ज्योतिष शास्त्र मे मंगल ग्रह को भाई से सम्बंधित माना गया है ! यदि आपके जीवन मे जमीन,प्लॉट सुख नही मिल रहा, बार बार लो.बी.पी. की शिकायत हो ! ब्लड सम्बन्धी कोई समस्या आ रही हो ,तो अवश्य ही आपके भाई से आपके सम्बन्ध सुधारने की नितांत आवश्यकता है !
छोटे भाई बहनों के जन्म के बारे में लग्न कुंडली में निम्न समीकरणों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है ! 1 लग्न व लग्नेश 2 तृतीय भाव व तृतीयेश 3 पंचम भाव (तृतीय से तृतीय) व पंचमेश 4 कारक मंगल 5 गोचर के ग्रह शनि, गुरु, मंगल व चंद्र !
ज्योतिष में इसका विचार करने ले लिये द्रेष्काण् कुंडली का प्रयोग किया जाता है ! द्रेष्काण लग्न का स्वामी यदि पुरुष ग्रह हो तो तो जातक को छोटे भाई का सुख होता है और यदि स्त्री ग्रह हो तो पहले बहन होती है !
इसके साथ इस बात का भी विचार कर लेना चाहिये की यदि जन्म लग्नेश पुरुष ग्रह हो और मित्र ग्रह से युक्त और शुभ भाव में शुभ सिथति में हो तो जातक को भाई का सुख एवम् सहयोग मिलता है !
जन्म लग्नेश स्त्री ग्रह हो मित्र ग्रह से युक्त और शुभ प्रभाव में हो तो बहनो से सुख अवम सहयोग प्राप्त होता है !
द्रेष्काण् लग्न शुभ ग्रहों से युक्त हो य इसका लग्नेश केंद्र या त्रिकोण में शुभ ग्रहों से युक्त या दृष्टि हो तो भाई दीर्घायु सुखी अवम संम्पन् होता है !
यदि इस लग्न का स्वामी लग्नेश का मित्र हो तो भाई से मधुर सम्बन्ध और शत्रु हो तो भाई से कटु सम्बन्ध होते है !
यदि द्रेषकाण् लग्न मे पापी ग्रह हो य शत्रु ग्रह हो य इस लग्न का स्वामी 6/8/12भाव में हो अवु पापो ग्रहों से युक्त य दृष्टि हो तो भाई दुखी रोगी होता है !
द्रेष्काण् लग्न में जितने पुरुष ग्रह हो उतने भाई और जितने स्त्री ग्रह हो उतनी बहन होती है ! लेकिन आज के आधुनिक परिवार नियोजन के युग मे ये बात पूर्ण रूप से लागू हो जरूरी नही !
लग्नेश और द्रेष्काण् लग्नेश का जैसा सम्बन्ध हो जातक का वैसा ही अपने भाई बहनो के साथ होता है !
इन सबके साथ जन्म लग्न कुंडली के तीसरे भाव से छोटे भाई बहन और ग्यारवें भाव से बड़े भाई बहन का विचार किया जाता है ! मंगल भाई का कारक तो बुद्ध बहन का कारक होता है! कुंडली ले अध्ययन के समय इनकी प्लेसमेंट भी अपना महत्व रखती है !
कुंडली का तीसरा और ग्यारहवाँ घर भाई और बहन के रिश्ते का होता है ! तीसरा घर छोटे भाई-बहन का तो ग्यारहवा घर बड़े भाई-बहन का घर होता है ! बड़े भाई का कारक बृहस्पति तो छोटे भाई का कारक मंगल होता है ! बहन का कारक बुध ग्रह है ! जिन व्यक्तियो की कुंडली का तीसरा भाव, इस भाव का स्वामी और कारक मंगल शुभ और बली अवस्था में होता है उन व्यक्तियो को अपने छोटे भाईयो का स्नेह, प्रेम और सहयोग अधिक प्राप्त होता!इसी तरह यदि तीसरा भाव, इस भाव का स्वामी और कारक बुध शुभ और बलवान स्थिति में हो तब छोटी बहन का प्रेम स्नेह, सहयोग अधिक प्राप्त होता है !
इस भाव भावेश और छोटे भाई के कारक मंगल जितने शुभ या शुभग्रहों के प्रभाव व बली स्थिति में होंगे उतने ही अच्छे सम्बन्ध अपने छोटे भाइयो से रहते है!यह स्थिति बड़े भाई या बहन की कुंडली में होने पर बड़े-भाई इस सम्बन्ध में अनुकूल परिणाम मिलते है !
इसी तरह आपके छोटे-भाई की कुंडली में भी ग्यारहवाँ भाव, ग्यारहवे भाव का स्वामी और बड़े भाई के कारक बृहस्पति और बहन के कारक बुध बली और शुभ स्थिति में होंगे तब दोनों भाई बहनो का रिश्ता अत्यंत मधुर और श्रेष्ठ होगा!ऐसे योग में भाई-बहनो को एक दूसरे का सहयोग अधिक मिलता है !
भाई-बहन दोनों की कुंडली में से किसी एक की कुंडली में यदि बड़े भाई या कुंडली में तीसरे स्थान, इस स्थान के स्वामी और कारक भाई के लिये मंगल और बहन के लिये बुध यदि सब अशुभ, पाप ग्रहो से पीड़ित या दूषित अवस्था में होंगे तब या तो छोटे-भाई बहन का सुख, सहयोग, स्नेह अधिक प्राप्त नही होता या छोटे भाई या बहन होते ही नही है !
इसी प्रकार कारक ग्रहो को देखते हुए बड़े-भाई बहन के सम्बन्ध में ग्यारहवे स्थान से उनके सुख, प्रेम, स्नेह या बड़े-भाई बहन का न होना का विचार किया जाता है !
भाई-बहन के रिश्ते के सम्बन्ध में यह कुछ जानकारी देने का प्रयास किया गया है ! जन्मकुंडली के अतिरिक्त द्रेष्काण कुंडली भाई-बहन के लिये मुख्य रूप से देखी जाती है!कई व्यक्तियो की जन्मकुंडली में भाई-बहन के सुख का योग ही नही होता फिर भी उन व्यक्तियो को अपने भाई बहन का सुख व स्नेह प्राप्त होता है इसके लिये उनकी द्रेष्काण कुंडली में भाई-बहनो के सुख के योग व स्थितियां बनी हुई होती है !