राहु अपने बल से चन्द्र और सूर्य तक को निगल जाता है ! साथ में हो तो गुरु जैसे शुभ ग्रह को भी चांडाल बना देता है ! मनुष्य के बुद्धि विवेक की औकात ही क्या है ?
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जब देवताओं और असुरों नें अमृत के लिए समुद्र मंथन किया था तब भगवान विष्णु के मामने अमृत को असुरों से बचाने का मुद्दा खड़ा हो गया था ! सभी देवता चाहते थे कि असुरों को अमृत न मिले ! इसी उद्देश्य से भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप भी धारण कर लिया था !
लेकिन उनकी इस चाल का दानव स्वरभानू को पता चल गया गया था ! उस समय भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया था ! कहा जाता है कि उसी समय अनजाने में अमृत की कुछ बूंदें उसके कटे हुए सिर और धड़ दोनों पर गिर गईं और जिससे वो दोनों ही अमर हो गए ! उसी के सिर के राहू और धड़ को केतू कहा जाता है !
ज्योतिष के अनुसार राहु शोध ! कटु भाषण ! विदेश ! चीज़ों की कमी और उनकी चाहत ! तर्क ! झूठ ! चालाकी ! शक्ति ! गरिमा ! जुआ ! झगड़ा ! आत्महत्या ! गुलामी ! गलत तर्क आदि का प्रतीक है ! वहीं केतू अंतिम मुक्ति ! कारावास ! मोक्ष ! आत्महत्या ! दोषी व्यक्ति ! हत्या ! व्यभिचार ! जानवर ! उपभोग ! दर्दनाक बुखार ! महान तपस्या ! मन की अस्थिरता तथा विदेशी लोगों से संबंध का प्रतीक माना जाता है !
राहु और केतू किसी व्यक्ति को किस तरह प्रभावित करेंगे ये उस व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करता है ! कुंडली में जिस स्थान पर पर ये ग्रह बैठे होंगे और जिन भी ग्रहों की दृष्टि इन दोनों पर पड़ रही होगी उसी के अनुसार व्यक्ति के भाग्य पर प्रभाव पड़ेगा ! अगर राहु और केतू आपकी कुंडली में सही जगह पर बैठे हों तो ये संबंधित स्थान के प्रभावों को बढ़ा देते हैं लेकिन यदि इनकी स्थिति विपरीत हुई तो व्यक्ति को संबंधित क्षेत्र में सचेत रहना आवश्यक है !
राहु के मुख्य लक्षण (प्रभाव)—पेट के रोग ! दिमागी रोग ! पागलपन ! खाजखुजली !भूत -चुडैल का शरीर में प्रवेश ! बिना बात के ही झूमना ! नशे की आदत लगना ! गलत स्त्रियों या पुरुषों के साथ सम्बन्ध बनाकर विभिन्न प्रकार के रोग लगा लेना ! शराब और शबाब के चक्कर में अपने को बरबाद कर लेना !लगातार टीवी और मनोरंजन के साधनों में अपना मन लगाकर बैठना ! होरर शो देखने की आदत होना ! भूत प्रेत और रूहानी ताकतों के लिये जादू या शमशानी काम करना ! नेट पर बैठ कर बेकार की स्त्रियों और पुरुषों के साथ चैटिंग करना और दिमाग खराब करते रहना !
कृत्रिम साधनो से अपने शरीर के सूर्य यानी वीर्य को झाडते रहना ! शरीर के अन्दर अति कामुकता के चलते लगातार यौन सम्बन्धों को बनाते रहना और बाद में वीर्य के समाप्त होने पर या स्त्रियों में रज के खत्म होने पर टीबी तपेदिक फ़ेफ़डों की बीमारियां लगाकर जीवन को खत्म करने के उपाय करना ! शरीर की नशें काटकर उनसे खून निकाल कर अपने खून रूपी मंगल को समाप्त कर जीवन को समाप्त करना ! ड्र्ग लेने की आदत डाल लेना ! नींद नही आना ! शरीर में चींटियों के रेंगने का अहसास होना !गाली देने की आदत पड जाना !सडक पर गाडी आदि चलाते वक्त अपना पौरुष दिखाना या कलाबाजी दिखाने के चक्कर में शरीर को तोड लेना आदि ! जुआ ! सट्टा ! बाजी नामक रोग लगा लेना आदि इन रोगों के अन्य रोग भी राहु के हैं !
जैसे कि किसी दूसरे के मामले में अपने को दाखिल करने के बाद दो लोगों को आपस में लडाकर दूर बैठ कर तमाशा देखना ! लोगों को क्लिप बनाकर लूटने की क्रिया करना और इन कामों के द्वारा जनता का जीवन बिना किसी हथियार के बरबाद करना भी है ! अगर उपरोक्त प्रकार के भाव मिलते है ! तो समझना चाहिये कि किसी न किसी प्रकार से राहु का प्रकोप शरीर पर है ! या तो गोचर से राहु अपनी शक्ति देकर मनुष्य जीवन को जानवर की गति प्रदान कर रहा है ! अथवा राहु की दशा चल रही है ! और पुराने पूर्वजों की गल्तियों के कारण जातक को इस प्रकार से उनके पाप भुगतने के लिये राहु प्रयोग कर रहा है !
अगर आपकी कुंडली में राहु दोष है तो आपको मानसिक तनाव ! आर्थिक नुकसान ! स्वयं को ले कर ग़लतफहमी ! आपसी तालमेल में कमी ! बात बात पर आपा खोना ! वाणी का कठोर होना और अपशब्द बोलना साथ ही अगर आपकी कुंडली में राहु की स्थिति अशुभ हौ तो आपके हाथ के नाखून अपने आप टूटने लगते हैं !
इसके साथ ही वाहन दुर्घटना ! पेट में कोई समस्या ! सिर में दर्द होना ! भोजन में बाल दिखना ! अपयश की प्राप्ति ! संबंध ख़राब होना ! दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है ! शत्रुओं की ओर से परेशान आदि आपकी कुंडली में राहु के खराब होने के संकेत है !
कई बार राहू आपको भय भी देता है ! एक अज्ञात सा भय ! अक्सर इसका असर अमावस्या पर दिखाई देता है ! राहु ग्रह पेट की समस्या ज्यादा देता है ! आप हर इलाज करवा लीजिये !पुरे संसार मै घूम लीजिये ! हर रिपोर्ट ठीक आयगी !पर पेट का दर्द ठीक नही होगा ! जब तक राहू का इलाज नही करवाया जाये !