क्या गाँधी हिटलर से ज्यादा खतरनाक थे ! : Yogesh Mishra

15 अगस्त 1947 की तथाकथित आजादी के बाद 30 जनवरी 1948 की सुबह प्रार्थना के वक्त जाते समय नाथूराम गोडसे द्वारा गांधी जी को गोली मार दी गई थी ! जिससे उनकी मृत्यु हो गई किंतु उसकी मृत्यु के उपरांत तीन बड़ी घटनायें इस देश में घटी !

पहला जीवन भर जिस कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गाँधी अहिंसा का पाठ पढ़ाते रहे उनके मरने के बाद कांग्रेसियों ने पूरे के पूरे महाराष्ट्र में चितपावन ब्राह्मण के पूरे के पूरे गांव को लूट कर आग लगा दी ! युवाओं को मार डाला और ब्राह्मणों की लड़कियों के साथ सरे आम बलात्कार किया ! क्योंकि नाथूराम गोडसे महाराष्ट्र का चितपावन ब्राह्मण था !

दूसरा गांधी के मरने के कारण जो देश में भावनात्मक वातावरण बना ! इसको 1992 के प्रथम लोकसभा चुनाव में कैश कराने के लिये गांधी को तत्काल राष्ट्रपिता घोषित कर दिया गया और यह संदेश देने की कोशिश की गई कि भारत की आजादी का सारा श्रेय गांधी को ही जाता है क्योंकि अंग्रेज गांधी से डरकर देश छोड़कर चले गये थे ! उन्होंने बिना किसी खड़क तलवार के देश को आजादी दिलवा दी थी !

और तीसरा गांधी की इस अकाल मृत्यु को स्थायी रूप से कैश कराने के लिये गांधी के नाम से बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों का निर्माण हुआ ! सड़कों का नामकरण हुआ और विद्यालय बनाये जाने लगे ! चाटुकारिता तो यहाँ तक हुई कि भारत के नोटों पर भी गाँधी की फोटो छाप दिये गये !

अब प्रश्न यह है कि क्या गांधी हिटलर से ज्यादा खतरनाक थे ! जिनके भय से अंग्रेज हिंदुस्तान छोड़कर चले गये और पूरा देश गाँधीमय हो गया !

और दूसरी तरफ हिटलर जो कांग्रेस की निगाह में गाँधी से कम खतरनाक था ! जिससे अंग्रेज गाँधी के मुकाबले कम डरते थे ! उस हिटलर के भय से अंग्रेज ऐसा कानून बना गये कि आज भी भारत क्या पूरे विश्व में एक भी सड़क, बिल्डिंग, स्कूल, पार्क, अस्पताल आदि ऐसा नहीं है ! जो हिटलर के नाम से रखा गया हो !

हिटलर द्वारा लिखे गये सारे साहित्य आज तक पूरी दुनिया में प्रतिबंधित हैं ! उनके प्रकाशन की अनुमति के लिये पूरी दुनियां के विभिन्न न्यायालयों में न जाने कितने मुकदमे चल रहे हैं ! हिटलर के जन्म स्थान पर भी बुलडोजर चलाने की योजना के तहत जर्मन के पार्लियामेंट में बिल लाया गया है !

हिटलर की बायोग्राफी मेरा संघर्ष एक लंबे मुकदमे बाजी के बाद अब भारत में प्रकाशित हो पायी है अर्थात दूसरे शब्दों में कहा जाये कि हिटलर से जुड़ी हुई जर्मन की हर चीज आज इन साम्राज्यवादी और पूंजीवादी ताकतों के प्रभाव में नष्ट की जा रही है ! जिससे कि कहीं कोई और दूसरा हिटलर पैदा न हो सके !

और दूसरी तरफ गांधी जिससे डरकर अंग्रेज हिंदुस्तान छोड़कर चले गये थे ! उसी गांधी की मूर्तियां आज पूरी दुनिया में लगाई जा रही है ! गांधी के दर्शन को लेकर बड़ी-बड़ी बांगमाय छापी जा रही है ! नाटक, कहानियां, संस्मरण लिखे जा रहे हैं ! उन्हें बड़ी बड़ी लाइब्रेरी में संग्रहित किया जा रहा है ! आदि आदि !

कुल कहने का मतलब यह है कि जिस गांधी से साम्राज्यवादी और पूंजीवादी ताकतों को कोई खतरा नहीं था ! आज पूरी दुनियां में उसकी मूर्तियां लगाई जा रही हैं ! उस पर किताबें लिखी जा रही हैं और उसके अहिंसावादी विचारधारा को पूरी दुनिया में फैलाने का प्रयास भी किया जा रहा है ! जिसमें साम्राज्यवादी पूंजीवादी ताकतों का सहयोग भी मिल रहा है !

दूसरी तरफ हिटलर जिसकी राष्ट्रवादी विचारधारा से साम्राज्यवादी पूंजीवादी ताकतों को खतरा है उसके विचार, दर्शन, और यादगार का नामोनिशान मिटाया जा रहा है !

अब प्रश्न यह है कि गांधी अगर हिटलर से ज्यादा खतरनाक थे तो गांधी को इतना प्रोत्साहन क्यों और हिटलर का विरोध क्यों ?

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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