भारत को वित्तीय आत्मनिर्भर बनाने का पहला सूत्र यह है कि भारत में शिक्षा के साथ-साथ कम से कम एक अनिवार्य व्यवहारिक कौशल ज्ञान जरूर होना चाहिए ! जिससे व्यक्ति अक्षर ज्ञान के साथ-साथ जीविकोपार्जन के लिए भी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें ! साथ ही बच्चों को बड़े बड़े उद्ध्योगों की कार्य शैली के लिये फैक्ट्रियों का भ्रमण समय समय पर करवाना चाहिये !
दूसरा भारत के अंदर सभी तरह के लाइसेंस आदि प्राप्त करने के लिए व्यक्ति का मात्र इंटर पास होना पर्याप्त माना जाना चाहिए ! स्नातक शिक्षा की अनिवार्यता को खत्म किया जाना चाहिए ! जिससे व्यक्ति इंटर के उपरांत ही अपना स्वत: रोजगार शुरू कर सके !
तीसरा इंटर के उपरांत उद्ध्योग हेतु एक वर्ष की इन्टर्न शिप अनिवार्य की जानी चाहिये !
चौथा नव उद्ध्योग पतियों के लिये सभी तरह के प्रशासनिक शुल्क कम से कम तीन प्रयोग तक फ्री किये जाने चाहिये !
पांचवां भारत में सभी तरह के “कर” समाप्त करके नए उद्योगपतियों को कम से कम 5 साल के लिए छूट दी जानी चाहिए ! इसके उपरांत भी उन पर मात्र “आय-व्यय आधारित कर व्यवस्था” लागू किया जाना चाहिए ! अन्य सभी प्रकार के कर को समाप्त कर उन्हें वित्तीय औपचारिकताओं से मुक्त किया जाना चाहिए !
छठां देश विदेश में व्यापार करने की नीति तथा विधि एकदम सरल होनी चाहिए तथा उस पर किसी भी प्रकार का कोई भी प्रशासनिक नियंत्रण नहीं होना चाहिए ! मात्र तस्करी को रोकने के लिए ही आवश्यक कठोर कदम उठाए जाने चाहिए ! न कि उद्ध्योगपति को परेशान करने के लिये !
सातवाँ वित्तीय संसाधन के लिए व्यक्ति को खुले बाजार में कार्य करने की छूट होनी चाहिए ! खासतौर से विदेशी निवेशकों के साथ सहयोग लेकर कार्य करने की स्वतंत्र अनुमति होनी चाहिए ! किन्तु शर्त यह हो कि कोई भी उद्ध्योग विदेशी को तब ही बेचा जायेगा जब उसका भारत में क्रेता न हो !
आठवाँ सरकार की नीतियों का व्यवसायिक क्षेत्र में हस्तक्षेप कम से कम होना चाहिए तथा व्यवसाय स्वस्फूर्त गुणवत्ता के अनुरूप होना चाहिए !
नववाँ समाचार पत्र, पत्रिका, दूरदर्शन, सोशल मीडिया आदि पर नकारात्मक समाचारों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए तथा सफल और उत्साही व्यक्तियों का उत्साहवर्धन करने हेतु सकारात्मक समाचारों को बढ़ावा देना चाहिए !
दसवाँ न्याय व्यवस्था तीव्र होनी चाहिए ! जिससे व्यक्ति को मात्र 3 माह के अंदर अपने अच्छे बुरे कार्य के अनुसार न्याय प्राप्त हो सके !