मन्त्र साधना के लाभ से क्या आप जानते हैं?
मन्त्र तथा मंत्रोच्चारण विशेष पद्धतियां हैं, जिनके माध्यम से मनुष्य अपने अन्तर्मन तक पहुंच सकता है ! संस्कृत भाषा से उत्पन्न हुए मन्त्रों से ऐसी ध्वनि निकलती है, जो हमारे मस्तिष्क के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं को जाग्रत कर देती है ! इसी के साथ यह ध्वनि हमारे मन को शान्त तथा तनावमुक्त करने के लिये भी सहायक सिद्ध होती है ! आइए जानते हैं मन्त्र उच्चारण के कुछ महत्वपूर्ण लाभ जो आप दिन-प्रतिदिन ही अनुभव कर सकते हैं !
चिन्ता तथा विषाद से मुक्ति
ध्वनि श्वास तथा लय के योग से मन्त्र, ऊर्जा के प्रवाह को आपके शरीर तथा मन के परिपथ तक भेजते हैं, जिससे आपके शरीर के रसायन की संरचना ठीक होती है तथा आपके मस्तिष्क का असन्तुलन भी ठीक होता है !
तन्त्रिका रोग से मुक्ति
मन्त्र उच्चारण हमें विचारमग्नता से छुटकारा दिलाता है तथा हमारे शरीर को आर्थिक संबन्धों से दूर हटाता है ! ये हमें आयु तथा मृत्यु के भय से भी मुक्त करता है ! हम आत्मा की शाश्वतता से जुड़ने लगते हैं, जिससे हमें तंत्रिका तंत्र की कार्यप्रणाली पर नियंत्रण प्राप्त होने लगता है !
अशान्ति का शमन
मन्त्र के नाम से ज्ञात होता है कि ये मन का तारण करता है ! यानि यदि उचित ढंग से इसका उच्चारण हो तो ये अशान्ति के शमन के लिये उपयोगी है ! मन को एकाग्र करने तथा यथार्थ दिशा में संलग्न करने हेतु मन्त्रों का प्रयोग लाभप्रद है !
करुणा का भाव जगाता है
मन्त्र उच्चारण के अभ्यास से मानसिक तनाव से मुक्ति मिलने के उपरान्त हमारे भीतर की अध्यात्मिक स्थिति उजागर होने लगती है ! हम भगवान के साथ अपनी अभिन्नता का अनुभव करने लगते हैं, जिससे हमारे अन्तर्मन में दिव्यप्रेम का प्रादुर्भाव होता है जो कि सभी प्राणियों के प्रति हमारे मन में करुणा भर देता है !
प्रतिरक्षी तन्त्र को प्रोत्साहन
जैसे कि हम पहले ही बात कर चुके हैं कि मन्त्रों का उच्चारण हमारे मस्तिष्क के अनेक बिन्दुओं को जाग्रत कर देता है ! ये जाग्रत बिन्दु हमारे शरीर के सकारात्मक अन्तःस्रावों को प्रसारित करते हैं, जिससे हमारा प्रतिरक्षी तन्त्र सुदृढ़ होता है !
अन्तःप्रज्ञा को खोलता है
संस्कृत मन्त्रों के उच्चारण हेतु हमारी जिह्वा हमारे मुख के विभिन्न बिन्दुओं को स्पर्श करती है जो कि हमारे मस्तिष्क को सूचित करते हैं ! इससे हमारे संपूर्ण शरीर में रासायनिक पदार्थों का प्रवाह नियमन होता है ! इस प्रणाली में शुद्धता आने से हमारी अन्तःप्रज्ञा को खुलने का अवसर प्राप्त होता है !
कान्ति में बढ़ोत्तरी
हमारे विचार ही हमारी चित्तवृत्ति, प्रवृत्ति तथा सामान्य भावार्थ निर्धारित करते हैं ! हमारे विचार निःशब्द ध्वनियाँ हैं ! ध्वनियाँ विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं ! जितने शुद्ध हमारे विचार होंगे उतनी ही शुद्ध तरंगें उत्पन्न होंगी तथा हमारा दिव्य तेज उतना ही बढ़ेगा !
प्रार्थना हैं मंत्र
मन्त्र एक प्रार्थना की भांति कार्य करता है ! मन्त्र के उच्चारण से एक विचित्र प्रकार का विश्वास जन्म लेता है जो हमें भीतर से सशक्त करता है !
मन्त्रों की भिन्नता
वैदिक काल से ही मन्त्रों का प्रयोग विभिन्न प्रकार की कार्यसिद्धि के लिए किया जाता रहा है ! सामान्य रूप में यही प्रचलित है कि जो भी मन्त्र मन को उत्तम लगे या जो मन्त्र आपको आंतरिक प्रेरणा देता हो उसे ही आप कण्ठस्थ करके अभ्यास करें तथा अपने मन तथा शरीर को लाभान्वित करें !