को अपनी अविकसित संस्कृत के विस्तार के लिये नष्ट कर दिया ! किंतु आज भी तमिल लोकगीतों के माध्यम से 777 सूत्र को जाना जा सकता है !

जिस संदर्भ में सनातन ज्ञान पीठ के संस्थापक श्री योगेश कुमार मिश्र एक व्याख्यानमाला प्रारंभ कर रहे हैं, जो साथी इस तरह के गंभीर ज्ञान में रुचि रखते हैं ! उन्हें इस ओन लाईन व्याख्यान को अवश्य सुनना चाहिये !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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