जानिए वास्तव में भारत महान क्यों है !! : Yogesh Mishra

जब पूरी दुनिया भूखी नंगी अपनी जीवन रक्षा के लिये दूसरों की हत्या करते फिरती थी ! तब भारत में एक सभ्य ज्ञानवान समाज विकसित हो चुका था ! उस समय हमारे देश में ऐसे बहुत से आविष्कार ! यान ! सूत्र ! सारणी आदि का प्रयोग किया जाता था जिसके बारे में सुन और पढकर आधुनिक विज्ञान आज भी दांतों तले उंगलियाँ दबा लेता है ! तथा पौराणिक कथाओं में वर्णित ऋषि-मुनि विज्ञान की खोज से भी पहले ही उन चमत्कारों को दर्शा चुका था ! जिन्हें पश्चिम का विज्ञान चुरा कर आज अपना आविष्कार बता रहा है !

परन्तु आज भारत की सबसे बड़ी बिडम्बना यह है की कुछ कुंठित तथाकथित बुद्धिजीवी इन्हें मात्र कहानी मानते हैं ! यह मानसिक गुलाम बुद्धिजीवी तो इस सत्य को काल्पनिक तक करार दे देते हैं !

जबकि खुद अब्दुल कलाम जैसे वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने कई बार कहा है कि उन्हें प्राचीन भारतीय ग्रंथो से ही मिसाइल बनाने की प्रेरणा मिलती थी ! अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी कई बार प्राचीन भारतीय ग्रंथो की भूरी भूरी प्रशंसा की है ! अभी कुछ समय पहले भी “हिस्ट्री चैनल” ने यह रहस्योघाटन किया था कि हिटलर प्राचीन भारतीय ग्रंथो पर अध्यन करके टाईम मशीन बनाना चाहता था ! इतना ही नहीं आज भी विश्व के विकसित देशों की प्रयोगशालाओं में होने वाले अधिकांश अविष्कार के प्रेरणा श्रोत भारतीय सनातन ग्रन्थ ही हैं !

जी हाँ ! दिल्ली में कुतुबमीनार के पास ही सैकड़ों साल से “लौह स्तम्भ” शान से खड़ा है और आज तक इस पर जंग भी नहीं लगी ! कई देशो के वैज्ञानिक इस पर अनेक बार अध्यन कर चुके हैं लेकिन आज तक कोई इसका रहस्य नहीं जान पाया कि इस लोहे में जंग क्यों नहीं लगती है !

राजा विक्रमादित्य के काल में “व्याड़ी” नामक व्यक्ति की कहानी तो आपने सुनी ही होगी ! जिसने अथक प्रयासों के बाद सोना बनाने की कला में महारत हासिल कर ली गई थी ! जिसने इतना सोना बना दिया था कि राजा विक्रमादित्य के पास उस सोने को रखने का स्थान न उपलब्ध होने के कारण “व्याड़ी” से आग्रह करके सोना उत्पादन का कार्य रुकवाना पड़ा था ! यह बात विश्व के महानतम रहस्यों में से एक है !

इसी तरह रसायन सिद्ध पुरुष नागार्जुन के बारे में कौन नहीं जानता है ! कहा जाता है कि इन्होंने जो ग्रन्थ लिखे थे ! उनमे से अधिकांश चुरा कर ले जाने के बाद भी विश्व के सरे वैज्ञानिक मिल कर सोना नहीं बना पाये ! जिन ग्रंथो पर आज भी गुप्त रूप से अध्ययन जारी है !

आजकल सभी देशों में न्यूलियर वेपन का परीक्षण करने की होड़ सी लगी है ! आधुनिक वैज्ञानिक आणविक और परमाणु हथियारों को अपना आविष्कार मानते हैं ! लेकिन सदियों पहले घटित हुये महाभारत के युद्ध में आणविक हथियारों का प्रयोग करने जैसी घटनाओं के अनेकों उल्लेख मिलते हैं !

उस समय न तो विज्ञान का आविष्कार हुआ था और न ही तकनीक का ही कोई नामोनिशान था ! तब भारत के युग पुरुष ब्रह्मास्त्र जैसे हथियारों का प्रयोग किया करते थे ! यह ब्रह्मास्त्र इतना शक्तिशाली होते थे कि समुद्र तक को सुखाने की छमता रखते थे ! इसके पास समस्त ब्रह्मांड तक के विनाश की ताकत थी !

आधुनिक विज्ञान अपने को विमानों का जनक मानता है ! लेकिन कई प्राचीन भारतीय ग्रंथो में विमानों का विस्तार पूर्वक उल्लेख है ! इनमे सबसे प्रसिद्द है “पुष्पक” विमान ! जिसमे बैठ कर श्री रामचन्द्रजी माता सीता सहित अयोध्या पधारे थे ! सबसे आश्चर्यजनक बात यह है की विमानों को लेकर भारत में कई अति प्रसिद्ध ग्रन्थ भी लिखे गये थे ! जिनमे से सबसे प्रसिद्ध ऋषि भारद्वाज रचित “यन्त्र वर्चस्वं” है !

