हाँ भारतीय ब्राह्मणों का डी.एन.ए. यूरेशियन से मिलता है पर क्यों ! : Yogesh Mishra

विदेशों से पैसा पाकर भारत को तोड़ने वाले कुछ राष्ट्रघाती विदेशी दलाल ब्राह्मणों के विरोध में आजकल एक नारा बहुत तेजी से बुलंद कर रहे हैं कि भारतीय ब्राह्मणों का डी.एन.ए. यूरेशियन से मिलता है ! इसलिये ब्राह्मण विदेशी हैं ! अतः ब्राह्मणों को भारत से निकाल देना चाहिये !

ऐसे ही तथाकथित आरक्षण भोगी विदेशी पैसों पर बिकने वाले दलाल नेताओं को मैं ब्राह्मण होने के नाते कुछ तथ्य बतलाना चाहता हूं ! मैं यह जानता हूं कि हठधर्मिता के कारण वह इन तथ्यों को नहीं मानेंगे ! लेकिन फिर भी सदियों से ब्राह्मण समाज को सत्य बतलाता आया है फिर चाहे समाज उसे माने या न माने इसी कर्तव्य के तहत में समाज को यह सत्य भी बतलाना अपना कर्तव्य समझता हूँ ! कि आखिर भारतीय ब्राह्मण का डी.एन.ए. यूरेशियन से क्यों मिलता है ! इसका कारण निम्न है !

प्राचीन हिन्द के लोग दशरथ के पिता व राजा रघु के पुत्र अज के समय में राजा अज का जब इन्द्र लोक की अप्सरा रानी इन्दुमती के साथ प्रेम हो गया ! तब राजा रघु के वानप्रस्थ के बाद जन विद्रोह के चलते राजा अज को अपनी पत्नी रानी इन्दुमती एवं अपने विश्वसनीय ब्राह्मण राजगुरु वशिष्ठ के शिष्यों के साथ अयोध्या छोड़ कर अपनी मृत्यु तक योरोप जा कर बसना पड़ा था और वहीँ उनकी मृत्यु हो गई थी !

जहाँ पर फिर बाद में इक्ष्वाकु वंश के तेजस्वी राजा अज के यहाँ रानी इन्दुमती के गर्भ से राजा दशरथ का जन्म हुआ था ! जिसका पालन पोषण आचार्य मरुदनव ने माता सुरभि कामधेनु की पुत्री ‘नंदिनी” गौ के दूध से किया था एवं उन्हें सभी प्रकार के शस्त्रों में प्रवीण किया था ! जिसे बाद में कौसलपुर के महामंत्री ‘सुमंत्र’ उन्हें लेकर वापस अयोध्या आये थे ! इस काल में अयोध्या का राज पाठ राजगुरु महर्षि वसिष्ठ ने सम्हाला था !

अत: अयोध्या भारत आर्यावर्त एशिया से जाकर योरोप में बसने के कारण इन पितृवंश समूहों के ब्राह्मणों को यूरेशियन नाम दिया गया ! जिसकी पुष्ठि आधुनिक भाषा विज्ञानी इन प्राचीन यूरेशियन लोगों की भाषा को आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा कह कर करते हैं !

इस भाषा के बारे में जानकारी भाषा वैज्ञानिक तकनीकों से और कुछ हद तक पुरातत्व-विज्ञान (आर्कियोलोजी) से प्रमाणित कर के देते हैं ! आधुनिक युग में अनुवांशिकी के ज़रिये भी इनकी जातीयता के बारे में जानकारी मिलती है कि इन सभी यूरेशियन वंशज के ब्राह्मणों का डी.एन.ए. भारतीय ब्राह्मणों से मिलता है !

