“ज्योतिषी” आपसे “धन उगाही” कैसे करते हैं ? Yogesh Mishra

आजकल प्रायः सभी लोग अपने जीवन में कभी न कभी किसी न किसी ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लेते हैं ! आजकल तो चलन में यह भी है कि “सनातन हिंदू धर्म को न मानने वाले” भी अब ज्योतिषियों से अपने भविष्य की संभावनाओं पर विचार परामर्श करने लगे हैं ! यदि ज्योतिषी अच्छा है साफ-सुथरी और सही-सही बात करने वाला है तो मेरी व्यक्तिगत राय है कि हर व्यक्ति को जीवन में अच्छे और योग्य ज्योतिषी से अपने भविष्य के संदर्भ मं जरूर परामर्श लेना चाहिए ! इससे जीवन सुचारू, योजना बध्य और व्यवस्थित होता है !

लेकिन समस्या यह है कि आजकल समाज में योग्य ज्योतिषियों का आभाव है और जो लोग बड़े-बड़े बैनर और पोस्टर लगाकर या टीवी चैनलों पर प्रचार-प्रसार करके ज्योतिष का व्यवसाय कर रहे हैं ! उनका ध्यान अपने ज्योतिषीय ज्ञान को बढ़ाने की तरफ न होकर मात्र अपने आडम्बर की मदद से व्यवसाय को बढ़ाने की तरफ अधिक रहता है ! ऐसे ज्योतिषी समाज को दिग्भ्रमित करने वाले “पाखंडी” हैं और इनसे समाज को बचना चाहिए !

प्रायः सामान्य व्यक्ति जब किसी ज्योतिषी के पास जाता है और अपनी कुंडली पर परामर्श लेता है तब यदि ज्योतिषी “कपटी और लोभी” स्वभाव का है तो उसका यह प्रयास होता है कि वह आपसे अधिक से अधिक धन “ऐंठ” ले ! इसके लिए वह प्रायः लोगों को भयभीत करने के लिए कुछ “रेट-रटाये वाक्यों” का प्रयोग करता है ! जैसे कि “कुंडली मांगलिक है” “आपकी कुंडली में भाग्य भंग योग है” “आपकी शनि की ढैया या साढ़ेसाती चल रही है” “आपके ऊपर पितृदोष लगा हुआ है” “निकट भविष्य में प्रबल मारकेश लगने वाला है” आदि आदि

! प्रायः ऐसा सभी सामान्य “लोभी प्रवत्ति के ज्योतिषी” “अनुचित धन उगाही” करने के लिये कहते हैं और आपको अपने पंडित के द्वारा महंगे-महंगे अनुष्ठानों को करवाने का सुझाव देते हैं या अपनी परिचित दुकान से महंगे-महंगे रत्नों को पहनने के लिए बाध्य करते हैं !

जो ज्योतिषी थोड़े और अधिक पढ़े लिखे जानकार हैं लेकिन “लोभी प्रवत्ति” के हैं ! वह लोग कुछ और बड़े-बड़े डरावने शब्दों का प्रयोग करते हैं ! जैसे कि “आपकी कुंडली में पैशाच्य योग है” “आप पितृहंता योग से ग्रसित हैं” “आपकी कुंडली में केंद्रदुरुम योग है” “आपकी कुण्डली में लग्न भंग योग, भाग्य भंग योग, सुख भंग योग, आदि आदि योगों से ग्रसित हैं ! “आपकी बच्ची की कुंडली में प्रबंध वैधव्य योग है” “आपकी बेटी की कुंडली में दुईविवाह योग है” यह कुंडली प्रबल “विष योग” से ग्रसित है” “कुंडली में स्पष्ट “चांडाल योग” दिखाई दे रहा है”

यदि घरेलू समस्या पर चर्चा करिये तो वह कहते हैं कि “घर के अंदर प्रबल “वास्तु दोष” है ! कुंडली के अंदर “गृह नाशक” योग है या “गृह कलह” योग है ! आपका “कारावास योग” तो स्पष्ट दिखाई दे रहा है ! आदि आदि !

ऐसा नहीं है कि ज्योतिष में यह सारे “कष्टकारी ग्रह योग” नहीं होते हैं ! इन “ग्रह योगों” की गणना के सिद्धांत भी हमारे मूल ज्योतिष ग्रंथों में बहुत विस्तार से दिए गए हैं ! लेकिन हमारे मूल ज्योतिष ग्रंथों में उन्हीं ग्रह योगों के साथ इन “ग्रह योगों” के अपवादों का भी वर्णन है ! जिसका चालाक या कम जानकर ज्योतिषी अपने यजमान से वर्णन नहीं करते हैं ! यदि सच में ऐसा कोई “कष्टकारी ग्रह योग” कुंडली में है ! तो एक अच्छे ज्योतिषी का कर्तव्य है कि वह इसकी सही सूचना अपने यजमान को दे !

लेकिन प्रायः देखा जाता है कि जिन लोगों को गणना के मूल सिद्धांतों या अपवादों की जानकारी नहीं है ! वह भी अपने यजमानों को भयभीत करने के लिए इन “कष्टकारी ग्रह योगों” से सम्बंधित शब्दों का प्रयोग करते हैं और आपसे अच्छी खासी मोटी रकम “ग्रह दोष शांति” हेतु अनुष्ठान के नाम पर या रत्न पहनने के नाम पर वसूल लेते हैं !

अतः मेरा यह अनुरोध है कि इस तरह के किसी भी गंभीर “कष्टकारी ग्रह योग” की चर्चा यदि कोई ज्योतिषीय आपसे करता है तो आप एक बार उससे इस योग की उत्पत्ति के सिद्धांतों और अपवादों को समझने का आग्रह अवश्य कीजिये और यदि वह आपको संतुष्ट न कर सके ! तो किसी अन्य योग्य ज्योतिषी से उक्त गंभीर “कष्टकारी ग्रह दोष” की समस्या पर विचार करने के उपरांत ही अनुष्ठान आदि करवाइए !

क्योंकि “ग्रह दोष शांति” हेतु अनुष्ठान भी एक तरह का औषधि सेवन है और अनावश्यक रुप से सेवन की गई “औषधि” चाहे कितनी भी उपयोगी क्यों न हो ! वह आपको क्षति ही देती है ! जो लोग यह मानते हैं कि ईश्वर की पूजा में किसी भी क्षति की संभावना नहीं है ! मैं उनसे यह कहना चाहता हूँ कि ईश्वर की आराधना भी अपने संस्कार, प्रवित्ति, गुण, धर्म, काल, वंश, परम्परा, क्षेत्र के अनुरुप करनी चाहिए !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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