अल्बर्ट आइंस्टीन और स्टेफेन हाकिंग का मशहूर सापेक्षता के सिद्धांत में उन्होंने इस बात की व्याख्या की है कि धरती से बाहर अन्तरिक्ष में अलग स्थानों पर समय की गति भी भिन्न भिन्न होती है ! यही बात हमारे पुराणों में हजारो साल पहले भी कही जा चुकी है ! जिसके अनुसार अलग-अलग ग्रह और लोको में समय की गति भी अलग अलग होती है ! हरिवंश पुराण तथा ब्रह्म वैवर्त पुराण में इसका विस्तार से वर्णन है !

भ्रूण स्थानांतरण अर्थात गर्भ के बाहर भ्रूण को उत्पन्न कर उसे गर्भ के भीतर स्थानांतरित करने का चमत्कार विदेशी वैज्ञानिकों के नाम दर्ज है ! आज के दौर में इस तकनीक को आइ.वी.एफ यानि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कहा जाता है ! लेकिन असल में यह सबसे पहले तब अनुभव हुआ था जब धृतराष्ट्र पुत्र कौरव का जन्म हुआ था !

न्यूटन को गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का जनक कहा जाता है ! लेकिन शायद आपको जानकार आश्चर्य होगा की गुरुत्वाकर्षण जिसे भारतीय संदर्भो में आकर्षण सिद्धांत कहा जाता है की जानकारी भारतीय ऋषि पूर्व भास्कराचार्य ने गुरुत्वाकर्षण के नियम को जान लिया था और उन्होंने अपने दूसरे ग्रंथ ‘सिद्धांतशिरोमणि’ में इसका उल्लेख भी किया है !

इसके अलावा अति प्रसिद्ध भारतीय ग्रन्थ “लीलावती” जिसे महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने अपनी पुत्री लीलावती के नाम पर लिखा था ! इस ग्रन्थ में भी गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बारे में विस्तार से लिखा गया है ! इसी सन्दर्भ में एक कथा आती है की एक दिन लीलावती खेलते खेलते अपने पिता (भास्कराचार्य) के पास आती है और उनसे पूछती है की पिताजी यह सभी ग्रह जैसे सूर्य धरती क़िस पर टिके हुये हैं !

तब भास्कराचार्य हँस कर कहते है की यह किसी पर भी नहीं टिके हुये ! वास्तव में अन्तरिक्ष का कोई आधार नहीं है ! तब लीलावती पुनः प्रश्न करती है की पिताजी फिर यह सभी ग्रह निचे क्यों नहीं गिर जाते ! तब भास्कराचार्य कहते है की वास्तव में सभी ग्रह एक दुसरे की आकर्षण शक्ति से बंधे हुये है ! और यही आकर्षण शक्ति है जो इन्हें आपस में इक्कठा रखे और टिकाये हुये है !

ऑर्गन ट्रांसप्लांट की विधा आजकल बहुत आम है ! अगर मनुष्य के शरीर का कोई हिस्सा खराब हो गया है ! या उसका कोई अंग भली प्रकार से कार्यरत नहीं है ! तो चिकित्सक उसे शरीर से अलग कर आर्टिफिशियल या फिर किसी अन्य मनुष्य का अंग लगा देते हैं ! लेकिन जानते हैं सबसे पहले इस विधा का प्रयोग कब हुआ था ?

एक सामान्य बालक के रूप में जन्में पार्वती और महादेव की संतान भगवान गणेश के जन्म पर शनि देव भी उपस्थित थे ! पौराणिक कथा के अनुसार शनिदेव की दृष्टि पड़ते ही भगवान शिव ने गणेश के सिर को त्रिशूल से धड़ से अलग कर दिया ! इस घटना के बाद स्वयं विष्णु के कहने से सिर की तलाश में गये ! इतने में ही उन्हें हाथी का बच्चा सोया हुआ नजर आया ! उन्होंने हाथी के बच्चे का सिर काटकर गणेश जी के धड़ से जोड़ दिया था !

17वीं शताब्दी में जिओवानी और रिचर नाम के दो वैज्ञानिकों ने सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी को मापा था ! उनके अनुसार यह दूरी 140 मिलियन किलोमीटर थी ! लेकिन क्या ये दूरी पहली बार मापी गई थी? इन दो वैज्ञानिकों की खोज से बहुत पहले लिखी गई हनुमान चालीसा का श्लोक “जुग सहस्त्र जोजन पर भानू ! लील्यो ताहि मधुर फल जानू” स्वयं इस दूरी को बयां करता है !

इस श्लोक के अनुसार भानु अर्थात सूर्य ! पृथ्वी से जुग सहस्त्र योजन की दूरी पर है !1 जुग अर्थात 12 हजार ! सहस्त्र अर्थात 1000 और योजन 8 मील (1 मील = 1.6 किलोमीटर) 12000x1000x8मील का हिसाब (153,600,000 किलोमीटर) लगभग उसी संख्या को दर्शाता है ! जो वैज्ञानिकों द्वारा मापी गई थी ! आदि आदि !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

प्रकृति सभी समस्याओं का समाधान है : Yogesh Mishra

यदि प्रकृति को परिभाषित करना हो तो एक लाइन में कहा जा सकता है कि …