विश्व सत्ता के छद्म ऊर्जा युद्ध की तैय्यारी : Yogesh Mishra

इसी पृथ्वी के किसी कोने में अपने साम्राज्य विस्तार के लिए अदृश्य सैनिकों द्वारा चयनित व्यक्तियों को छद्म ऊर्जा युद्ध द्वारा खत्म करने की तैयारी चल रही है ! जिससे भविष्य में एलियन हमला कहा जाएगा !

इस हमले में हमलावर सैनिक दिखलाई नहीं देगा और न ही उसके द्वारा चलाए गए हथियार से किसी भी व्यक्ति के शरीर पर कोई निशान पड़ेगा किंतु जिस व्यक्ति पर यह हमला किया जाएगा ! उसका बायोलॉजिकल न्यूरो सिस्टम पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा और वह व्यक्ति या तो तत्काल मर जाएगा या वह पंगु होकर कुछ समय बाद मर जाएगा !

ऐसे अदृश्य बायोलॉजिकल हथियार भी बनाने का कार्य इसी पृथ्वी के किसी कोने में चल रहा है, जो चयनित व्यक्तियों पर हमले के लिए प्रयोग किया जाएगा !

इससे न तो कोई चोट का निशान होगा और न ही ऐसे मरे हुए व्यक्तियों की कोई एफ.आई.आर होगी ! फिर पोस्टमार्टम और जांच पड़ताल का तो कोई प्रश्न ही नहीं उठता है, इसीलिये यह सारे हमले एलियंस हमला कहकर फाइलें बंद कर दी जायेगी ! इनका कोई भी ऑफिशियल रिकॉर्ड आम जनता के लिए सार्वजनिक नहीं किया जाएगा !

इस एलियन हमले के पीछे नॉन रिफ्लेक्टर टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जायेगा ! सामान्यतय: होता यह है कि जब किसी भी वस्तु या व्यक्ति पर प्रकाश पड़ता है, तो उस प्रकाश का बिम्ब आंखों के रेटिना पर पड़ता है ! जिससे हमारा मस्तिष्क यह आंकलन कर पाता है कि वह क्या देख रहा है और आंकलन के उपरांत ही मस्तिष्क अपनी अभिव्यक्ति या क्रिया विधि का निर्धारण करता है !

इस टेक्नोलॉजी में रिफ्लेक्ट करने वाले बिम्ब के प्रकाश की गति को मोड़ कर हमारे मस्तिष्क को यह भ्रमित किया जायेगा कि हमारे सामने कोई भी नहीं है और ऐसी स्थिति में मस्तिष्क कोई भी निर्णय नहीं ले पायेगा ! जिसे आधुनिक लक्ष्यीय छद्म ऊर्जा युद्ध भी कहा जा सकता है ! इस तकनीकी का सहारा राम रावण युद्ध में कुंभकर्ण द्वारा लिया गया था !

इस पूरी की पूरी तैयारी के पीछे एक मात्र उद्देश्य है कि इस पृथ्वी से 750 करोड़ अवांछित व्यक्तियों को विदा करना ! क्योंकि विश्व सत्ता के नुमाइंदों का यह मत है कि इस पृथ्वी को अच्छी तरह से चलाने के लिए मात्र 50 करोड़ व्यक्ति ही पर्याप्त हैं ! इससे अधिक व्यक्ति इस पृथ्वी के बायोलॉजिकल सिस्टम को खराब कर रहे हैं, जिससे विश्व सत्ता के नुमाइंदों को खतरा है !

कहने को तो यह योजना वर्ष 1970 में ही बन गई थी किंतु इसके क्रियान्वयन की घोषणा अमेरिका के जॉर्जिया स्थान पर वर्ष 1980 में सार्वजनिक रूप से शिलालेख के माध्यम से प्रदर्शित किया गया ! जिसे हटाने का साहस अमेरिका की सरकार का भी नहीं है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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