विश्व सत्ता इल्लुमिनाति दोनों अलग-अलग हैं : Yogesh Mishra

लोगों को यह बहुत बड़ा भ्रम है कि विश्व सत्ता और इल्लुमिनाति एक ही हैं ! जबकि यह गलत है !

“इल्लुमिनाति” एक सिद्धांत विहीन व्यवसायिक संस्था के कई सदस्य समूहों को दिया गया नाम है ! जिसमें कुछ वास्तविक हैं तो कुछ व्यावसायिक लाभ के लिये काल्पनिक भी हैं ! ऐतिहासिक रूप से आमतौर पर बवेरिया, जर्मनी के एक शहर में 1 मई 1776 को एक प्रबुद्ध वर्ग द्वारा गुप्त व्यावसायिक समाज का निर्माण किया गया था ! जिसका एक मात्र उद्देश्य किसी भी तरह लाभ कमाना है ! तरीका सही या गलत कुछ भी हो ! इसमें मानवीय सिद्धान्तों का न तो कोई मूल्य है और न ही कोई मर्यादा है !

इस संस्था के संस्थापक एडम वेइशॉप्ट थे ! इसका मुख्यालय इंगोल्स्तद, जर्मन में था ! एडम वेइशॉप्ट वहां के एक जाने-माने प्रोफेसर और दार्शनिक थे ! जर्मन में ही जन्मे और पले-बढ़े एडम बचपन में ही अनाथ हो गये थे ! रिश्ते के एक चाचा की देखरेख में वह पले बढ़े थे ! उन्होंने बचपन से समाज के स्वार्थ और क्रूरता पूर्ण व्यवहार को काफी करीब से देखा था और यह निष्कर्ष निकला था कि समाज पैसे से ही चलता है ! यदि आपके पास पैसा नहीं है तो पढ़ने-.लिखने या सीधी-सादी जिंदगी बिताने से जीवन में कुछ भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है !

और यदि आपके पास पैसा है, तो समाज की सारी सुख सुविधायें आपको प्राप्त होंगी ! समाज आपको सम्मान देगा और लोग भी आपको सफल व्यक्ति मानेंगे ! फिर वह पैसा चाहे कैसे भी कमाया गया हो ! इसी सोच के साथ उन्होंने एक ऐसे संगठन का निर्माण किया, जिसका एक मात्र उद्देश्य धन कमाना था !

इसमें नैतिकता, सिद्धांत, धर्म या सामाजिक स्वीकृति अस्वीकृति का कोई महत्व नहीं था ! इसी संगठन का जब विस्तार होता गया तो आज दुनिया में लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति और व्यवसायी बड़ा लाभ कमाने के लिये इसी संगठन के सदस्य हैं या इस संगठन पर आश्रित हैं !

यह लोग पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करते हैं ! राजनीति में अपना वर्चस्व बनाये रखने के लिये राजनीतिज्ञों का देश, काल, परिस्थिति के अनुसार चयन करते हैं और उनको उनके मीडिया और पैसे की ताकत से उनके देश में स्थापित करते हैं ! विश्व की सभी मुद्रायें और व्यावसायिक नीतियाँ इन्हीं के नियंत्रण में हैं या यह कहिये कि आज यही लोग दुनियां चला रहे हैं !

जबकि विश्व सत्ता इनसे अलग है ! यह एक अलग संगठन है ! इसका उद्देश्य मात्र व्यवसाय करना नहीं है बल्कि इस धरती के भावी स्वरूप का निर्धारण करना है और उसे क्रियान्वित करना है ! इसमें व्यवसाई नहीं बल्कि इसमें ब्रह्माण्ड के शासक वर्ग के लोग हैं, जो यह चाहते हैं कि दुनिया किस तरह से चले ! दुनिया के सभी प्राकृतिक संसाधनों का क्या उपयोग हो ! पृथ्वी पर कितने लोग निवास करें ! पृथ्वी वासियों पर इनका नियंत्रण कैसा हो ! आदि आदि !

इसलिये आम जनमानस को नियंत्रित करने के लिये यह लोग उच्चतम तकनीक को प्रयोग करना चाहते हैं ! यह लोग चाहते हैं कि पूरी दुनिया में एक ही मुद्रा हो, एक ही धर्म हो, एक ही जीवन शैली हो और शासन सत्ता का एक ही केंद्र हो ! जिससे भविष्य में सभी प्रकार के विवाद की संभावना ही ख़त्म हो जाये !

जबकि इल्लुमिनाति ऐसा नहीं चाहती है क्योंकि वह जानते हैं कि यदि पूरी दुनिया में एक ही शासन, एक ही धर्म एक ही मुद्रा और एक ही जीवन शैली होगी, तो उनके व्यवसाय करने के सभी संभावित अवसर ही समाप्त हो जायेंगे ! इसलिये इल्लुमिनाति विश्व सत्ता की नीतियों से सहमति नहीं रखती है !

लेकिन विश्व सत्ता की नीतियों पर दूसरे ग्रहों पर बसने की तैयारी करने वाले अति विद्वान व्यक्तियों का नियंत्रण है इसलिये एक सीमा के आगे इल्लुमिनाति भी इनका कुछ नहीं कर पा रही है क्योंकि विश्व सत्ता का उद्देश्य उच्चतम तकनीक द्वारा ब्रह्मांड के सभी ग्रहों को एक महाशक्ति द्वारा संचालित करना है ! जिस उद्देश्य के आगे इल्लुमिनाति के उद्देश्य बहुत छोटे हो जाते हैं ! इसीलिये इल्लुमिनाति की कार्यशैली और विश्व सत्ता की कार्यशैली में जमीन आसमान का अंतर है !

लेकिन ज्ञान के अभाव में लोग इन दोनों को एक ही समझते हैं क्योंकि विश्व सत्ता इल्लुमिनाति के माध्यम से ही अपने कार्य को अंजाम दे रही है और हमें भ्रमित कर रही हैं ! जबकि सत्य यह है कि इल्लुमिनाति मात्र पृथ्वी पर रहने वाले जीवो का एक व्यवसायिक संगठन है ! जो मात्र व्यवसाय के द्वारा लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करता है !

जबकि विश्व सत्ता ब्रह्मांड के अन्य ग्रहों में बसने वाले परग्रहीय लोगों से भी जुड़ा हुआ संगठन है जो कि उच्चतम तकनीकि की मदद से ब्रह्मांड के सभी ग्रहों को एक महाशक्ति से संचालित करना चाहते हैं ! जिसके लिये वह लोग इस पृथ्वी पर भावी स्वरूप के अनुसार नीतियों का निर्धारण करते हैं और उन्हें क्रियान्वित करते हैं ! जिन्होंने अपने कार्य की शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ही शुरू कर दी थी ! वर्तमान व्यवस्था के लिये उन्होंने अपनी पहली उपस्थिति अमेरिका के जॉर्जिया स्टेट में 1980 में विशेष ग्रह नक्षत्रों में एक शिलालेख के माध्यम से दर्ज की थी ! जो आज भी विश्व के निवासियों के लिये एक रहस्य है !

इसीलिये आज तक पूरी दुनिया में कभी भी विश्व सत्ता का कोई भी केंद्र स्थापित नहीं हुआ है ! इनका कोई लोगो, चिन्ह, मुद्रा आदि नहीं है और न ही इस दुनिया में विश्व सत्ता का कोई आदमी कभी किसी भी संस्था द्वारा पकड़ा गया है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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