जब बौद्ध धर्मियों ने भारत को नष्ट किया था ! और ब्राह्मणों ने बचाया | Yogesh Mishra

भारत में बौद्ध धर्म का जन्म ईसा पूर्व 6वी शताब्दी में और विकास सम्राट अशोक के साम्राज्य में राज्यधर्म के रूप में हुआ था ! वह समस्त भारत में ही नहीं चीन, जापान, स्याम, लंका, अफगानिस्तान सिंगापुर और एशिया के पश्चिमी देशों तक फैल गया ! बौद्ध धर्माचार्यों द्वारा कठोर सनातन व्यवस्था का विरोध करने के कारण बौद्ध धर्म कई सौ वर्ष तक निरंतर बढ़ता रहा और संसार के दूरवर्ती देशों तक फैलता चला गया ! किन्तु कालक्रम में आदि गुरु शंकराचार्य के प्रभाव से भारत में पुनः सनातन धर्म की स्थापना हुई और बौद्ध धर्म लगभग समाप्त हो गया !

कलिंग युद्ध के पश्चात सम्राट् अशोक ने बौद्ध धर्म ग्रहन किया और इसे राजधर्म घोषित कर दिया ! जिससे बौद्ध धर्म का काफी विस्तार हुआ ! अशोक ने पूरे जम्बूद्विप में लगभग 84,000 बौद्ध स्तुप लगवाये थे ! जिन्हें साची, सारनाथ आदि में आज भी देखे जा सकते हैं !

जिस प्रकार बौद्ध धर्म अकस्मात् बढ़ कर बडा़ बन गया और देश भर में छा गया ! राज धर्म घोषित हो गया ! इसके बाद राजकोष से अथाह धन इन बौद्ध बिहारों को मिलने लगा ! परिणाम यह हुआ कि धन की अधिकता के कारण धीरे धीरे बौद्ध बिहार अय्याशी केंद्रों में बदल गये और भारत की युवा पीढ़ी इन बौद्ध बिहारों में विलासिता के लिए बहुत बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षु बनकर जाने लगी ! जिससे सामाजिक संतुलन बिगड़ने लगा और भारत की राज सेनाओं में युवाओं की भर्ती बंद हो गई !

बिहारों के अंदर ब्राह्मण को छोड़कर शेष सभी जाति के लोगों को भगवा वस्त्र पहने और ध्यान साधना करने का अधिकार था ! जिसमें विदेशी घुसबैठिये भी शामिल थे !

दूसरी तरफ बौद्ध भिक्षु के रूप में विदेश जाने वाले बौद्ध भिक्षु भारत की अमूल्य संपदा और रहस्यों को विदेशों में ले जाकर बेचने लगे ! जिससे विदेशियों को भारत की संपन्नता का ज्ञान हुआ और उनका भारत के प्रति विशेष आकर्षण बना ! उन लोगों ने पहले तो भारत में अपने गुप्तचर भेजे फिर बाद में उन्हीं गुप्तचरो से प्राप्त सूचना के अनुसार भारत पर तरह-तरह के हमले शुरू कर दिये !

अधिकांश युवाओं के बौद्ध भिक्षु हो जाने के कारण भारत की राज सेनाओं में सैनिकों की संख्या दिन व दिन गिरती जा रही थी और बाहर से आक्रमण निरंतर बढ़ते जा रहे थे ! जिससे भारत की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अत्यंत कमजोर हो गई थी ! बौद्ध भिक्षु धन के लालच में विदेशी आक्रमण कर्ताओं के साथ मिलकर भारत की गोपनीयता को बेच रहे थे ! जिससे भारत की एकता अखंडता और अस्तित्व खतरे में आ गया था ! इधर अति विलासिता के कारण बौद्ध धर्म के भिक्षुओं का नैतिक आचरण गिरने लगा और वह निर्बल पड़ने लगे !

तब राष्ट्र रक्षा और धर्म रक्षा के लिये ब्राह्मण फिर बढे और उन्हें ने प्राचीन कर्मकांड के स्थान पर ज्ञान- मार्ग और भक्ति- मार्ग का प्रचार करना आरंभ किया ! कुमारिल भट्ट और शंकराचार्य जैसे विद्वानों ने मीमांसा और वेदांत जैसे ग्रन्थों का निर्माण किया ! चार पीठों की स्थापना की ! नागा योद्धा अखाड़ों की स्थापना की ! दर्शनों का प्रतिपादन हुआ ! ब्राह्मणों ने गुरुकुलओं से बाहर निकल कर कथाओं का आयोजन करना शुरू किया और अपने सनातन संस्कृति के महत्व को जनता को बतलाया !

दूसरी तरफ भक्ति मार्गियों ने कीर्तन और भजन गाकर जन सामान्य को अपने सनातन देवी देवताओं की शक्तियों से अवगत कराया और उन्हें यह बतलाया कि प्रकृति की व्यवस्था ईश्वर के अधीन है और जब तक मनुष्य ईश्वर से नहीं जुड़ता तब तक उसे कुछ भी प्राप्त नहीं हो सकता है !

जिसका प्रभाव यह कि बौद्ध धर्म के भिक्षुओं का नैतिक आचरण गिर जाने के कारण ही बौद्ध धर्म का पतन हुआ और सनातन धर्म की पुनः स्थापना हुई !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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