गंगा नदी से भी प्राचीन गोमती उत्तर भारत में बहने वाली एक प्रमुख नदी है ! इसका उद्गम पीलीभीत जिले की तहसील माधौटान्डा के पास फुल्हर झील(गोमत ताल) से होता है ! इस नदी का बहाव उत्तर प्रदेश में 900 कि.मी. तक है ! यह वाराणसी के निकट सैदपुर के पास कैथी नामक स्थान पर गंगा में मिल जाती हैI
पुराणों के अनुसार गोमती ब्रह्मर्षि वशिष्ठ की पुत्री हैं तथा एकादशी को इस नदी में स्नान करने से संपूर्ण पाप धुल जाते हैं ! हिन्दू ग्रन्थ श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार गोमती भारत की उन पवित्र नदियों में से है जो मोक्ष प्राप्ति का मार्ग हैं !
पौराणिक मान्यता ये भी है कि रावण वध के पश्चात “ब्रह्महत्या” के पाप से मुक्ति पाने के लिये भगवान श्री राम ने भी अपने गुरु महर्षि वशिष्ठ के आदेशानुसार इसी पवित्र पावन आदि-गंगा गोमती नदी में स्नान किया था एवं अपने धनुष को भी यहीं पर धोया था और स्वयं को ब्राह्मण की हत्या के पाप से मुक्त किया था, आज यह स्थान सुल्तानपुर जिले की लम्भुआ तहसील में स्थित है एवं धोपाप नाम से सुविख्यात है !
लोगों का मानना है कि जो भी व्यक्ति गंगा दशहरा के अवसर पर यहाँ स्नान करता है, उसके सभी पाप आदिगंगा गोमती नदी में धुल जाते हैं ! सम्पूर्ण अवध में गोमती तट पर स्थित “धोपाप” के महत्व को कुछ इस तरह से समझाया गया है:–
ग्रहणे काशी, मकरे प्रयाग ! चैत्र नवमी अयोध्या, दशहरा धोपाप !!
अर्थात् अगर वर्ष भर में ग्रहण का स्नान काशी में, मकर संक्रान्ति स्नान प्रयाग में, चैत्र मास नवमी तिथि का स्नान अयोध्या में और ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशहरा तिथि का स्नान “धोपाप” में कर लिया जाय तो अन्य किसी जगह जाने की आवश्यकता ही नहीं है ! बस इतने मात्र से ही मनुष्य को सीधे बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है…!!
इसी गोमती नदी को प्रदूषण से बचा कर जीवन दान देने के लिये सनातन महा आरती का आयोजन किया जा रहा है ! जिसमें सनातन ज्ञान पीठ के संस्थापक श्री योगेश कुमार मिश्र आरती करते हुये !!