गालियों का सत्ता से सम्बन्ध : Yogesh Mishra

किसी को गालियां देने पर मिलने वाले सुख नाम अंग्रेजी भाषा में “LALOCHEZIA” होता है ! इस सुख की प्राप्ति से व्यक्ति की भड़ास निकल जाती है और बड़ी-बड़ी सामाजिक हिंसायें रुक जाती हैं ! यह लोकतंत्र में शांति बनाये रखने के लिये अभिव्यक्ति की एक आवश्यक क्रिया है ! इसीलिए शायद भारतीय संविधान के निर्माताओं ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार में “गाली देने के अधिकार” को भी छद्म रूप से निहित किया है और इसे विधि के दायरे में रख कर नागरिकों को अपनी भड़ास निकालने का एक विधिक अधिकार प्रदान किया है ! इसीलिये गाली देना विश्व के किसी भी देश में किसी भी अपराध में दंडनीय नहीं है ! क्योंकि यह मनुष्य की एक स्वाभाविक अभिव्यक्ति है !

गालियां अपने मन की भड़ास को निकाल कर आपको अनेक रोगों से मुक्त रखती हैं ! प्रायः देखा गया है कि जो लोग अपने सामान्य वार्ता के क्रम में गाली गलौज के शब्दों का प्रयोग करते हैं, वह प्रायः मानसिक रूप से स्वस्थ और निश्चित होते हैं ! उनके आत्मविश्वास का स्तर बहुत ऊंचा होता है ! उन्हें डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, थायराइड जैसी मानसिक तनाव से उत्पन्न होने वाली बीमारियां नहीं होती हैं !

बड़ी-बड़ी सामाजिक क्रांतियों के होने की संभावना मात्र गाली देने से समाप्त हो जाती है और समाज में शांति कायम हो जाती है ! व्यक्ति को गाली देने के उपरांत विजयी होने की अनुभूति होती है और वह फिर पुनः अपने प्रतिद्वंदी से नहीं लड़ना चाहता है !

सार्वजनिक मंचों पर, टीवी चैनलों पर, अपने मित्रों के बीच में या राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में गाली ही वह ब्रह्मास्त्र है, जिसे दे देने के उपरांत व्यक्ति के अंदर संतोष का भाव पैदा होता है और वह कटुता भूल कर पुन: अपने नियमित दैनिक कार्य में लग जाता है !

गाली देने की प्रवृत्ति का व्यक्ति सामान्यतया आत्महत्या भी नहीं करता है, क्योंकि जब उसके मन में निराशा का आवेग उठता है, तो वह गाली-गलौज करके अपने निराशा को अपने से दूर कर लेता है ! शायद इसीलिये वह अवसाद की उस विकट स्थिति तक कभी नहीं पहुंचता है जिसके प्रभाव में सामान्यतः व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है !

इसी तरह जब शासन सत्ता के निरंतर नाकामी से परेशान होकर राष्ट्र का आम नागरिक गाली देकर अपने मन को हल्का कर लेता है तो यह मानना चाहिये कि लोकतंत्र में उस राजनीतिक दल की शासन अवधि कुछ समय के लिये और बढ़ गई है ! किंतु सोशल मीडिया के नए नियमों के तहत जिस तरह से गाली देकर मन को हल्का करने के मौलिक अधिकार पर अंकुश लगाने की तैयारी की जा रही है, यह स्थिति निश्चित रूप से भारत में अवसाद, आत्महत्या, प्रशासन की अनावश्यक व्यस्तता तथा न्यायालय पर अनावश्यक का वर्क लोड के साथ-साथ भविष्य में भारत के अंदर किसी बड़ी क्रांति की संभावना को भी बढ़ायेगी !

इसका सबसे बड़ा उदाहरण श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया “आपातकाल” है क्योंकि इस 21 माह के आपातकाल में व्यक्ति अपने “मन की भड़ास” सार्वजनिक मंचों पर नहीं निकाल पाया और उसका परिणाम यह हुआ कि श्रीमती इंदिरा गांधी को सत्ता से बाहर जाना पड़ा !

इसलिये देश के नीति निर्धारकों से मेरा यह अनुरोध है कि वह यदि भारत के लोकतंत्र को जीवित रखते हुये वर्तमान सत्ताधारी राजनीतिक दल को यदि लंबे समय तक शासन में देखना चाहते हैं ! तो भारत के आम आवाम से सार्वजनिक मंचों पर अर्थात सोशल मीडिया पर गाली देने के अधिकार से उन्हें वंचित न करें ! क्योंकि नागरिकों के गाली देने का अधिकार छीन लेने से उनकी सत्ता भी छिन सकती है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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