आप सब कुछ बदल सकते हैं बस | उर्जा को नियंत्रित करना सीखें Yogesh Mishra

हर व्यक्ति की ऊर्जा संरचना और मानसिक बनावट किसी भी दुसरे व्यक्ति से भिन्न होती है ! ग्रह स्थितियां भले सामन हो जाएँ पर जीवन में घटनाएँ समान इसीलिए नहीं होती ,क्योकि ईश्वर ने सबको अलग बनाया है ! इस कारण सबके सोचने-समझने की शक्ति ,कर्म की क्षमता स्थिति ,परिस्थितियां ,माहौल सब भिन्न होते हैं ,ऐसे में किसी भी दुसरे की सलाह किसी के लिए भी पूरी तरह उपयुक्त नहीं हो सकती ! हर व्यक्ति का अलग चक्र क्रियाशील होता है ,हर चक्र से निकालने वाली तरंगे अलग मात्रा में उत्पन्न होती हैं ,रासायनिक संरचना और स्राव भिन्न होता है ,अतः सबकुछ भिन्न हो जाता है ! ऐसे में उसका खुद का विश्लेषण और खुद का खुद को सुझाव ही अधिक उपयुक्त होता है !

खुद में स्थित ईश्वर अधिक उपयोगी होता है ! इसलिए आपको खुद की सुनानी चाहिए और इस प्रयोग को जरुर करना चाहिए ! यद्यपि यह प्रयोग आपको थोडा स्वार्थी बनाता है ! समाज -लोगों से बेवजह की संलिप्तता कम करता है ! बेवजह अथवा हानिकारक लोभ-मोह-भावना से दूर करता है ! पर यह सब कुछ यह आपकी उन्नति -प्रगति सफलता के लिए करता है ! इसलिए यदि थोडा सा स्वार्थी होने से ढेर सा लाभ मिलता है तो कोई बुराई नहीं ! दूसरों के लिए जीना थोडा कम करके खुद के लिए ढेर सा मिले तो कोई बुराई नहीं !

प्रत्येक व्यक्ति के जन्म से उसके चक्रों में से एक चक्र विशेष क्रियाशील रहता है ,जो ग्रह-स्थितियों और आनुवंशिक गुणों से प्रभावित होता है ! इसी चक्र की क्रियाशीलता के अनुसार व्यक्ति के गुण- अवगुण, शरीर- मष्तिष्क- बुद्धि की स्थिति ,कर्म- भाग्य- प्रभाव शीलता आदि का निर्धारण होता है ! व्यक्ति के जन्म समय पर उपस्थित ग्रह रश्मियों का प्रभाव जैसा होता है ,उसका असर मोटे तौर पर उसके पूरे जीवन पर पड़ता है ! पूर्व जन्मों के कर्मों के अनुसार जो भाग्य उसका इस जीवन हेतु निर्धारित होता है ,उस भाग्य के अनुकूल जब ग्रह स्थितियां प्रकृति में बनती हैं तो वह व्यक्ति जन्म लेता है ! अर्थात भाग्य उसका निश्चित होता है और उसी के अनुरूप ग्रह स्थितियों में उसका जन्म होता है जो पूरे जीवन उसे प्रभावित करते हैं !

किन्तु जिस तरह से पूर्व कर्मों के अनुसार बने भाग्य का प्रभाव आज होगा ,उसी तरह आज का कर्म और मनोबल भी उस भाग्य को प्रभावित करेगा और उसमे कमी -अधिकता ला सकता है ! प्राकृतिक शक्तियां भी इसमें कुछ परिवर्तन कर सकती हैं यदि वह इस दिशा में प्रक्षेपित की जाए ! व्यक्ति इस भाग्य में अपने कर्म और प्रबल आत्मबल से परिवर्तन कर सकता है क्योकि वह इससे अपने शरीर के दुसरे किसी भी ऊर्जा चक्र को अधिक सक्रिय कर सकता है ! इस सक्रियता के साथ ही परिवर्तन शुरू हो जाता है ! यह प्रकारांतर से भाग्य में सीधा हस्तक्षेप न होकर पहले से उपस्थित सर्वाधिक प्रभावी ऊर्जा धारा के साथ ही एक अन्य ऊर्जा धारा को भी अधिक क्रियाशील कर उससे उत्पन्न बल द्वारा परिवर्तन होता है ,जो हर क्षेत्र को प्रभावित कर देता है और भाग्य में परिवर्तन हो सकता है !

आप सोचें की क्या परिवर्तन किया जाना चाहिए की वह भविष्य के लिए लाभदायक हो सके ! कैसा व्यवहार करना चाहिए था की परिवार -बच्चों -लोगों पर आपका अच्छा प्रभाव पड़ता ,किस व्यवहार का क्या प्रभाव भविष्य में आएगा ,कैसा व्यवहार हमारे परिवार को किस और ले जाएगा ! हमारे निर्णयों में क्या -क्या गलतियाँ हो गयी जो नहीं होनी चाहिए थी अथवा जिनसे हमें बचना चाहिए था अथवा जिनसे हमें नुकसान हो सकता है ! किस व्यक्ति से कैसे और क्या बात करनी चाहिए थी ,क्या नहीं करना चाहिए था ! क्या जो हमने किया वह पूरी तरह उचित था या कुछ अनुचित हो गया !

इस समय आप पूरी तरह स्वार्थी रहें और केवल खुद का और भविष्य की दृष्टि से स्वार्थ देखें ! सारे विश्लेषण केवल बुद्धि और अंतर्मन से करे ! समस्त विश्लेषण आप तटस्थ होकर करें ! करें कुछ नहीं केवल विश्लेषण करें ! फिर आप क्रमशः अपने दिन भर के कार्यों और अंततः रात्री के सोने के समय तक का विश्लेषण करें शांत -निर्लिप्त भाव से ! फिर केवल एक निश्चय करें कल से आप कोशिश करेंगे की गलतियाँ कम हों ! ऐसे कार्यों को प्राथमिकता देंगे जो की भविष्य के लिए लाभदायक हों ! आपकी दृष्टि भविष्य को देखते हुए लाभ और हानि पर अधिक होनी चाहिए ! फिर आप सो जाएँ !

उपरोक्त क्रिया आप लगातार बिना नागा रोज महीने भर करें ! केवल 10 मिनट खुद का विश्लेषण करें ! 10 मिनट से अधिक इसमें नहीं लगेगा ! यह आपका आत्मनिरीक्षण है ! यह वह उपलब्धियां दे सकता है जो कोई नहीं दे सकता ! 24 घंटे के विभिन्न प्रपंचों में से केवल 10 मिनट उनके विश्लेषण पर खर्च करें ! निश्चित मानिए जीवन बदल जाएगा ! अपने बच्चों -परिवार को भी इसके लिए प्रेरित करें ,समझाएं ! एक ऐसे परिवार और सदस्यों का निर्माण होने लगेगा जिनमे बहुत कम कमियां होंगी ! जिनके हर कार्य सुलझे और सोचे-समझे होंगे ! जो आदर्श बनने लगेंगे ! आप खुद आदर्श होंगे और आपका परिवार भी आदर्श होगा ! आपको आपके भाग्य का पूर्ण फल मिलेगा ,क्योकि गलतियों की सम्भावना बहुत कम हो जायेगी ! सोच-कर्म-व्यवहार सब बदल जाएगा ! यही से शुरू होता है भाग्य में परिवर्तन !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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