वैष्णव की छल नीति को अपनाया है, ईसाई धर्मांतरणकारियों ने !!

ब्रह्म ज्ञान को पूरी तरह हड़प लेने के बाद वैष्णव ने इस ब्रह्म ज्ञान के सहारे समस्त पृथ्वी पर अपना प्रभाव जमाने की शुरुआत की ! उन्होंने इसके लिये तीन अलग-अलग चरणों में कार्य आरंभ किया !

पहले चरण लोगों को ब्रह्म ज्ञान से शिक्षित करने के बहाने पूरी पृथ्वी पर गुरुकुल का एक ब्रह्म जाल बिछाया गया जिसकी पहुंच हर गांव के हर घर तक थी ! जैसा कि आजकल अंग्रेजी माध्यम स्कूल का प्रभाव है !

दूसरा व्यक्ति को स्वस्थ रखने के लिये उन्होंने गांव-गांव में आयुर्वेदाचार्य को पहुंचाया ! जिससे कि वह समाज को यह बता सकें कि उनको स्वास्थ्य लाभ बस सिर्फ वैष्णो आयुर्वेदाचार्य ही दे सकते हैं, अन्य कोई नहीं ! जैसा कि आजकल एलोपैथी के विषय में अवधारणा है !

और तीसरा भविष्य दर्शन कष्ट निवारण की शक्ति का प्रदर्शन उन्होंने जगह-जगह ज्योतिषाचार्यों के माध्यम से किया और ज्योतिष विज्ञान के आकर्षण को गांव-गांव तक ही नहीं बल्कि स्मार्ट फोन की तरह हर व्यक्ति तक पहुंचाने का प्रयास किया !

और जो व्यक्ति गुरुकुल, आयुर्वेद या ज्योतिष का अनुकरण नहीं करता था ! उसे धर्म विरोधी कहकर सरेआम उसकी हत्या कर दी जाती थी ! जैसे कि इसाई पहले चुड़ेल या शैतान कह कर सरे आम हत्या करते थे ! जिससे अन्य जनमानस वैष्णवों के प्रभाव में आ जाये !

इसके लिये वैष्णव शासक बहुत बड़ी तादाद में सैन्य शक्ति रखते थे और यह सैनिक शक्ति गैर वैष्णव व्यक्ति कोई दंडित नहीं करते थे, बल्कि उस समय ऐसा गैर वैष्णव व्यक्ति जिस गांव या क्षेत्र में रहता था, उस गांव या क्षेत्र को ही तहस-नहस कर देते थे और इन वैष्णव सैनिकों द्वारा खुले आम हत्या और बलात्कार होते थे ! जिससे अन्य व्यक्ति भयभीत होकर वैष्णवों का विरोध न कर सके !

आज भी कमोवेश वही नीतियां ईसाई धर्मांतरण के लिये अपनाई जा रही है ! सर्वप्रथम भारत में शिक्षा पर उनका पूर्ण अधिकार है ! जिस व्यक्ति के पास इन शिक्षण संस्थाओं की विधि के अनुसार सर्टिफिकेट नहीं हैं, उन्हें कोई भी सुविधाजनक नौकरी प्राप्त नहीं होती है ! मात्र जीविकोपार्जन करने के लिये मानसिक रूप से शिक्षा के माध्यम से व्यक्तियों को गुलाम बनाया जा रहा है !

ठीक इसी तरह स्वास्थ्य सेवा के नाम पर जो बड़े-बड़े अस्पताल चल रहे हैं, उन अस्पतालों के माध्यम से भी सेवा के नाम पर इसाई बहुत बड़ी तादाद में अपनी चिकित्सा पद्धति का ही विस्तार हो रहा हैं ! जिससे परंपरागत चिकित्सा पद्धतियां लगभग लुप्त हो गई है !

और आज इसाई तकनीक के विस्तार के कारण खानपान के प्रदूषित हो जाने से इन विदेशी एलोपैथी चिकित्सा पद्धति में इलाज करवाना व्यक्ति की आवश्यकता हो गया है ! जो व्यक्ति ऐसा नहीं करता वह काल के गाल में समा जाता है !

भविष्य दर्शन के नाम पर जैसे पूर्व में वैष्णव ज्योतिष का सहारा लेते थे ठीक उसी तरह आज इसाई समाज तकनीक का सहारा लेता है और वह हर व्यक्ति को यह बताने की कोशिश करता है, कि उनके पास भविष्य की तकनीक है ! यदि कोई गैर इसाई इसाई बनेगा तो उसे उस भविष्य की तकनीक का लाभ मिलेगा जिससे उसका जीवन सुखी होगा अन्यथा नहीं !

वैष्णव अपने को भजन, कीर्तन, शास्त्र लेखन आदि के माध्यम से स्वयं को महान घोषित करते थे और गैर वैष्णव को पहले बहलाना, फुसलाना, समझाना और यदि न माने तो उसे सैन्य शक्ति या युद्ध द्वारा नष्ट कर देना ही वैष्णवों की नीति रही है ! यही नीति कमोवेश आज इसाई धर्मांतरण करवाने वाले अपना रहे हैं !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

प्रकृति सभी समस्याओं का समाधान है : Yogesh Mishra

यदि प्रकृति को परिभाषित करना हो तो एक लाइन में कहा जा सकता है कि …