बहुत से इतिहासकारों का मानना है कि यह यूरेशियन लोग लगभग 6,000 ईसापूर्व के काल में भारत से जाकर पोंटिक-कैस्पियाई स्तेपी क्षेत्र में बस गये थे और वहां से 2,000 ईसा पूर्व तक यह लोग अनातोलिया, पश्चिमी यूरोप, मध्य एशिया और दक्षिणी साइबेरिया तक अपना विस्तार कर लिये ! आधुनिक विज्ञान की मदद से आनुवंशिकी नज़रिये से बहुत से विद्वान अब इन्हें पितृवंश समूह का यूरेशियन वंशज मानते हैं ! जो मूलतः भारत के मूल निवासी आर्य थे ! जो पूर्व में 6,000 ईसापूर्व के काल में योरोप में आकर बस गये थे !

आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा जिसे प्रोटो-इंडो-यूरोपियन भाषा भी कहा जाता है ! भाषा वैज्ञानिकों द्वारा पूरे हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की सभी भाषाओं की एक मात्र प्राचीन जननी संस्कृत भाषा मानी जाती है ! माना जाता है कि इन्हें योरोप में प्राचीन काल से ही आदिम-हिन्द-यूरोपीय लोग बोला जाता था ! लेकिन इनकी मूल भाषा हज़ारों वर्ष में अब पूरी तरह से लुप्त हो चुकी है ! बहुत सी हिन्द-यूरोपीय भाषाओं के सजातीय शब्दों की एक-दुसरे से तुलना के बाद भाषा वैज्ञानिकों ने इस लुप्त भाषा के पुन: र्निर्माण का कार्य भी आरम्भ कर दिया है ! जिस से इस के उपलब्ध साहित्य के शब्दों का सही सही अनुमान लगाया जा सके !

अतः इस तरह भाषा, वंशक्रम, इतिहास और डी.एन.ए. का परीक्षण करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि यूरेशियन वंशज के लोगों का डी.एन.ए. भारतीय नस्ल के ब्राह्मणों के डी.एन.ए. से मिलता है और ज्ञात इतिहास यह बतलाता है कि ईशा से 6000 साल पूर्व भारतीय नस्ल के ब्राह्मण जो अयोध्या के प्रतापी रघुवंशी राजा अज के साथ जाकर यूरोप में बसे थे ! इसीलिये भारतीय ब्राह्मणों का डी.एन.ए. यूरेशियन नस्ल के व्यक्तियों से मिलता है !

जिस ऐतिहासिक तथ्य को गलत तरह से प्रस्तुत करके आज यह आरक्षण भोगी विदेशी पैसों पर देश को तोड़ने का षड्यंत्र करने वाले दलाल ! यह गलत प्रचार कर रहे हैं कि भारत के ब्राह्मण यूरेशियन नस्ल के हैं ! इसलिये इन्हें विदेशी घोषित किया जाये और इन्हें भारत छोड़ने के लिये बाध्य किया जाये !

ऐसा षड्यंत्र इस देश में ब्राह्मणों के साथ इसलिये चल रहा है कि विदेशी षड्यंत्रकारी यह जानते हैं कि जब तक भारत में ब्राह्मण रहेगा ! तब तक भारत के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करना उनके बस की बात नहीं है ! क्योंकि ब्राह्मण शस्त्र और शास्त्र दोनों का जानकार होता है और वह राष्ट्र को समर्पित एक लड़ाकू नस्ल का योद्धा भी होता है ! जो कितनी भी विपरीत परिस्थिति में अपने देश की रक्षा के लिये अपना सर्वस्व निछावर कर देने का सामर्थ्य रखता है !

अतः इन ब्राह्मणों के रहते भारत के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा नहीं किया जा सकता है ! इसलिये भारत में एक दूसरा वर्ग जो एक तरफ अपने शोषण और मंदबुद्धि होने की दास्तान सुना कर आरक्षण का लाभ उठाना चाहता है और दूसरी तरफ तेजस्वी विचारशील राष्ट्रभक्त ब्राह्मणों को देश से निकालने के लिये भी प्रयत्नशील है ! जिनके संरक्षण और आश्रय में इनके पूर्वज सदियों तक सुरक्षित रहे हैं !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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