जानिये “गाय” कैसे मर रही है “तेरी गौरक्षा – मेरी गौरक्षा” में Yogesh Mishra

“गाय” ने तो कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा कि उसके तथाकथित “गौपुत्र” जो “गौरक्षा” के नाम पर “लाठी, डंडा, बंदूक, तलवार, आदि लेकर रात में खुली जीपों पर “अपनी जान” जोखिम में डालकर “कसाईयों” और “तस्करों” से “गायों” की रक्षा करते हैं ! उनके भी “गौरक्षा” के मानक अलग-अलग होंगे ! कुछ लोग “वास्तव” में गौरक्षा और गौ सेवा करते हैं ! लेकिन कुछ लोग तो बस “मंचों” पर “गौ रक्षा” करते हैं ! तो कुछ लोग सिर्फ “लेखों और विचारों” में “गौ रक्षा” करते हैं !

कुछ लोग “फोटो खिंचाने” और पत्र-पत्रिकाओं में छपने के लिये “गौ रक्षा” करते हैं ! कुछ ऐसे भी लोग हैं जो “गौ मांस भक्षण” करते हुए भी “गौ रक्षा” करते हैं ! लेकिन यदि कोई संत “गौ रक्षा” के लिए समर्पित होकर “सरकार पर दबाव बनाने के लिए” “भूख हड़ताल” या “धरना प्रदर्शन” करते हैं ! तो उनको आज के उपरोक्त “आडम्बरी गौरक्षकों” में से कोई भी “गौ रक्षक” किसी भी तरह का कोई भी सहयोग नहीं करते हैं ! मैं इसके दो छोटे-छोटे उदाहरण आपके सामने प्रस्तुत करता हूं !

“संत गोपालदास जी महाराज” जो 1 जून 2017 से “गौ रक्षा” हेतु “आमरण अनशन” पर बैठे हैं ! संतगोपाल दास की अचानक तबीयत बिगड़ गई । जिसके चलते उन्हें “पी.जी.आई. रोहतक” में भर्ती करवाया गया है । वह पहले भी 149 दिन तक “गौ रक्षा” हेतु विभिन्न मांगों को लेकर “आमरण अनशन” पर रह चुके हैं । इन अनशनों के चलते “संत गोपालदास” अब पूरी तरह से निढाल हो चुके हैं । उनका शरीर “कंकाल” की भांति नजर आने लगा है । उनकी एक “किडनी” बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है ।

लेकिन किसी भी “आडम्बरी गौरक्षक” ने उनके समर्थन में न तो कहीं “धरना प्रदर्शन” किया, न ही उनके जीवन के रक्षार्थ कोई “प्रशासनिक प्रयास” किया ! इधर “सत्ताधीशों” के कान में जूं तक नहीं रेंगी और न ही भ्रष्ट मिडिया ने ही इसका कभी प्रसारण किया ! क्योंकि वह मात्र “गौरक्षा का भावनात्मक धन्धा करने वाले” “भगवाधारी व्यवसाई” की तरह “स्वदेशी” के नाम पर इन “मीडिया वालों” को करोड़ों का विज्ञापन नहीं दे सकते हैं !

दूसरा उदाहरण “श्री गोपाल मणि जी महाराज” का है ! जिन्होंने सभी गौभक्तों से आवाहन करके 28 फ़रवरी 2016 को दिल्ली के “रामलीला मैदान” में “चार लाख गौ प्रेमियों” के साथ राष्ट्रव्यापी “महा गौरक्षा जनआंदोलन” किया था ! जिसे मिडिया और सत्ताधीशों ने कोई महत्त्व नहीं दिया और न ही यह सूचना जनता तक पहुँचाने दी ! अब वह पुनः 18 फ़रवरी 2018 से दिल्ली में आन्दोलन करने जा रहे हैं लेकिन किसी भी तथाकथित “गौरक्षक संगठनों” का इन दोनों ही संतों को कोई भी सहयोग नहीं मिल रहा है !

वैसे कहने को तो संघ, भाजापा, शिवसेना, बजरंग दल, हिंदू युवा वाहिनी, गौ रक्षा कमांडो ब्रिगेड, हिंदू सेना आदि न जाने कितने-कितने संगठन “गौ रक्षा” कर रहे हैं किंतु वास्तविकता यह है के इन संगठनों की ओट में यह लोग या तो अपना राजनीतिक प्रभाव को बढाना चाहते हैं या फिर “गौ हत्यारों और गौ तस्करों” से “अवैध धन” की वसूली करना चाहते हैं !

अगर वास्तव में ये “तथाकथित गौरक्षक” गौ रक्षा करने के लिए संकल्प बध्य हैं, तो मेरा इन “गौरक्षकों” से यह प्रश्न है कि जब कोई “सन्त” गायों की रक्षा के लिए कोई “आमरण अनशन” का “धरना-प्रदर्शन” करता है ! तो यह लोग सामूहिक रुप से उस “सन्त” का सहयोग क्यों नहीं करते हैं ! क्या सबकी गाय माता की परिभाषा अलग-अलग है या यह लोग “अलग-अलग तरीके से गौ रक्षा” करना चाहते हैं !

मैं गंभीरता से विश्लेषण के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि बहुत बड़ी संख्या में ईमानदारी से “गौ रक्षा” करने वाले ऐसे लोग हैं, जिन्हें न तो “गायों से संबंधित कानून” की जानकारी है और न ही उन्हें “गौ हत्या या गौ तस्करी” के पीछे होने वाले “राजनैतिक षड्यंत्र व संरक्षण” की जानकारी है ! यह लोग प्राय: स्वप्रेरणा से “निर्मल हृदय” के साथ “गौ रक्षा व गौ सेवा” करते हैं ! किंतु इन्हीं गौरक्षकों के मध्य कुछ मुट्ठी भर लोग ऐसे भी हैं, जो पुलिस वालों की तरह “लाठी और डंडे” का भय दिखाकर गौरक्षा के नाम पर “गौ हत्यारों और गौ तस्करों” से बस सिर्फ “अनुचित धन उगाही” करना चाहते हैं ! वास्तव में उनके मन में न तो गाय के प्रति कोई प्रेम है और न ही वह “ईमानदारी के साथ” गौ रक्षा ही करना चाहते हैं !

ऐसे भ्रष्ट, बेईमान, अवसरवादी, धूर्त, लोभी, राजनीतिज्ञ लोगों को पहचान कर “गौरक्षकों की भीड़” से अलग किया जाना चाहिये ! यह लोग प्रायः अपने “राजनैतिक संपर्कों” का इस्तेमाल करके या उगाए गए धन में से कुछ अंश “पुलिस प्रशासन” को देकर के उनका संरक्षण प्राप्त कर लेते हैं ! इन्हीं थोड़े से लोगों की वजह से देश के प्रधानमंत्री को यह कहने का अवसर मिल जाता है कि “गौ रक्षक गुंडे” हैं !

अगर वास्तव में यह लोग ईमानदार गौरक्षक हैं तो इन्हें भी “संतों के आमरण अनशन व धरना प्रदर्शन” में भारी से भारी संख्या में पहुंच कर “तन, मन, धन से सहयोग” करना चाहिए ! जिससे सत्ता में बैठे हुए लोग “गौरक्षकों की शक्ति” को समझ सकें और जिससे गौ रक्षा के निमित्त कोई प्रभावशाली कानून लागू कर वास्तव में गौरक्षा हो सके क्योंकि “संघे शक्ति कलायुगे” का सिधान्त यहाँ भी लागू होता है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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