मात्र ध्यान हमारी मस्तिष्क की संरचना बदल देता है ! Yogesh Mishra

ध्यान यानी मेडिटेशन के सकारात्मक प्रभावों को अब वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं ! ट्यूबिंगन मेडिकल कॉलेज के मनोविज्ञानियों ने दावा किया है कि ध्यान करने से कुछ दिनों के भीतर ही मस्तिष्क में जबरदस्त बदलाव आने लगता है ! यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानी ध्यान से पहले और बाद में मस्तिष्क की तरंगों को बारीकी से जांच रहे हैं ! अब तक की जांच में उन्होंने देखा कि मात्र 8 हफ्तों में ही मस्तिष्क में कुछ स्पष्ट सा बदलाव आने लगता है !

हमने मस्तिष्क की वह संभावनाएं मापीं जो जाग्रत सतर्कता को दर्शाती हैं ! हाल के समय में कंप्यूटर टोमोग्राफी के जरिये भी इन दावों की पुष्टि की गई है ! यूनिवर्सिटी के एक और मनोविज्ञानी मार्टिन हाउटसिंगर कहते हैं, “यह एक आशावादी नजरिये जैसा है !

ध्यान एक मानसिक प्रक्रिया है ! मानसिकता या विचार, निश्चित रूप से मूड को प्रभावित करते हैं !” विज्ञान अब शरीर के भीतर की इस दुनिया में दाखिल हो रहा है, विचार के जरिये अब इलाज के रहस्य भी समझ में आ रहे हैं ! यह पक्की बात है कि ध्यान मस्तिष्क और शरीर पर सकारात्मक असर डालता है !

हिंदू धर्मग्रंथों में भी ध्यान को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है ! हिंदू धर्मगुरू और बौद्ध भिक्षु घंटों हर दिन ध्यान करते हैं ! मान्यता है कि लगातार ध्यान करने से भगवान को प्राप्त किया जा सकता है और पूरी तरह चिंतामुक्त जीवन जिया जा सकता है !

1970 में जब अमेरिका के मनोवैज्ञानिक रिचर्ड डेविडसन ने कहा कि वह ध्यान की ताकत पर शोध करना चाहते हैं तो उन्हें हंसी में टाल दिया गया था ! उन्हें यहां तक कहा गया कि एक विज्ञानी के तौर पर करियर शुरुआत करने का यह बिलकुल अच्छा तरीका नहीं है ! लेकिन इसी शोध ने उन्हें आज दुनिया भर में नाम दिया है ! अमेरिका की विसकॉन्सिन यूनिवर्सिटी में डेविडसन ध्यान और उसके प्रभावों पर शोध कर रहे हैं ! हाल ही में उन्होंने एक टीवी से बातचीत में कहा कि ध्यान के कारण न केवल सहानुभूति, दया, प्रेम, शांति, करुणा के भाव पैदा होते हैं बल्कि इससे दिमाग की संरचना में भी बदलाव आ जाता है ! उन्होंने ऐसे बौद्ध भिक्षुओं के मस्तिष्क की जांच की जिन्होंने 10 हजार घंटे ध्यान किया है और उन लोगों की भी जो ध्यान में अभी नौसिखिये हैं !

जांच में सामने आया कि ध्यान करने वाले बौद्ध भिक्षुओं के मस्तिष्क की संरचना बदल गई है ! उनकी कोशिकाओं में बदलाव आया है ! इस कारण उनके अंतः स्रावी तंत्र पर असर पड़ता है ! शोध में सामने आया कि लंबे समय ध्यान करने वाले लोग ज्यादा खुश रहते हैं और उन्हें अपने आप तनाव से मुक्ति मिल जाती है !

