मित्रो शनि का नाम सुनते ही ज़्यादातर लोगो को लगने लगता की बस अब तो सब बुरा ही बुरा होगा ! और ऊपर से अगर बात शनि की साढ़साती की हो तो लोग और ज्यादा डर जाते है ! जबकि वास्तविकता कुछ और ही होती है !! आइये जानिए !
मित्रो जैसी अभी शनि की साढ़साती तीन राशियों मे है !
1) तुला
2) वृश्चिक
3) धनु
शनि ढाई -ढाई साल तीन राशियो मे रहता है इसलिए इसे शनि की साढ़ेसाती
बोलते है !
तो क्या इसका अर्थ ये हुआ की इन तीन राशियो के सभी लोगो के साथ सिर्फ बुरा ही बुरा होगा ??
जबकि इन तीनों राशियो के बहुत से लोग अलग -अलग स्वभाव और अलग कर्म करने वाले होंगे तो क्या सब पर शनि की साढ़ेसाती का एक जैसा प्रभाव होगा ??
नहीं ऐसा नहीं है मित्रो !
दरअसल साढ़ेसाती 4 प्रकार की होती है !
1) स्वर्ण साढ़ेसाती
2) रजत साढ़ेसाती
3) तमर साढ़ेसाती
4)लोह साढ़ेसाती
स्वर्ण साढ़ेसाती -> मित्रो स्वर्णसाढ़ेसाती मे व्यक्ति को यश और धन की प्राप्ति होती है
—————- आर्थिक रूप से और मान सम्मान मे काफी वृद्धि होती है !
रजत साढ़ेसाती-> इसमे व्यक्ति को मात्र मान सम्मान और यश की प्राप्ति होती है आर्थिक
_________ लाभ नहीं मिलता !
तमर साढ़ेसाती-> ये नूट्रल होती है कुछ विशेष अंतर नहीं आता जो जैसा चल रहा होता है
__________ वैसा ही सब चलता है !
लोह साढ़ेसाती-> ये व्यकित धन ,वैभव ,यश मान सम्मान सब का विनाश कर देती है !
अब मित्रो आपके दिमाग मे स्वाल आएगा की किस राशि मे कौन सी साढ़ेसाती है ??
तो मित्रो उसका जवाब ये है की जो व्यकित जैसा कर्म करेगा उसकी राशि मे उसके कर्मो के अनुसार ही शनि की साढ़ेसती होगी !!
अर्थात कोई तथाकथित पंडित बिना वजह आपको अगर भ्रम मे डाले तो आप डरिये !
क्योंकि आपको जानकारी का अभाव है होता तो ऐसे पंडित आपको भ्रम मे डाल देते है !
जबकि किस प्रकार की साढ़ेसाती होगी ये आपके कर्मो पर निर्भर है !!