इस शहर के जीवन ने तो हमको ठग लिया !!

हरिकिशन तिवारी आज से 25 साल पहले अपने दो बच्चों के साथ लखनऊ आया था ! निहायत ही ईमानदार कार्य में समर्पित राष्ट्र भक्त और स्वाभिमानी था ! तनख्वाह बस इतनी ही थी कि घर खर्च आराम से चल रहा था ! आज जब बेटा बीटेक कर रहा है बेटी लॉ पढ़ रही है तब उसे एहसासा हुआ कि उसे लखनऊ ने कितना ठगा है !

आज तक कुल वेतन आदि से आया 50,000 *12*25 = 1,50,00,000

कुल खर्च =
आज तक किराया 8,000*12*25 = 24,00,000
कुल बिजली व्यय 5,000*12*25 =15,00,000
(एक ए. सी. सहित)
दैनिक घर खर्च 20,000*12*25 = 60,00,000
दो बच्चों के इण्टर तक की फ़ीस 8,000*12*15 = 14,40,000
बीटेक की फ़ीस 1,60,000* 4 = 6,40,000
क्लेट की फ़ीस 3,20,000* 5 =16,00,000
शहर के प्रदूषित जीवन के कारण बीमारी पर व्यय 3,000*12*25 = 9,00,000
कुल आवश्यक व्यय = 1,44,80000

इसके बाद 25 साल बाद भी गाँव में हवेली जैसा मकान छोड़ कर दो कमरे के किराये के मकान में हैं ! खेती बाड़ी सब नष्ट हो गयी ! बेटी की शादी के लिये पैसे नहीं हैं ! आपातकाल में इलाज आदि के लिये भी पैसे नहीं हैं ! यह है ईमानदार व्यक्ति की दुर्दशा !!

जीवन की अधिकांश पूंजी किराया, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य में ही ख़र्च हो गई ! बुढ़ापे में डिप्रेशन, ब्लडप्रेशर, डायविटीज मिली सो अलग !!

विचार कीजिये सुविधाओं व संसाधनों के शहरों में एकत्री करण की नीति पर !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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