स्वर्ण प्राशन बच्चों के उज्जवल भविष्य निर्माण में आयुर्वेद का वरदान है ! यह द्रव्य शुद्ध स्वर्ण, गोघृत, शहद, अश्वगंधा, ब्राह्मी, वचा, गिलोय, शंखपुष्पी आदि जैसी अद्भुत आयुर्वेदिक औषधियों से निर्मित होती है ! यह जन्म से 16 वर्ष तक के बच्चों के लिये अत्यन्त प्रभावी है !
इसे प्रत्येक माह पुष्य नक्षत्र में शास्त्रीय विधान के अनुसार ग्रहण करना चाहिये ! यह आयुर्वेद के ऋषि मुनियों द्वारा वर्णित अद्भुत योग है, जो बच्चों की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढाता है ! साथ ही उनका सर्वांगीण विकास भी करता है !
जिससे बच्चों में सुनने,समझने,बोलने आदि शक्तियों का विकास होता है ! यह बच्चों को सर्दी,ज़ुकाम ,मौसमी बीमारियों से बचाता है तथा बच्चों की पाचन क्रिया को सम्यक करने में सहायक होता है !
यह बच्चों की स्मरण शक्ति तथा बुद्धि के विकास को गति प्रदान करता है ! बच्चे को श्रुत्धर (सुनकर याद रखने वाला) बढ़ता है !
मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों में इसके चमत्कारिक परिणाम देखने को मिले है ! एंटीबायोटिक्स से होने वाले दुष्परिणाम से भी बचाता है ! यह पूर्णत: दुष्प्रभाव रहित है !