अपने ही जन्म स्थान पर “भगवान राम” को “त्रिपाल” में बिठाये रखने के बाद आज गाय से घोषणा पत्र में पल्ला झाड़ लिया गया है ! अब क्या देश का तथाकथित राष्ट्रवादी राजनीतिक दल “गाय” पर राजनीति नहीं करना चाहता है ! पिछले पांच वर्षों में अनेक बार “गौरक्षकों” के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने का निर्देश इसी संभावना की पुष्टि करता है कि अब निकट भविष्य में भारत के अंदर “गाय” भारत के राजनीति को प्रभावित नहीं करेगी !
क्योंकि अभी तक यह इतिहास रहा है कि इन तथाकथित राष्ट्रवादियों ने जब-जब हिंदू समाज की सम्वेदनाओं से जुड़े हुए किसी भी विषय पर बार-बार वक्तव्य जारी किये हैं ! तो निश्चित तौर से भविष्य में वह संवेदनशील विषय भारत की राजनीति को जरूर प्रभावित करते रहे हैं !
अगर ऐसा नहीं है तो हमारे राष्ट्र के मुखिया यह जानते हैं कि भारत में कानून की व्यवस्था चलती है ! भारत के अंदर “गौ हत्या और गौ तस्करी दोनों ही संगीन अपराध है” और इस अपराध को रोकने के लिए केंद्र और राज्य दोनों के द्वारा विभिन्न तरह के नियम, अधिनियम आदि पहले ही बनाये जा चुके हैं ! जिन्हें कड़ाई से लागू कराने के लिए प्रशासन के पास एक “सशक्त पुलिस व्यवस्था” है ! किंतु इसके बाद भी बार-बार गौरक्षकों के ही विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने का जो निर्देश राज्यों को दिया जाता है, वह इस बात को बतलाता है कि आने वाले समय में हिंदुओं की भावनाओं से जुड़ी हुई “गौ माता” भारत में राजनीति का मुद्दा नहीं होंगी !
यदि वास्तव में गौरक्षकों के कृत्यों से देश का मुखिया परेशान है, तो वह स्पष्ट रूप से राज्यों को यह निर्देश क्यों नहीं जारी करते हैं कि “यदि किसी भी क्षेत्र में गौ हत्या या गौ तस्करी होते हुए पाई जाये गई, तो उस क्षेत्र के पुलिस प्रशासन व प्रशासनिक अधिकारी के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी !” यदि इस तरह का कठोर निर्णय शासन-सत्ता लेती है तो निश्चित रुप से आज से ही “गौ हत्या और गौ तस्करी” तत्काल प्रभाव से रोक लगेगी ! फिर गौरक्षकों को अपनी जान हथेली पर रखकर रात में सड़कों पर घूमना नहीं पड़ेगा !
इन सभी विषयों को स्पष्ट रुप से जानते हुए भी हमारे देश के अति बुद्धिमान राष्ट्रीवादी पार्टी के मुखिया शासन प्रशासन को दुरुस्त करने की जगह बार-बार गौ रक्षकों के विरुद्ध ही कार्यवाही करने के लिए दबाव क्यों डालते हैं ! स्पष्ट है कि बहुत जल्द निकट भविष्य में भगवान श्री राम की तरह भगवान श्री कृष्ण की “गाय” निश्चित रुप से भारत की राजनीति को प्रभावित नहीं करने जा रही है !
दुखी हैं वह गौरक्षक को जिन्होंने अपना सर्वस्व दांव पर लगाकर गाय की रक्षा के लिये हर संभव प्रयास किया किन्तु आज देश के मुखिया ही गाय से पल्ला झाड़ रहा है ! अगर सकारात्मक रूप से देश के मुखिया इस विषय को गंभीरता से लेते तो निश्चित रुप से हिंदुस्तान के अंदर गौ वध करने वाली सभी वधशालाएं बंद होती और सड़कों पर बेसहारा पशु के रूप में कूड़े में भोजन ढूंढने वाली “गाय” सुव्यवस्थित गौशालाओं में पाल रही होती ! जैसा कि प्रत्येक हिंदू की इच्छा थी !