जैसा कि मैंने पूर्व के अपने एक लेख में बतलाया कि बौद्ध धर्म को लेकर आज तक कभी नहीं इतिहास में कोई प्रमाणिक ग्रंथ नहीं मिला है ! जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बौद्ध थे ! बल्कि सच्चाई यह है कि बौद्ध …
Read More »क्या बौद्ध धर्म वास्तव में कोई धर्म है : Yogesh Mishra
भगवान राम और कृष्ण के अस्तित्व को न मानने वाले बौद्ध धर्मी पहले यह सिद्ध करें कि क्या वास्तव में बौद्ध धर्म जैसा कोई धर्म कभी था ! जिस के संस्थापक कोई गौतम बुद्ध जैसा व्यक्ति हुआ करता था ! क्योंकि आज तक गौतम बुद्ध के रूप में दो अलग-अलग …
Read More »बौद्ध धर्म का दुर्भाग्य पूर्ण विभाजन : Yogesh Mishra
बुद्ध के निर्वाण के 100 वर्ष बाद ही आपसी कलह में बौद्ध धर्म दो सम्प्रदायों में विभक्त हो गया – महायान बनाम हीनयान ! यह दोनों बौद्ध धर्म की ही शाखाएं थीं ! हीनयान निम्न वर्ग के लिये और महायान उच्च वर्ग के लिये ! हीनयान एक व्यक्तिवादी धर्म था …
Read More »बौद्ध धर्म की उत्पत्ति और विकास में सहायक लोगों का परिचय : Yogesh Mishra
बौद्ध धर्म कभी धर्म प्रचारक आंदोलन के रूप में विकसित नहीं हुआ था ! किन्तु फिर भी बौद्ध के भाई आनंद की अच्छी प्रचार व्यवस्था के कारण यह भारतीय उपमहाद्वीप में बुद्ध की शिक्षाओं का प्रसार दूर-दूर तक हुआ और फिर वहां से यह ज्ञान पूरे एशिया भर में फैल …
Read More »गौतम बुद्ध दो नहीं एक ही थे ! : Yogesh Mishra
गौतम बुद्ध उतने मायावी थे नहीं जितना इनके शिष्यों ने उन्हें बना दिया ! इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व भगवान श्री राम के ही वंश की एक शाखा इक्ष्वाकु सूर्यवंशी क्षत्रिय वंश के “शाक्य कुल” के राजा शुद्धोधन के घर में उनकी पत्नी महामाया के गर्भ से हुआ …
Read More »बौद्ध धर्म ने कैसे समाज को पलायनवादी अपराधी और पुरुषार्थ विहीन बना दिया था ! : Yogesh Mishra
आज से लगभग 2500 साल पहले बौद्ध धर्म का उत्थान एक निराशावादी, पलायनवादी, अनुभव विहीन, अनपढ़, राजकुमार के द्वारा हुआ था ! पूरा बौद्ध धर्म सनातन धर्म विरोधी ज्ञान नास्तिकता, शिथिल मध्यम मार्ग और शून्यवाद पर टिका हुआ था ! बुद्ध स्वयं तो मांसाहारी थे पर वह वेदों और यज्ञों …
Read More »विश्व को विधर्म का मार्ग बौद्ध धर्मियों ने ही दिखलाया था ! : Yogesh Mishra
भगवान बुद्ध के समय के बाद भारत में हिन्दू एवं जैन, चीन में कन्फ्यूशियस तथा ईरान में जरथुस्त्र विचारधारा का बोलबाला था ! बाकी दुनिया ग्रीस को छोड़कर लगभग विचारशून्य ही थी ! ईसा मसीह के जन्म के पूर्व बौद्ध धर्म की गूंज जेरुशलम तक पहुंची थी और तप के …
Read More »बौद्ध धर्म, धर्म नहीं नास्तिकवादी दर्शन है ! : Yogesh Mishra
धर्म समाज को व्यवस्थित तरीके से चलने के लिये समाज द्वारा धारण किये गये वह नियम हैं !जिनका प्रभाव अनादि काल से अन्नत काल तक रहता है ! क्योंकि धर्म एक जीवनशैली है ! जीवन-व्यवहार का कोड है ! जो समझदारों, चिंतकों, मार्गदर्शकों, ऋषियों द्वारा सुझाया गया सात्विक जीवन-निर्वाह का …
Read More »गौतम बुद्ध का धूर्त अवतारीकरण : Yogesh Mishra
बुद्ध का अवतारीकरण धूर्त भारतीय बाबाओं, वक्ताओं और लेखकों का सबसे बड़ा और सबसे प्राचीन षड्यंत्र रहा है ! इस संदर्भ में आधुनिक भारत में ओशो के द्वारा चलायह गयह सबसे बड़े षड्यंत्र को गहराई से देखना समझना भी जरुरी है ! एक सनातनी बुद्धि से संचालित ओशो का पूरा …
Read More »क्या बौद्ध धर्म का आधार स्त्रियोचित था ! : Yogesh Mishra
प्रकृति के द्वारा ही पुरुष चित्त और स्त्री चित्त के चेतना के केन्द्र भी भिन्न-भिन्न होते है ! पुरुष मूलत: मष्तिष्क केन्द्रित है ! उसका सारा जोर बौद्घिक है ! वह हर चीज को तर्क वितर्क के आधार पर ही तोलता है ! उसके तर्क करने में भाव की गुंजाइश …
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