आजकल एक मूर्खतापूर्ण पोस्ट फेसबुक और व्हाट्सएप पर खूब घूम रही है कि धर्म छुट्टी पर है और विज्ञान काम कर रहा है ! यह तर्क ईसाइयों द्वारा लोगों की सनातन हिन्दू धर्म के देवी देवता और भगवान में आस्था कम करने के उद्देश्य से बड़े ही सुंदर और तार्किक तरीके से बतलाया जा रहा है ! आज मैं इसका जवाब देना चाहता हूं !
“वसुंधरा कुटुंबकम” का नारा विश्व में सर्व प्रथम सत्य सनातन हिंदू धर्म ने ही दिया था और समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिये सुख और निरोगी काया की चाहे सत्य सनातन हिंदू धर्म को मानने वालों ने ही की थी ! “सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया ! सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भाग भवेत् !! का विचार सत्य सनातन हिंदू धर्म की ही देन है !
कोरोना वायरस नाम का घातक विषाणु हथियार यह किसी धर्म स्थल पर तैयार नहीं किया गया था ! इसे विज्ञान की ही बड़ी-बड़ी प्रयोगशालाओं में लाखों रुपये का वेतन लेने वाले वैज्ञानिकों ने ही सैकड़ों जीव जंतुओं की हत्या करने के बाद तैयार किया था और आज इसका प्रयोग करने वाले भी किसी मंदिर या मठ के पुजारी नहीं हैं ! यह लोग भी विज्ञान के ही नुमाइंदे हैं ! जो पूरी की पूरी मानवता के लिये आज खतरा बन कर बैठे हुये हैं !
विज्ञान मानवता के नुकसान की चरम पराकाष्ठा तक जो अधिकतम क्षति कर सकता था ! वह विज्ञान कर चुका है ! अब तो मानवता के पुजारी सत्य सनातन धर्म निष्ठ डॉक्टर और सफाई कर्मचारी विज्ञान के इस विध्वंसक, क्षतिकारक, मानवता विरोधी घातक विषाणु से ईश्वर पर आस्था रखकर लड़ रहे हैं !
डॉक्टर और सफाई कर्मचारी है जानते हैं कि वह जहां जा रहे हैं ! वहां से बहुत संभावना है कि वह लौट कर नहीं आयेंगे और कई डॉक्टर, सफाई कर्मचारी और प्रशासनिक अधिकारी इसमें शहीद भी हो चुके हैं ! किंतु फिर भी आज जो लोग मानवता की सेवा में लगे हुये हैं ! वह इस लिये कि वह लोग ईश्वर पर निष्ठा और आस्था रखते हैं ! यदि उनकी ईश्वर पर अटूट निष्ठा और आस्था न होती तो शायद वह मानवता की इतनी बड़ी सेवा न कर पाते !
इसलिए यह कहना एकदम गलत है कि धर्म छुट्टी पर है और विज्ञान कार्य कर रहा है ! बल्कि सत्य है कि विज्ञान अपने सर्वनाश के कार्य को अंजाम दे चुका है और अब धर्म और ईश्वर पर आस्था रखने वाले लोग आज उस विज्ञान के सर्वनाश करने वाले घातक विषाणु को सदा और सर्वदा के लिये नष्ट करने में लगे हुये हैं !
इसलिए कोई भी ऐसी पोस्ट जो सत्य सनातन हिंदू धर्म के मौलिक सिद्धांतों के विरुद्ध हो ! उसको शेयर करने के पूर्व चंद सेकेंड चिंतन कीजिये कि कहीं यह आपके सत्य सनातन हिंदू धर्म के सर्वनाश के लिये बुना गया कोई घातक जाल तो नहीं है ! जो लोगों की ईश्वर में आस्था कम करता हो !
क्योंकि जिस व्यक्तियों द्वारा इस तरह का धर्म विरुद्ध मूर्खतापूर्ण तर्क आजकल समाज को दिया जा रहे है ! वह ईसाइयों की एक सोची-समझी रणनीति के तहत ईसाई आई.टी. सेल का कमाल है ! जिसको भारत का आम जनमानस नहीं समझ पा रहा है और उसकी वाह वाही करने में लगा हुआ है !
प्रश्न यह है कि आज से 300 साल पहले जब आज का विकसित विज्ञान नहीं था ! तब दुनिया हजारों साल तक जिस समाज धर्म से ही संचालित होता था और कोई समस्या नहीं थी ! वह धर्म अचानक अनुपयोगी कैसे हो सकता है अर्थात धर्म अपना कार्य कर रहा लेकिन धर्म के कार्य को विज्ञान का कार्य बतला कर गलत तरह से प्रस्तुत किया जा रहा है !
अगर डॉक्टर अपनी जान पर खेलकर समाज की सेवा में लगा है तो यह विज्ञान का चमत्कार नहीं बल्कि उस डॉक्टर का समर्पण है जो डॉक्टर विज्ञान से अधिक ईश्वर पर आस्था रखकर पूर्ण निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य का पालन कर रहा है ! उस डॉक्टर को यह प्रेरणा भी धर्म से ही मिल रही है न कि विज्ञान से और देखना एक दिन धर्म विज्ञान को अवश्य परास्त करेगा !