1992 में तिब्बत के धर्म गुरू दलाई लामा ने डेविडसन से कहा था कि अवसाद, व्यग्रता, डर के कारण ढूंढने की बजाये वह विज्ञान का उपयोग खुशी, करुणा, सहानुभूति के कारण ढूंढने में करें ! न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में डेवडिसन ने कहा कि वह बातचीत मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण थी ! एक ऐसी चर्चा जिसने मेरे जीवन की राह बदल दी !

फिलहाल डॉक्टर डेविडसन विस्कॉन्सिन मेडिसिन संस्थान में हैं और उन्होंने वहां मस्तिष्क के व्यवहार पर जांच करने के लिये संस्थान भी शुरू किया गया है ! जिसमें साथ ही स्वस्थ दिमाग की जांच भी की जाती है !

भारत, तिब्बत में जारी ध्यान की अलग-अलग विधाओं को उन्होंने एक वैज्ञानिक आधार दिया है ! यह साबित किया है कि ध्यान के जरिये मानसिक असंतुलन के साथ ही मनौवैज्ञानिक बीमारियों का इलाज मिल सकता है और मनुष्य खुश बन जाता है !

बेहतर ध्यान और एकाग्रता आपके जीवन को आसान और सफ़ल बनाने के सबसे ज़रूरी हैं ! खासकर विद्यार्थियों के लिए पूर्ण एकाग्रता सफ़लता की वह कुंजी है जिसकी मदद से वह किसी भी परीक्षा में मनचाहा परिणाम पा सकते हैं ! पर अधिक्तर लोगों को किसी ख़ास समय या अधिक समय तक अपनी दिमागी शक्ति को नियंत्रण करने में काफी संघर्ष करना पड़ता है क्योंकि मनुष्य का मस्तिष्क अपने आसपास के शोर और कोलाहल को जल्दी नजरअंदाज नहीं कर पाता और जब आप अपना ध्यान एकाग्रित करने में सक्षम नहीं होते तब आपको आसान काम भी मुश्किल लगने लगते हैं और आप उस काम को खात्म करने में भी सामान्य से अधिक समय लेते हैं !

अर्थात कहने का अर्थ यह है कि एकाग्रता का अर्थ है किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अन्य बातों पर ध्यान न लगाते हुए एक ही चीज पर ध्यान केन्द्रित करना ! मनुष्य में होने वाली यह मानसिक क्रिया बहुत से हॉर्मोन्स द्वारा नियंत्रित की जाती है ! हम ध्यान द्वार ख़ुशी देने वाले एक ऐसे ही महत्वपूर्ण हॉर्मोन्स के बारे में जानेंगे जो हमारी एकाग्रता और सीखने की क्षमता को प्रभावित करते हैं ! वह है डोपामाइन ! जिसे ध्यान प्रक्रिया द्वारा विकसित किया जा सकता है !

डोपामाइन, जिसे ‘मोटीवेशन हॉर्मोन’ भी कहा जाता है, एक ऐसा हार्मोन है जो आपको किसी भी कार्य को सफ़लतापूर्वक समाप्त करने के लिए ज़रूरी प्रेरणा और मानसिक एकाग्रता देता है ! यह एक न्यूरोहार्मोन है जो मुख्य तौर पर ध्यान, एकाग्रता और प्रेरणा जैसी मानसिक गतिविधियों के लिए ज़िम्मेदार होता है !

एक अध्ययन के मुताबिक डोपामाइन हार्मोन हमारे ब्रेन पावर के लिए भी जिम्मेदार होता है ! डोपामाइन सीखने, त्वरित प्रतिक्रिया और याद्‌दाश्त जैसे कई क्रियाओं के लिए जिम्मेदार होता है ! हमारे दिमाग में प्राकृतिक रूप से डोपामाइन का उत्पादन होता है !

शरीर में डोपामाइन हार्मोन की कमी के चलते थकावट, ध्यान ना लगा पाना, एकाग्रता में कमी, भूलना, नींद ना आना आदि जैसे लक्षण दिखाई देते हैं ! इन सभी परेशानियों का इलाज ध्यान है

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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