भारत का भाग्य उदय कैसे होगा : Yogesh Mishra

कोई भी राष्ट्र न तो संविधान से चलता है और न ही प्रशासन से चलता है ! राष्ट्र हमेशा नागरिकों की निष्ठा और समर्पण से चलता है ! किसी भी राष्ट्र में जब तक राष्ट्र के आम नागरिकों का समर्पण अपने राष्ट्र के प्रति नहीं होगा ! तब तक कोई भी शासक किसी भी राष्ट्र को स्थाई सुरक्षा या विकास नहीं दे सकता है और लोकतंत्र में नागरिकों का अपनी शासक के प्रति स्थाई समर्पण असंभव है ! और यही लोकतंत्र भारत के सर्वनाश की मूल वजह है !

अब प्रश्न यह है कि इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में भारत का भाग्य उदय कैसे होगा ! इसके लिए हमें न तो शासक वर्ग से कोई अपेक्षा करनी चाहिये और न ही भारत के संविधान से भारत का भाग्य उदय की आशा रखनी चाहिये ! क्योंकि भारत का भाग्य उदय भारत का आम आवाम ही करेगा और उस आम आवाम को प्रशिक्षित करने का कार्य भारत के चिंतक, विचारक, समाज सेवक और धर्मगुरु आदि ही कर सकते हैं !

क्योंकि यह सभी लोग समाज से निरंतर जुड़े रहते हैं ! इनका व्यक्तित्व राजनीतिज्ञों से भिन्न होता है क्योंकि राजनीतिज्ञ जब तक सत्ता में नहीं होता है ! तब तक तो वह समाज के साथ जुड़ने का नाटक करता है और जैसे ही उसे सत्ता प्राप्त हो जाती है ! वैसे ही वह सत्ता के भोग विलास में लिप्त हो जाता है !

जबकि चिंतक, विचारक, समाज सेवक और धर्म गुरु सदैव समाज के साथ जुड़े रहते हैं ! यही वह वर्ग है जो समाज को दिशा दे सकता है ! भारत जैसे महान देश के लिये मात्र ऐसे व्यक्तियों की जरूरत है ! जो संपूर्ण समर्पण के साथ देश के सेवा और सुरक्षा के लिये संगठित होकर कार्य कर सके !

किंतु वैचारिक अहंकार के कारण इस 140 करोड़ की आबादी में 20 ऐसे व्यक्ति भी एकमत नहीं हो पा रहे हैं ! जो भारत को दिशा दे सकें ! जिससे भारत की दशा बदली जा सके ! उसी का परिणाम है कि राजनैतिक लोग भारत को निरंतर गर्त में ढकेलते चले जा रहे हैं और हम आम आवाम भारत का सर्वनाश होते देख रहे हैं !

लेकिन यह सब कुछ अब बहुत दिनों तक नहीं चलेगा ! अब बात घर में आग लगने तक आ गई है ! आज गुरु करोना काल में कोई ऐसा परिवार नहीं जिसके अंदर किसी न किसी व्यक्ति की मृत्यु न हुई हो और हम अस्पताल ऑक्सीजन और दवा के अभाव में दरबदर भटकते रहे और किसी भी शासन-प्रशासन ने हमारी कोई मदद नहीं की !
यह स्थिती यह बतलाती है कि अब भारत के विचारकों, चिंतकों, समाज सेवकों और धर्मगुरुओं को राष्ट्र रक्षा के लिये एक मत होना पड़ेगा और जनता को यह बतलाना पड़ेगा कि “तुम्हारी रक्षा तुम्हें स्वयं करनी पड़ेगी” ! तुम्हारी रक्षा के लिये कोई भी राजनैतिक व्यक्ति नहीं आयेगा !

अब आवश्यकता है इसमें पहल करने की ! क्योंकि जनता लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था से उब चुकी है ! वह अब राहत चाहती है ! ऐसे मौके पर जो भी व्यक्ति राष्ट्र के हित में चिंतनशील है ! उन्हें एक दूसरे का हाथ पकड़कर आगे आना चाहिये और राष्ट्र को एक नई दिशा देना चाहिये क्योंकि यही उचित समय है सही कार्य करने का !

यदि हम, हमारा परिवार और हमारा राष्ट्र ही नहीं होगा तो हम इस संविधान और लोकतंत्र का क्या करेंगे ! हमारी अपनी एक सभ्यता, संस्कृति, जीवन शैली, विचार करने का तरीका है ! जिसे राष्ट्र की चिंतक, विचारक, समाज सेवक और धर्मगुरु खूब अच्छी तरह समझते हैं !

वह जानते हैं कि हमारे राष्ट्र निर्माण में कहां-कहां, कौन-कौन से अवरोध आ रहे हैं और वह यह भी जानते हैं कि इन अवरोधों का निवारण क्या है ! लेकिन समाज द्वारा उनको महत्व न दिये जाने के कारण वह लोग निष्क्रिय हैं !

इसलिए यह समाज की भी जिम्मेदारी है कि वह ऐसे चिंतकों और विचारों को सुने ! उनके वक्तव्य पर मनन करे ! तर्क वितर्क करे ! पर कुतर्क नहीं और यदि वह चिंतन राष्ट्रहित में है ! तो उसको स्वीकार करे ! क्योंकि यही हमारी अपनी सनातन परंपरा रही है !

इसीलिए हमारे पूर्वज पूर्व में बड़े-बड़े यज्ञ, समारोह, त्योहार और कुंभ आदि का आयोजन किया करते थे ! जिसमें विचारक, चिंतक, समाज सेवक, धर्म गुरु आदि आते थे और राष्ट्रहित में अपना विचार रखते थे ! जिसको समाज स्वीकार करता था और यही वह राह थी ! जिसने भारत को विश्व गुरु बना दिया था !

आज हमने इस परंपरा को छोड़ दिया है और लोकतंत्र या इसे लूट तंत्र कहें ! इसकी नशे में हम इतना मशगूल हो गये हैं कि अब हमने राष्ट्रहित के विचारकों, चिंतकों, धर्मगुरुओं और समाज सेवकों का सम्मान करना ही बंद कर दिया है ! पर याद रखना जब तक कोई भी राष्ट्र इस वर्ग का सम्मान नहीं करेगा ! तब तक वह राष्ट्र कभी भी आत्मनिर्भर और विकसित नहीं हो सकता है !
पश्चिम के देशों ने भी इनके महत्व को समझा था ! अरस्तू प्लूटो सुकरात ब्रूनो आदि इसी परंपरा के चिन्तक थे ! तभी उनके शिष्य विश्व विजय पर निकल सके !
यही भारत के विकास और संपन्नता की रीड की हड्डी हैं इसलिये यदि आप भारत का विकास चाहते हैं ! तो इस वर्ग के साथ समाज को जुड़ना होगा ! तभी भारत का भाग्य उदय होगा !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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