जैसा कि रामायण में नहीं बल्कि रामचरितमानस में लिखा है कि शिव भक्त राजा जनक ने सीता स्वयंवर में यह शर्त रखी थी कि जो व्यक्ति शिव धनुष पिनाक की प्रत्यंचा चढ़ा देगा ! उसी से वह सीता का विवाह करेंगे ! अतः भगवान श्री राम ने सीता से विवाह करने के लिये जैसी ही शिव धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयास किया ! वह टूट कर नष्ट हो गया और राम का विवाह सीता के साथ हो गया !
राजा जनक की दो कन्या सीता तथा उर्मिला का विवाह राम तथा लक्ष्मण से हुआ ! तथा भाई कुशध्वज की कन्या मांडवी तथा श्रुतिकीर्ति का विवाह भरत तथा शत्रुघ्न से विश्वामित्र तथा अहल्या पुत्र एवं राजपुरोहित शतानंद के दबाव में हुआ ! जबकि वैष्णव जीवन शैली का निर्वहन करने के कारण राजा जनक ने सीता के विवाह के लिये कभी भी दशरथ परिवार को आमंत्रित भी नहीं किया था !
लेकिन शोध करने पर तथ्य कुछ और ही बतलाते हैं ! सभी जानते हैं कि राजा जनक का परिवार शिव उपासक था ! वह राजा मिथि की 37वीं पीढ़ी थे ! जिनका वास्तविक नाम सीरध्वज था ! वह ही सीता पालक पिता कहलाये ! यह राजवंश अत्यंत प्राचीन तथा प्रसिद्ध शिव उपासक राजवंश था ! जो परशुराम के मार्गदर्शन में साम्राज्य चलते थे ! जिसके मूल पुरुष जनक थे ! उन्हीं के कारण अन्य सभी राजाओं को भी जनक ही कहा जाता था !
और राजा जनक स्वयं शैव जीवन शैली से साधना करके विदेही की स्थिति को प्राप्त कर चुके थे ! ऐसी स्थिति में राजा जनक का परिवार शिव उपासक होने के कारण उनके पूर्वजों राजा निमि के भाई देवरात को पिनाक अपने साम्राज्य की रक्षा के लिये दे दिया था ! जिसकी मारक क्षमता बहुत ही विध्वंसक और दूर तक थी !
इंद्र के दबाव में तड़का के पति सुन्द की हत्या महर्षि अगस्त ने की थी ! तब तड़का के दोनों पुत्र छोटे थे ! परन्तु पुत्रों के जवान होने पर जब तड़का ने अपने पुत्रों से पिता की हत्या करने वाले अगस्त से बदला लेने को कहा तब इसकी सूचना मिलते ही विश्वामित्र ने वृद्ध दशरथ के पुत्र राम लक्ष्मण का सहारा लेकर सुन्दर वन में निवास करने वाली रावण की नानी ताड़का तथा उसके पुत्र सुबाहु का भी वध कर दिया ! जिस क्षेत्र में शिवभक्त एवं रावण के प्रिय गुरु भाई परशुराम जी की भी तप स्थली थी !
तब विश्वामित्र ने यह विचार किया कि यदि रावण को अपनी नानी और मामा सुबाहु के वध की सूचना प्राप्त होगी तो वह निश्चित ही परशुराम और राजा जनक के सहयोग से पिनाक अस्त्र का उपयोग करके अयोध्या पर विध्वनशक आक्रमक हमला करेगा ! जिससे अयोध्या नष्ट हो सकती है !
पिनाक भगवान शिव का मूल शस्त्र धनुष है ! जो विनाश या “प्रलय” के लिये उपयोग किया जाता था ! जिसे भगवान शिव ने राजा जनक के पूर्वज राजा देवरथ को राज्य की रक्षा के लिये प्रदान किया था ! राजा दक्ष की पुत्री व भगवान शिव की पत्नी सती की मृत्यु की सूचना पाकर शिव ने इसी पिनाक से सारी पृथ्वी पर राजा दक्ष के समस्त मित्र वैष्णव राजाओं के विरुद्ध एक साथ तांडव मचा दिया था ! इसकी टंकार मात्र से ही बादल फट जाते थे और पर्वत हिलने लगते थे ! ऐसा लगता था मानो भूकंप आ गया हो और इसके आक्रमण से साम्राज्य के साम्राज्य एक बार में ही ख़त्म हो जाते थे !
उसी समय संयोग से राजा जनक ने अपनी बेटी के विवाह के लिये शिव धनुष पिनाक पर प्रत्यंचा चढ़ाने की शर्त रखी ! जिस अवसर का लाभ उठाकर बिना आमंत्रण के ही विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को लेकर सीता के उस विवाह समारोह में पहुंच गये और राम को उस पिनाक शिव धनुष को कैसे क्रियाहीनं अर्थात नष्ट करना है ! उसका तरीका मार्ग में ही बतला दिया था ! विवाह अवसर के बहाने राम ने प्रत्यंचा चढ़ाने के लिये जब पिनाक पर अपना प्रयोग किया तो विश्वामित्र द्वारा बतलाये गये तरीके का इस्तेमाल करके छल पूर्वक प्रत्यंचा चढ़ाने के बहाने पिनाक धनुष को ही नष्ट कर दिया !
जिसकी सूचना मिलते ही परशुराम अत्यंत क्रोध में तत्काल राजा जनक के समारोह स्थल की ओर चल दिये ! लेकिन तब तक राम सीता आदि का विवाह हो चुका था ! उन्होंने राम के इस कार्य का पर घोर आपत्ति की किंतु राम की आयु कम होने के कारण, परशुराम की निगाह में राम के पिता दशरथ के वृद्ध होने के कारण, अपनी प्रिय मित्र राजा जनक के पुत्रियों का राम आदि से विवाह होने के कारण, दो राज घरानों में अनावश्यक दुश्मनी होने की संभावना के कारण और राम को बालक समझकर क्षमा कर दिया !
इसलिये मात्र यह कहना कि सीता स्वयंवर के लिये राम ने धनुष तोड़ा था ! यह गलत है बल्कि ताड़का और उसके पुत्र सुबाहु के वध के उपरांत रावण के प्रभाव और भय से भयभीत होकर विश्वामित्र ने एक कूटनीतिक चाल द्वारा भगवान शिव के दिव्य अस्त्र पिनाक को नष्ट करवा दिया था ! जिससे परशुराम और राजा जनक के सहयोग से रावण पिनाक अस्त्र द्वारा अवध राज्य पर आक्रमण न कर सके !